मुंबई, 2 जून (आईएएनएस)। भारत की ग्रीन इकोनॉमी तेजी से बढ़ते हुए 2030 तक 1 ट्रिलियन डॉलर और 2070 तक 15 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह जानकारी सोमवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।
इस तेज वृद्धि के साथ भारत बड़ी संख्या में ग्रीन जॉब्स सृजित करने के लिए भी तैयार है।
एनएलबी सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2027-28 तक लगभग 7.29 मिलियन और वर्ष 2047 तक 35 मिलियन नौकरियों के अवसर पैदा हो सकते हैं।
एनएलबी सर्विसेज के सीईओ सचिन अलग ने कहा, "पिछले 4-5 वर्षों में हमने देखा है कि ग्रीन जॉब्स विशिष्ट भूमिकाओं से बढ़कर रिन्यूएबल एनर्जी, ईवी और सस्टेनेबल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी मुख्यधारा में आ गई हैं।"
अलग ने कहा, "आज के ग्रीन वर्कफोर्स को सस्टेनेबिलिटी संबंधी जानकारी और डिजिटल फ्लूएंसी दोनों की जरूरत है। इसी के साथ एआई, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन, जीआईएस और डेटा-ड्रिवन टूल का बढ़ता इंटीग्रेशन प्रगतिशील, नए युग के ग्रीन करियर की नींव रख रहा है।"
जैसे-जैसे हरित क्षेत्र का विस्तार हो रहा है, उद्योग न केवल ग्रीन टेक्नोलॉजी और रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश कर रहे हैं, बल्कि बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए स्किल्ड वर्कफोर्स बनाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
यह बदलाव कंपनियों को अपनी भर्ती रणनीतियों को बदलने के लिए प्रेरित कर रहा है।
केवल पारंपरिक डिग्री पर निर्भर रहने के बजाय, नियोक्ता अब व्यावहारिक हरित कौशल और व्यावहारिक अनुभव को अधिक महत्व दे रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कई कंपनियां युवाओं को सस्टेनेबिलिटी से संबंधित कौशल से लैस करने के लिए कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के साथ मिलकर काम कर रही हैं।
नया रोजगार परिदृश्य पहले के पूर्वानुमानों से अधिक मजबूत है। 2024 में नौकरी की मांग के मामले में हरित क्षेत्र में सालाना 15-20 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की उम्मीद थी।
अधिकांश ग्रीन जॉब्स अभी भी मुंबई, बेंगलुरु और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में हैं। लेकिन, जयपुर, इंदौर, विशाखापत्तनम, कोयंबटूर, भुवनेश्वर, चंडीगढ़ और अहमदाबाद जैसे छोटे शहर भी ग्रीन जॉब्स के प्रमुख केंद्र बन रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, टियर II और टियर III शहरों में वित्त वर्ष 2028 तक अनुमानित 7.29 मिलियन नौकरियों में से 35-40 प्रतिशत का सृजन होने की उम्मीद है।
ग्रीन जॉब्स की भूमिकाएं भी अधिक विविध होती जा रही हैं। ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) विश्लेषण, जलवायु डेटा विश्लेषण और ग्रीन टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में पेशेवरों की मांग तेजी से बढ़ रही है, जिसमें सालाना 20-30 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
--आईएएनएस
एसकेटी/एबीएम
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