राजस्थान की राजधानी जयपुर में अरावली की पहाड़ियों पर बना जयगढ़ किला, ना सिर्फ अपनी भव्यता और सैन्य शक्ति के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके भीतर छिपे रहस्यों और रहस्यमयी घटनाओं के लिए भी चर्चाओं में रहता है। आमतौर पर इस किले को ‘विजय दुर्ग’ के नाम से जाना जाता है, लेकिन इसके भीतर छिपे कई खौफनाक राज़ आज भी इतिहासकारों और पर्यटकों के लिए अनसुलझे हैं।जयगढ़ किले का निर्माण 1726 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। इसे आमेर किले की सुरक्षा के लिए बनाया गया था और यहाँ से शत्रुओं की हर हलचल पर नजर रखी जाती थी। यह किला जयपुर की सुरक्षा कवच की तरह था। लेकिन इसकी दीवारों के भीतर ऐसे कई रहस्य छिपे हैं, जिनके बारे में जानकर कोई भी इंसान विचलित हो सकता है।
क्या आज भी छिपा है खजाना?जयगढ़ किला भारत के उन चुनिंदा किलों में से एक है, जहां अकूत खजाने के मौजूद होने की अफवाहें दशकों से चल रही हैं। कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर के खजाने का एक बड़ा हिस्सा आमेर के राजाओं ने अपने पास सुरक्षित रख लिया था, और जयगढ़ किले में सुरंगों के नीचे कहीं इसे छिपा दिया गया।1977 में इंदिरा गांधी सरकार के आदेश पर यहां आयकर विभाग की एक टीम ने खुदाई करवाई थी। कई हफ्तों तक खुदाई और जांच चली लेकिन न तो कोई खजाना मिला और न ही इसकी पुष्टि हो सकी कि वह अफवाह थी या हकीकत। लेकिन इस घटना ने जयगढ़ के खजाने को लेकर रहस्य और गहरा कर दिया।
खून की कहानियां और भटकती आत्माएंस्थानीय निवासियों और किले के गार्ड्स के अनुसार, रात के समय इस किले में अजीबो-गरीब घटनाएं होती हैं। कहते हैं कि किले में कई रानियों और सैनिकों की आत्माएं आज भी भटकती हैं। लोगों का मानना है कि खजाने की रक्षा के लिए कई लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी, और उनकी आत्माएं अभी तक यहां बंधी हुई हैं।कई पर्यटकों ने यह दावा भी किया है कि उन्होंने यहां रात में किसी के चलने की आवाज़, जंजीरों की खनक और अनजानी परछाइयों को महसूस किया है। हालांकि इन बातों की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इन कहानियों ने जयगढ़ किले को एक रहस्यमयी छवि दे दी है।
दुनिया की सबसे बड़ी तोप - जयवानाजयगढ़ किले में मौजूद ‘जयवाना तोप’ दुनिया की सबसे भारी तोपों में गिनी जाती है। यह तोप कभी युद्ध में इस्तेमाल नहीं हुई, लेकिन इसके परीक्षण के दौरान हुए धमाके से कई किलोमीटर दूर की दीवारें हिल गई थीं। कहते हैं कि जिस दिन इसका परीक्षण किया गया, उस दिन आसपास के गांवों में दहशत का माहौल बन गया था और कई लोग बेहोश हो गए थे।इस तोप के आसपास भी कई किंवदंतियां जुड़ी हैं कि इसमें अलौकिक शक्तियां हैं जो इसे आज भी सक्रिय बनाए रखती हैं।
सुरंगें जो कहानियों से ज्यादा डरावनी हैंकहते हैं कि जयगढ़ और आमेर किला एक भूमिगत सुरंग से जुड़े हुए हैं, जो कई किलोमीटर लंबी है। यह सुरंग शत्रु से बचाव के लिए बनाई गई थी। लेकिन आज भी इसका पूरा नक्शा किसी के पास नहीं है। कई हिस्से ऐसे हैं जहां आज भी जाना मना है क्योंकि वहां लोग गए और फिर लौटे नहीं।
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