कार्तिक माह में भी इस बार मौसम ने सावन का सा रंग जमा दिया है। रविवार की रात से शुरू हुई झमाझम बारिश ने पूरे क्षेत्र को तरबतर कर दिया है। लगातार हो रही वर्षा से नदी-नालों में पानी की आवक बढ़ गई है और जलस्तर में तेज़ी से इज़ाफ़ा देखा जा रहा है। सबसे बड़ी ख़बर यह है कि गुढ़ा बांध के कैचमेंट क्षेत्र में भारी बारिश के चलते बांध का एक गेट लगभग एक फीट तक खोलना पड़ा है, जिससे करीब 642 क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है।
स्थानीय लोगों और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह एक ऐतिहासिक घटना कही जा सकती है, क्योंकि लगभग 33 साल बाद यानी वर्ष 1992 के बाद पहली बार मानसून अवधि समाप्त होने के बाद गुढ़ा बांध का गेट खोला गया है। आमतौर पर बांध के गेट मानसून के दौरान ही खोले जाते हैं, लेकिन इस बार कार्तिक माह में लगातार हो रही बारिश ने परिस्थितियाँ बदल दी हैं।
बांध से जुड़े रिकॉर्ड बताते हैं कि वर्ष 1992 तक इस पर 10 गेट ही स्थापित थे। लेकिन धीरे-धीरे बढ़ती जल आवश्यकता और सिंचाई क्षेत्र के विस्तार को ध्यान में रखते हुए, जल संसाधन विभाग ने वर्ष 2012 में 20 नए गेट और तैयार कराए। वर्तमान में गुढ़ा बांध में कुल 30 गेट हैं, जिनकी मदद से आसपास के इलाकों में सिंचाई और जल आपूर्ति को नियंत्रित किया जाता है।
गुढ़ा बांध का जलाशय क्षेत्रफल काफी विस्तृत है और यह आसपास के कई गांवों और खेतों के लिए जीवनरेखा माना जाता है। इस बांध से निकलने वाला पानी मुख्यतः कृषि कार्यों, पेयजल आपूर्ति और पर्यावरणीय संतुलन के लिए उपयोग में आता है। इस बार बारिश की तीव्रता ने बांध का जलस्तर इतना बढ़ा दिया कि सुरक्षा और जल प्रबंधन के दृष्टिकोण से गेट खोलना अनिवार्य हो गया।
स्थानीय प्रशासन ने बताया कि गेट खोलने की प्रक्रिया पूरी तरह नियंत्रित है और स्थिति पर लगातार नज़र रखी जा रही है। जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों की टीम बांध पर तैनात है और हर घंटे जलस्तर की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। आसपास के गांवों को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है ताकि किसी अप्रत्याशित स्थिति से बचा जा सके।
कृषक समुदाय के लिए यह बारिश वरदान साबित हो रही है। खेतों में नमी बढ़ने से रबी फसलों की बुवाई में आसानी होगी। वहीं, पानी की प्रचुरता से आने वाले महीनों में पेयजल संकट की संभावना भी काफी हद तक टल गई है।
हालाँकि, मौसम विभाग ने अभी और दो दिन तक हल्की से मध्यम बारिश की संभावना जताई है। ऐसे में बांध प्रबंधन पूरी सतर्कता के साथ काम कर रहा है ताकि जलस्तर नियंत्रित रहे और नीचे के इलाकों में किसी प्रकार का जलभराव न हो।
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