कोटा में परिवहन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (पीयूसी) जारी करने का बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। पत्रिका की 15 दिन की गहन पड़ताल में सामने आया कि बिना किसी जांच के ही वाहनों को 'प्रदूषण मुक्त' घोषित कर पीयूसी प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं। इसके एवज में वाहन मालिकों से चार से पांच गुना अधिक राशि वसूली जा रही है। हैरानी की बात यह है कि कुछ मामलों में तो थाने में बंद वाहनों और यहां तक कि विधायक की गाड़ी को भी देखे बिना ही प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए।
फर्जी प्रमाण पत्रों का खेल
पत्रिका टीम ने शहर के विभिन्न इलाकों में संचालित मोबाइल प्रदूषण जांच केंद्रों पर वाहनों की जांच करवाई। टीम ने जब नकद भुगतान के साथ वाहन पेश किए बिना ही पीयूसी प्रमाण पत्र मांगा तो कई केंद्रों ने बिना किसी आनाकानी के प्रमाण पत्र जारी कर दिए। स्थिति इतनी गंभीर है कि सिर्फ वाहन नंबर या फोटो दिखाकर भी 'प्रदूषण मुक्त' प्रमाण पत्र तैयार किए जा रहे हैं। आरटीओ कार्यालय के बाहर यह खेल खुलेआम चल रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं।
विधायक की गाड़ी का भी बना दिया पीयूसी
इस पूरे खेल को उजागर करने के लिए पत्रिका टीम ने कोटा दक्षिण विधायक की गाड़ी का प्रमाण पत्र बनाने का प्रयास किया, लेकिन बड़ी आसानी से पीयूसी जारी कर दी गई। विधायक की गाड़ी (आरजे 20 यूबी 2627) का बिना गाड़ी के ही प्रमाण पत्र बना दिया गया। वैन में बैठे कर्मचारियों ने गाड़ी का सिर्फ फोटो खींचकर उसे कम्प्यूटर से कनेक्ट कर नया प्रमाण पत्र तैयार कर दिया।
थाने में जब्त गाड़ी को भी प्रदूषण मुक्त घोषित किया
पत्रिका टीम ने झालावाड़ रोड पर आईएल चौराहा फ्लाईओवर के पास मौजूद मोबाइल इंस्पेक्शन वैन (आरजे 20 जीए 4658) से संपर्क कर थाने में जब्त एक गैंगस्टर की गाड़ी (आरजे 14 यूई 9395) का प्रमाण पत्र बनवाने का प्रयास किया। पहले तो कर्मचारी ने मना कर दिया, लेकिन जब ज्यादा पैसे देने की बात हुई तो उसने 100 रुपए लेकर गाड़ी देखे बिना ही पीयूसी जारी कर दी।
नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं
सरकारी नियमों के अनुसार किसी भी वाहन का पीयूसी सर्टिफिकेट तभी बन सकता है, जब वाहन को अधिकृत केंद्र पर ले जाकर उसके एग्जॉस्ट पाइप से निकलने वाले उत्सर्जन की जांच की जाए। नए वाहनों के लिए यह सर्टिफिकेट एक साल और पुराने वाहनों के लिए छह महीने तक वैध होता है। इस प्रक्रिया को पहले मैनुअल से ऑनलाइन किया गया था, ताकि पारदर्शिता बनी रहे, लेकिन निजी फर्मों ने अब तकनीकी सिस्टम में सेंध लगाकर ऑनलाइन फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने का तरीका खोज लिया है।
आरटीओ ऑफिस के बाहर सालों से चल रहा अवैध कारोबार
जब रिपोर्टर ने आरटीओ ऑफिस के सामने अधिकृत मोबाइल पीयूसी वैन के पास जाकर अपनी गाड़ी का सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कहा, तो कर्मचारी ने पहले तो गाड़ी लाने को कहा, लेकिन जब उसने अतिरिक्त पैसे की बात करने पर जोर दिया, तो उसने सिर्फ 70 रुपये लेकर वाहन नंबर के आधार पर सर्टिफिकेट जारी कर दिया।
लाइसेंस सस्पेंड किया जाएगा
अगर कोई पीयूसी वैन संचालक बिना गाड़ी लाए सर्टिफिकेट जारी कर रहा है, तो यह गलत है। हालांकि इसे ऑनलाइन कर दिया गया है, इसके बावजूद अगर ऐसा हो रहा है, तो जांच के बाद वैन संचालक का लाइसेंस सस्पेंड किया जाएगा।
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