पिछले दो दशकों में जोधपुर और पश्चिमी राजस्थान का औद्योगिक विकास तेज़ी से बढ़ा है। नए औद्योगिक स्टार्टअप और आईटी हब विकसित हो रहे हैं। ऐसे में कुशल कार्यबल की परिभाषा हर साल बदल रही है। दूसरी ओर, हमारे संस्थान पुराने तरीके से ही कुशल कार्यबल तैयार कर रहे हैं। उद्योगों को एआई-ऑटोमेशन कार्यबल की ज़रूरत है, लेकिन फिटर-वेल्डर तैयार किए जा रहे हैं। औद्योगिक संगठनों के अनुसार, चार प्रमुख क्षेत्रों में हर साल 25 हज़ार से ज़्यादा कुशल कर्मचारियों की ज़रूरत है।
ईपीसीएच कर रहा है पहल
निर्यात संवर्धन परिषद हस्तशिल्प कौशल प्रशिक्षण को बढ़ावा दे रही है। केंद्र सरकार भी इसमें सहयोग कर रही है। शहरों के साथ-साथ ग्रामीण कौशल विकास भी ज़रूरी है। सरकार और संस्थानों को चाहिए कि वे जहाँ उद्योग हैं, वहाँ के अनुसार प्रशिक्षण प्रदान करें। -
चार प्रमुख उद्योगों में माँग
हस्तशिल्प क्षेत्र में दो लाख से ज़्यादा लोगों को प्रत्यक्ष रोज़गार दिया जा रहा है। यहाँ हर साल 10 से 15 हज़ार नए रोज़गार सृजित होते हैं, लेकिन कुशल श्रमिक उपलब्ध नहीं हैं।
इस्पात उद्योग में कई तकनीकी विशेषज्ञों और श्रमिकों की ज़रूरत है। वर्तमान में इसमें 25 हज़ार से ज़्यादा लोग कार्यरत हैं।
टेक्सटाइल उद्योग में 20 हज़ार लोगों को रोज़गार मिला है और हर साल नए रोज़गार भी पैदा हो रहे हैं।
कृषि आधारित उद्योग तेज़ी से बढ़ रहे हैं। लेकिन इनमें विशेषज्ञ तैयार नहीं हो रहे हैं।
अब पेट्रोकेमिकल उत्पादों की माँग बढ़ेगी
आने वाले कुछ महीनों में रिफ़ाइनरी पूरी तरह चालू हो जाएगी और पेट्रोकेमिकल उत्पाद उद्योग स्थापित किया जा सकेगा। इसके साथ ही, सौर उपकरण निर्माण उद्योग भी आएगा। राइजिंग राजस्थान में 15 हज़ार करोड़ के निवेश के लिए एमओयू हो चुके हैं और 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों को सीधे रोज़गार मिलने का दावा है। ऐसे में यहाँ भी कुशल कार्यबल की ज़रूरत होगी।
अभी पुराने कोर्स ही चल रहे हैं
हर साल लगभग 50 हज़ार युवा सरकारी आईटीआई में प्रवेश लेते हैं।
एक लाख से ज़्यादा युवा निजी आईटीआई में प्रशिक्षण लेते हैं।
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