जिले के देगराय ओरण क्षेत्र में शनिवार को एक दर्दनाक घटना सामने आई, जहां हाईटेंशन बिजली लाइन की चपेट में आने से दुर्लभ प्रवासी पक्षी ‘टोनी ईगल’ (Tawny Eagle) की मौत हो गई। इस घटना ने वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरण संरक्षण कार्यकर्ताओं के बीच गहरी चिंता पैदा कर दी है।
जानकारी के अनुसार, शनिवार सुबह देगराय ओरण क्षेत्र में स्थानीय लोगों ने एक बड़े शिकारी पक्षी को बिजली तारों के नीचे गिरा देखा। सूचना मिलने पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक पक्षी की मौत हो चुकी थी। जांच में पता चला कि यह पक्षी दुर्लभ प्रवासी प्रजाति टोनी ईगल था, जो हर साल सर्दियों के मौसम में मध्य एशिया और रूस के ठंडे इलाकों से राजस्थान के शुष्क क्षेत्रों में प्रवास करता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह ईगल प्रजाति अंतरराष्ट्रीय वन्यजीव संरक्षण सूची में अति संवेदनशील (Vulnerable Species) के रूप में दर्ज है। इसका मरना न सिर्फ स्थानीय पारिस्थितिकी के लिए नुकसानदायक है, बल्कि यह इस बात का भी संकेत है कि बिजली लाइनों के कारण प्रवासी पक्षियों का जीवन लगातार खतरे में है।
स्थानीय वन्यजीव कार्यकर्ता हनुमानदान चारण ने बताया कि देगराय और आसपास के ओरण क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल माने जाते हैं, लेकिन हाल के वर्षों में बिजली की ऊंची तारों और पवनचक्कियों की बढ़ती संख्या से पक्षियों की मौतें लगातार बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा, “प्रवासी पक्षियों की सुरक्षा के लिए ओरण इलाकों में बिजली लाइनों को भूमिगत करने या इंसुलेटेड केबल लगाने की आवश्यकता है।”
वन विभाग के अधिकारियों ने मृत पक्षी का पोस्टमार्टम करवाकर रिपोर्ट वन्यजीव विभाग को भेज दी है। विभाग ने घटना की जांच शुरू कर दी है और बिजली विभाग को सुरक्षा उपायों के निर्देश जारी किए हैं।
गौरतलब है कि जैसलमेर, फलोदी, रामगढ़ और बाड़मेर क्षेत्र हर साल हजारों प्रवासी पक्षियों का अस्थायी घर बनते हैं। इन पक्षियों में डेमोइसल क्रेन, इम्पीरियल ईगल, टोनी ईगल और फ्लेमिंगो जैसी दुर्लभ प्रजातियां शामिल हैं। हालांकि, खुले क्षेत्रों में बिछी हाईटेंशन लाइनों से इनकी टकराकर मौत के मामले हर साल दर्ज किए जा रहे हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों ने राज्य सरकार से अपील की है कि प्रवासी पक्षियों के आगमन सीजन में विशेष निगरानी रखी जाए और बर्ड सेफ पॉवरलाइन प्रोजेक्ट्स को प्राथमिकता दी जाए, ताकि राजस्थान का यह रेगिस्तानी इलाका आने वाले वर्षों में भी इन पक्षियों के लिए सुरक्षित आश्रय स्थल बना रह सके।
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