राजस्थान की लाडो प्रोत्साहन योजना के तहत, गरीब परिवारों की बालिकाओं को जन्म से लेकर स्नातक स्तर तक सात किश्तों में कुल ₹1.5 लाख की सहायता दी जाएगी, जिससे शिक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा।
योजना का उद्देश्य और घोषणा
राजस्थान सरकार ने गरीब परिवारों में जन्म लेने वाली बालिकाओं के समग्र विकास और उज्ज्वल भविष्य को सुनिश्चित करने के लिए लाडो प्रोत्साहन योजना की राशि बढ़ाकर ₹1.50 लाख कर दी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 12 मार्च 2025 को इस योजना के विस्तार की घोषणा की थी।
बालिका जन्म को बढ़ावा देने की योजना
यह योजना केवल वित्तीय सहायता तक सीमित नहीं है, बल्कि बालिका जन्म को सम्मान देना, शिक्षा में प्रतिधारण बढ़ाना, संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहित करना, बाल विवाह को रोकना और लिंगानुपात में सुधार जैसे कई सामाजिक परिवर्तनों को लक्षित करती है।
पात्रता और आवेदन प्रक्रिया
लाभ प्राप्त करने के लिए, बालिका का जन्म सरकारी अस्पताल या जेएसवाई से मान्यता प्राप्त निजी अस्पताल में होना आवश्यक है। माता राजस्थान की मूल निवासी होनी चाहिए। गर्भवती महिला का एएनसी पंजीकरण और बैंक खाता होना चाहिए। आवेदन प्रक्रिया पीसीटीएस पोर्टल के माध्यम से होगी, जहाँ सभी दस्तावेज़ अपलोड किए जाएँगे।
लाभ किश्तों में दिए जाएँगे
योजना के तहत, राशि कुल सात किश्तों में दी जाएगी। पहली छह किश्तें बालिका की शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित होंगी, जो माता-पिता या अभिभावक के खाते में भेजी जाएँगी, जबकि अंतिम किश्त बालिका के स्नातक होने और 21 वर्ष की आयु होने पर उसके अपने खाते में स्थानांतरित कर दी जाएगी।
राजश्री योजना का समावेश
महिला अधिकारिता विभाग के अनुसार, अब तक लागू राजश्री योजना को लाडो प्रोत्साहन योजना में मिला दिया गया है। इसके तहत, राजश्री योजना की लंबित किश्तों का वितरण अब लाडो योजना के अंतर्गत पात्रता के अनुसार किया जाएगा, जिससे योजना की प्रक्रिया सरल और केंद्रीकृत हो जाएगी।
विस्तृत राशि वितरण विवरण
जन्म पर ₹2,500, एक वर्ष पूरा होने और टीकाकरण पर ₹2,500, कक्षा 1 में प्रवेश पर ₹4,000, कक्षा 6 में प्रवेश पर ₹5,000, कक्षा 10 में प्रवेश पर ₹11,000, कक्षा 12 में प्रवेश पर ₹25,000, स्नातक उत्तीर्ण करने और 21 वर्ष पूरे करने पर ₹1,00,000। यह पूरी राशि चरणबद्ध तरीके से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से ₹1.50 लाख के रूप में प्रदान की जाएगी।
निगरानी एवं समीक्षा प्रणाली
इस योजना का प्रशासनिक दायित्व महिला अधिकारिता निदेशालय का होगा। जिला कलेक्टर हर तीन माह में योजना की समीक्षा करेंगे। योजना की निगरानी 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' टास्क फोर्स द्वारा की जाएगी, ताकि योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
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