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Udaipur में वन विभाग की कैद से भागा तेंदुआ, वीडियो में देखें कैसे एक सागर से बना थार मरुस्थल

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उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर शहर से सटे लखावली इलाके की पहाड़ी पर पिंजरे में कैद हुआ लेपर्ड भाग गया है। उसे वन विभाग की टीम सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क लेकर गई थी। वन विभाग के कर्मचारियों को इसकी जानकारी सुबह करीब 8 बजे हुई। अब फिर से उसकी खोज शुरू हो गई है। पार्क के अंदर टीमें सर्च ऑपरेशन चला रही हैं।

कल रात को ले गए थे सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क

लखावली इलाके की पहाड़ी पर लेपर्ड के मूवमेंट को देखते हुए वन विभाग ने पिंजरा लगाया था। सोमवार दोपहर बाद एक लेपर्ड इस पिंजरे में आकर कैद हो गया। शाम करीब 4 बजे तेंदुए के गुर्राने की आवाज आई तो गांव वाले पहाड़ी पर गए। वहां पिंजरे में तेंदुआ कैद हो चुका था। इसकी सूचना फौरन वन विभाग को दी गई थी।बरोड़िया वन नाके से वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। तब तक उदयपुर से भी टीम पहुंच गई थी। शाम को टीम लेपर्ड को उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलोजिकल पार्क ले गई थी।

रात 11 बजे तक दिखा था लेपर्ड

सूत्रों का कहना है कि वन विभाग के कर्मचारियों ने रात के 11 बजे तक लेपर्ड को पिंजरे में देखा था। मंगलवार सुबह करीब 8 बजे कर्मचारी पहुंचे तो पिंजरे में लेपर्ड नहीं दिखा। बताया जा रहा है कि पिंजरा पूरी तरह से लॉक था। किनारे से प्लेट को तोड़कर लेपर्ड भाग गया है। सूचना मिलने के बाद वन विभाग के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और घटना की पूरी जानकारी ली।

पार्क के अंदर चल रहा सर्च ऑपरेशन
उदयपुर के सहायक वन संरक्षक (वाइल्ड लाइफ) गणेश लाल गोठवाल ने बताया- लेपर्ड भागकर बायो पार्क के अंदर ही चला गया है। लेपर्ड के भागने के बाद हमारी टीम बायो पार्क के अंदर ही सर्च ऑपरेशन चला रही है। बायो पार्क के चारों तरफ लगी फेंसिंग को भी चेक किया गय है। यह साफ हो गया है कि किसी भी फेंसिंग को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है। लेपर्ड के वहां से भागने के कोई ऐसे पग मार्क भी नहीं मिले हैं। टीम अंदर की तरफ ही लेपर्ड की तलाश कर रही है।

जेसीबी से घास की सफाई
गणेश लाल गोठवाल ने बताया- गेट नंबर 3 से आगे जेसीबी लगाकर वहां लगी घास को साफ किया जा रहा है। बारिश होने की वजह से कहीं भी पग मार्क नहीं मिल रहे हैं। टीम अपने स्तर पर आसपास के अंदर के इलाके में ही लेपर्ड की तलाश कर रही है। उनका कहना है की सारी स्थितियों से यह लग रहा है कि लेपर्ड बायो पार्क से बाहर अभी नहीं गया है।

15 किमी दूर मारी गई थी गोली

जहां (लखवाल गांव की पहाड़ी) लेपर्ड पिंजरे में कैद हुआ था, उस जगह से करीब 15 किमी दूर 18 अक्टूबर को एक तेंदुए को गोली मारी गई थी। आशंका जताई जा रही थी कि 10 लोगों का शिकार करने वाला तेंदुआ वही था। हालांकि अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है।

पहले पिंजरा हटाया, फिर वापस लगाया
लखावली सरपंच मोहनलाल डांगी ने बताया- यहां पहाड़ी इलाके में लगातार लेपर्ड की आवाजाही हो रही थी। इसके चलते पिछले महीने ही वन विभाग से पिंजरा लगवाया था। लेपर्ड का मूवमेंट नहीं होने से विभाग ने यहां से पिंजरा हटा दिया था।

ग्रामीणों की मांग पर लगाया गया था पिंजरा
18 अक्टूबर को यहां (लखावली) तालाब के पास दोपहर में एक बकरी का लेपर्ड ने शिकार किया था। लोगों ने वहां शोर मचाया तो लेपर्ड बकरी वहीं छोड़ भाग गया। इस बीच गांव वालों की मांग पर वन विभाग ने वापस 19 अक्टूबर को पहाड़ी पर पिंजरा लगाया, जिसमें लेपर्ड 21 अक्टूबर को कैद हो गया था।

ग्रामीणों को लगातार दिखते हैं लेपर्ड
सरपंच डांगी ने बताया कि राजस्व गांव लखावली और आगे पहाड़ी के पास भीलवाड़ा गांव में लेपर्ड की आवाजाही से लोगों में दहशत है। आशंका है कि यहां करीब 4 लेपर्ड हैं। ये ग्रामीणों को अक्सर दिखते भी हैं।

राठौड़ों का गुड़ा 15 किलोमीटर दूर पड़ता है
लखावली से राठौड़ों का गुड़ा गांव करीब 15 किलोमीटर दूर पड़ता है। राठ़ौड़ों का गुड़ा में ही एक पुजारी और एक महिला लेपर्ड के शिकार हुए थे। उसके बाद वन विभाग की टीमें वहां 20 दिन से ज्यादा समय से लगी हुई है। 20 अक्टूबर को लियो का गुड़ा में सीसीटीवी में एक लेपर्ड को रात के समय देखा गया था। वहां से लखावली के बीच की दूरी 13 किमी है।

मदार और राठौड़ों का गुड़ा में लगे हैं 18 पिंजरे
इस समय मदार में 5 और राठौड़ों का गुड़ा में 13 सहित उस इलाके में कुल 18 पिंजरे लगे हुए हैं। अब टीमें छोटे-छोटे ग्रुप में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। मदार, बड़ी पंचायत, सज्जनगढ़ सेंचुरी और बड़ी तालाब के पास है। लेपर्ड इन तालाबों का पानी पीने आते हैं। इसलिए इनका मूवमेंट आसपास के इलाकों में बना रहता है।

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