13 मई की शाम को जब धमाके हुए, मैं बड़ी चौपड़ पर आमेर जाने के लिए बस का इंतजार कर रहा था। अचानक बम धमाके सुनाई दिए। लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे पेट में गोली मार दी हो.... मेरी जांघ में जलन होने लगी और फिर मैं बेहोश हो गया.... उस काली रात ने मेरी पूरी जिंदगी को अंधकार से भर दिया।
यह कहते हुए चांदपोल निवासी देवीलाल की आंखों से आंसू बहने लगे। देवीलाल चांदपोल हनुमान मंदिर के सामने फूल बेचते हैं। देवीलाल बताते हैं कि उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। पहले तो जैसे-तैसे गुजारा हो जाता था, लेकिन अब तबीयत खराब होने के कारण रोजगार लगभग खत्म हो गया है। छह महीने तक अस्पताल में इलाज चला।
आज भी छर्रे उनके पेट और जांघ में फंसे हुए हैं, जो कई सर्जरी के बाद भी नहीं निकल पाए। मदद के नाम पर तत्कालीन सीएम वसुंधरा राजे सरकार ने सिर्फ एक लाख रुपए दिए। पत्नी के नौकरी करने से घर चल रहा है। अभी तक सिर्फ एक बेटी की सगाई हुई है। बच्चों की शादी और भविष्य की चिंता हमें दिन-रात खाए जा रही है। सरकार से मदद की उम्मीद अभी भी जिंदा है।
You may also like
अमेरिका और सऊदी अरब के बीच 142 अरब डॉलर का हथियार सौदा
ये उकसावे की बातें... पीएम नरेंद्र मोदी की फटकार से बौखलाया पाकिस्तान, दुनिया से करने लगा ये नई अपील
न अमेरिका न चीन... इस दौड़ में भारत बना नंबर 1, कोई दूर-दूर तक नहीं, उड़ा दिया गर्दा
सफेद जर्सी में दिखेंगे RCB फैंस? IPL 2025 में विराट को लेकर बड़ा ट्रिब्यूट प्लान? जानिए क्या है सच्चाई
रोहित-विराट के सन्यास के बाद अश्विन भी हैं हैरान, कहा - सच में ये गौतम गंभीर युग की है शुरुआत