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सेंसर बोर्ड के चुंगल में फंसी उदयपुर फाइल्स! फिल्म में लगा डाले 150 कट, पूरे विवाद पर सामने आया कन्हैयालाल के बेटे का बयान

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उदयपुर का चर्चित कन्हैयालाल हत्याकांड, जिसमें 22 जून 2022 को कन्हैयालाल दर्जी की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इसी घटना पर आधारित एक फिल्म उदयपुर फाइल्स बनाई गई है, जो 11 जुलाई को रिलीज होने जा रही है। रिलीज से पहले ही फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' इन दिनों सुर्खियों में है, क्योंकि इसे लेकर विवाद शुरू हो गया है। एक तरफ फिल्म के निर्देशक और निर्माता कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्हें सेंसर बोर्ड से भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

खास बातचीत के दौरान फिल्म के निर्देशक भरत श्रीनेत ने कहा, "लोग बिना फिल्म देखे कैसे अंदाजा लगा सकते हैं कि फिल्म में क्या है? यह मेरा पहला सवाल है। दूसरी बात यह है कि मैंने फिल्म को सेंसरशिप के लिए भारतीय सेंसर बोर्ड को दिया है, किसी और को नहीं। जो लोग विरोध कर रहे हैं, वे तय नहीं करेंगे कि फिल्म चलेगी या नहीं। सेंसर बोर्ड के अपने नियम और शर्तें हैं, वे इस बात का ध्यान रखते हैं कि हमें क्या रखना है और क्या नहीं रखना है।" निर्देशक ने सीन हटाने के बारे में पूछा

निर्देशक भरत श्रीनेत ने कहा, "मेरी फिल्म में 150 कट लगाए गए हैं। मुझे करीब दो महीने तक सेंसर बोर्ड के चक्कर लगाने पड़े। यह फिल्म किसी धर्म के बारे में नहीं बल्कि एक विचार और सच्चाई के बारे में है।" किसी भी फिल्म के लिए 150 कट बहुत बड़ी संख्या होती है। फिल्म निर्माण और इसकी प्रक्रिया को समझने वाले जानते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में कट लगाने के बाद फिल्म की निरंतरता बनाए रखना बहुत मुश्किल होता है।

अब इन कटों का फिल्म की कहानी और गुणवत्ता पर क्या असर पड़ता है, यह तो फिल्म देखने के बाद ही साफ होगा। यह भी साफ है कि जो विवाद शुरू हुआ, वह बिना सेंसर किए ट्रेलर की वजह से हुआ। अब जब सेंसर बोर्ड ने कई कट लगाने के बाद फिल्म को सर्टिफिकेट दे दिया है, तो इसका मतलब है कि वे सभी सीन हटा दिए गए हैं, जिनसे समाज में विवाद या तनाव पैदा होने की संभावना थी। इसके बावजूद यह देखना बाकी है कि कोर्ट फिल्म पर क्या फैसला देता है और यह फिल्म तय तारीख पर सिनेमाघरों में पहुंचती है या नहीं।

कन्हैयालाल के बेटे ने दी प्रतिक्रिया

इस पर कन्हैयालाल के बेटे का कहना है कि यह किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है। यह पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे आतंकवाद के खिलाफ है। उनका यह भी कहना है कि यह फिल्म सभी को देखनी चाहिए क्योंकि इसमें दिखाया गया है कि कैसे उनके पिता की हत्या कर दी गई और तीन साल बाद भी हत्यारे को फांसी नहीं दी गई। यश कहते हैं कि यह आतंकवाद के खिलाफ फिल्म है न कि किसी समुदाय के खिलाफ।

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