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31 मई तक टली अजमेर दरगाह में मंदिर के दावे के मामले की सुनवाई, अल्पसंख्यक मंत्रालय और ASI ने प्रार्थना- पत्र पेश करते हुए की ये मांग

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अजमेर दरगाह के नीचे गर्भगृह में शिव मंदिर होने के दावे पर शनिवार को सुनवाई टल गई। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 31 मई दी है। इससे पहले सरकारी विभागों को दरगाह में चादर पेश नहीं करनी चाहिए। इसको लेकर वादी विष्णु गुप्ता की ओर से स्थगन प्रार्थना पत्र पेश किया गया था। जिस पर आज अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय और एएसआई ने कोर्ट में अपना जवाब पेश किया। प्रतिवादी संख्या 2 और 3 की ओर से प्रार्थना पत्र पेश किया गया। उक्त प्रार्थना पत्र में यूनियन ऑफ इंडिया के नाम से प्रार्थना पत्र पेश नहीं किया गया है, इसलिए इसे खारिज किया जाए।

जिसको लेकर वादी विष्णु गुप्ता जवाब पेश करेंगे। अधिवक्ता योगेंद्र ओझा ने बताया-शनिवार को दरगाह मामले पर सुनवाई होनी थी। प्रार्थना पत्र और जिला कोर्ट के नए भवन के उद्घाटन के कारण सुप्रीम कोर्ट के वकील नहीं आए और नए प्रार्थना पत्र पेश होने के कारण जवाब के लिए सुनवाई टाल दी गई। लेकिन जिला बार एसोसिएशन ने बिजयनगर की घटना को लेकर अजमेर बंद का समर्थन किया था। इसके चलते सुनवाई टल गई। बता दें कि हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दरगाह में मंदिर होने के दावे को लेकर याचिका दायर की थी। इसके बाद दरगाह कमेटी ने कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इस याचिका को खारिज करने की मांग की थी। वहीं, अजमेर दरगाह से जुड़ी अंजुमन कमेटी ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के दावे के तीन आधार...
दरवाजों की संरचना और नक्काशी: दरगाह में मौजूद बुलंद दरवाजे की संरचना हिंदू मंदिरों के दरवाजों जैसी है। नक्काशी को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पहले हिंदू मंदिर रहा होगा।
ऊपरी संरचना: दरगाह की ऊपरी संरचना को देखें तो यहां भी हिंदू मंदिरों के अवशेष जैसी चीजें नजर आती हैं। गुंबदों को देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां हिंदू मंदिर को तोड़कर दरगाह बनाई गई है।
पानी और झरने: जहां भी शिव मंदिर होता है, वहां पानी और झरने जरूर होते हैं। यहां (अजमेर दरगाह) भी ऐसा ही है।

संस्कृत पुस्तक का अनुवाद पेश करने का दावा
विष्णु गुप्ता ने दावा किया कि मेरे पास 1250 ई. में लिखी गई पृथ्वीराज विजय नामक पुस्तक है। यह पूरी पुस्तक संस्कृत में लिखी गई है। इस पुस्तक को हिंदी अनुवाद के साथ कोर्ट में पेश भी किया जाएगा। इसमें अजमेर का इतिहास भी लिखा हुआ है।
गुप्ता ने कहा-वरशिप एक्ट एक कानून है। वकील वरुण कुमार सेना ने सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर बहस की है। वे कोर्ट में साक्ष्य और तर्क पेश करेंगे।वरशिप एक्ट कानून मस्जिद, मंदिर, चर्च और गुरुद्वारों पर लागू होता है। अजमेर दरगाह वर्शिप एक्ट के दायरे में नहीं आती। यह एक धार्मिक स्थल है। कानून की नजर में इन्हें अधिकृत धार्मिक स्थल कहा जाता है। एसपी वंदिता राणा के निर्देश पर गुप्ता को सुरक्षा मुहैया कराई गई।

कौन हैं विष्णु गुप्ता?
हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि अजमेर दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर है। इस याचिका को सिविल कोर्ट ने 27 नवंबर 2024 को स्वीकार कर लिया था। इस मामले में अजमेर सिविल कोर्ट ने अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को नोटिस भेजा था। इसके बाद अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान, गुलाम दस्तगीर अजमेर, ए इमरान बैंगलोर और राज जैन होशियारपुर पंजाब ने खुद को पक्षकार बनाने के लिए आवेदन किया था। इस मामले में 24 जनवरी तक दो सुनवाई हो चुकी हैं। याचिका में सेवानिवृत्त न्यायाधीश हरबिलास सारडा द्वारा 1911 में लिखी गई पुस्तक अजमेर: ऐतिहासिक और वर्णनात्मक का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि दरगाह के निर्माण में मंदिर के मलबे का इस्तेमाल किया गया था। यह भी कहा गया कि गर्भगृह और परिसर में जैन मंदिर था।

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