राजस्थान के दौसा में लालसोट क्षेत्र के निर्झरना गांव में स्थित काली डूंगरी हनुमान मंदिर क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक स्थलों में गिना जाता है। यहां श्री राम जानकी धाम मंदिर के निर्माण के करीब 10 साल बाद अब भव्य हनुमान मंदिर निर्माण का सपना भी साकार होने जा रहा है। काली डूंगरी हनुमान मंदिर के संत अवधेशदास के सानिध्य में जन सहयोग से काली डूंगरी हनुमान मंदिर पर भव्य मंदिर का निर्माण कार्य पिछले साढ़े चार साल से लगातार चल रहा है।
अब यह कार्य लगभग अंतिम चरण में पहुंच चुका है और यहां करीब 200 वर्ग गज में भव्य मंदिर आकार लेता नजर आ रहा है, जो लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है। मंदिर के निर्माण कार्य की शुरुआत में इसकी लागत करीब 3 करोड़ रुपए आंकी गई थी, लेकिन अब मंदिर के आकार लेने के साथ ही लागत भी बढ़ने लगी है और अब इस पूरे कार्य की लागत 5 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। करीब 80 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है। इस पूरे मंदिर का निर्माण मकराना के सफेद संगमरमर के पत्थर से किया जा रहा है और देश के विभिन्न राज्यों से आए मजदूर इसके निर्माण में लगे हुए हैं।
संगमरमर के पत्थर पर की गई बारीक नक्काशी ने मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए हैं। मंदिर के गर्भगृह के अंदर और बाहर कुछ काम बाकी है।जो अगले छह महीने में पूरा हो जाएगा और उम्मीद है कि अगले साल फरवरी में श्री राम जानकी धाम मंदिर के दसवें पाटोत्सव के अवसर पर यहां हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। संत ने कहा कि यह मंदिर पूरे क्षेत्र के भक्तों के जन सहयोग से बनाया जा रहा है।
भक्त के बुलाने पर हनुमानजी पहाड़ी से नीचे आए थे
महंत अवधेशदास ने बताया कि 150 साल पहले यहां काली डूंगरी पहाड़ी पर हनुमान जी की मूर्ति विराजमान थी। निर्झरना गांव निवासी चौबे परिवार की एक महिला भक्त प्रतिदिन पहाड़ी पर जाकर हनुमान जी की पूजा करती थी। जब महिला बूढ़ी हो गई और पहाड़ी पर चढ़ने में उसे परेशानी होने लगी तो एक दिन उसने हनुमान जी से पहाड़ी से नीचे उतरने की प्रार्थना की, ताकि वह प्रतिदिन उनके दर्शन और पूजा कर सके। अपने भक्त की पुकार सुनकर हनुमान जी स्वयं नीचे आए और हनुमान जी की मूर्ति उस स्थान पर स्थापित की गई, जहां आज हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। मंदिर पर करीब 25 वर्षों से अखंड रामायण पाठ चल रहा है और अखंड ज्योति निरंतर जारी है।
शिलान्यास के साथ ही संत अवधेशदास ने त्याग दिया था अन्न
इस मंदिर से जुड़े कई भक्तों ने बताया कि करीब साढ़े चार साल पहले 23 फरवरी 2021 को जब हनुमान मंदिर के निर्माण कार्य का शिलान्यास हुआ था, उसी दिन से संत अवधेशदास ने अन्न भी त्याग दिया था और तब से वे केवल फलाहार ले रहे हैं। भक्तों ने बताया कि संत अवधेशदास का प्रण है कि वे मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही अन्न ग्रहण करेंगे।
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