सोमवार को संसद के मानसून सत्र में पहलगाम हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर लोकसभा में चर्चा शुरू हुई.
इस चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की. इस चर्चा के दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के मन में ग़लतफ़हमी थी, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' ने दूर कर दिया है.
इससे पहले, विपक्षी दलों के विरोध और लोकसभा में बिहार में एसआईआर पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही को स्थगित भी करना पड़ा.
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि सरकार पहलगाम हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर चर्चा नहीं कराना चाहती है और इसकी सच्चाई देश के सामने नहीं लाना चाहती है.
हालांकि दोपहर में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में चर्चा शुरू हुई. सरकार के तरफ से इस बहस की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की. आइए जानते हैं बहस में हिस्सा ले रहे प्रमुख नेताओं ने क्या-क्या कहा?
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"पाकिस्तान के साथ कोई संघर्ष नहीं है. यह सभ्यता बनाम बर्बरता का संघर्ष है. अगर कोई हमारी संप्रभुता को नुक़सान पहुंचाएगा तो उसे करारा जवाब दिया जाएगा.
हमारी मूल प्रकृति बुद्ध की है, युद्ध की नहीं. हम आज भी कहते हैं कि समृद्ध पाकिस्तान हमारे हित में है. नरेंद्र मोदी सरकार का रुख़ स्पष्ट है- बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते.
हमारी सरकार ने भी पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए कई प्रयास किए हैं. लेकिन बाद में, 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक और साल 2025 के ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से, हमने शांति स्थापित करने के लिए दूसरा रास्ता अपनाया है.
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पागलपन नहीं, सोची-समझी साजिश का हिस्सा है. यह एक टूलकिट है, जिसे पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों ने एक नीति के तहत अपनाया हुआ है."
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"हम सरकार के दुश्मन नहीं हैं, हम आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में आज भी सरकार के साथ हैं, लेकिन सच्चाई सामने आनी चाहिए. हमें उम्मीद थी कि गृह मंत्री नैतिक जिम्मेदारी लेंगे और प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) पूरे घटनाक्रम की जानकारी देंगे.
हम सब एकजुट हुए और पूरा समर्थन पीएम मोदी को दिया. पूरा देश पीएम मोदी जी के साथ था लेकिन 10 मई को सूचना आती है कि सीजफ़ायर हो गया. क्यों हुआ? पहले 21 टार्गेट चुने गए थे और फिर नौ क्यों हुए?
पाकिस्तान वास्तव में अगर घुटने टेकने के लिए तैयार था, तो आप क्यों रुके, आप क्यों झुके. किसके सामने आपने सरेंडर किया?
अमेरिका के राष्ट्रपति 26 बार कह चुके हैं कि हमने जंग रुकवाई. राष्ट्रपति ट्रंप यह कह चुके हैं कि पांच-छह जेट गिरे हैं. आप बताइए कि कितने जेट गिरे?"
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"कभी सुना है क्रिकेट में कोई प्लेयर 90 रन बनाकर खेल रहा है, तो कोई बोलेगा कि हम पारी खत्म करते हैं. ऐसा केवल मोदी जी कर सकते हैं और कोई नहीं. मोदी जी आप कृपा करके क्रिकेट के मैच में मत घुसिएगा.
140 करोड़ लोग कह रहे हैं कि युद्ध कीजिए और आपने अमेरिकी राष्ट्रपति से कह दिया कि आप युद्ध बंद कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री जी आपने एक बार भी अपने 'एक्स' हैंडल पर क्यों नहीं लिखा कि 'नहीं, आप (ट्रंप) ग़लत हैं. राष्ट्रपति (अमेरिकी) महोदय आपने जो कहा है, वो ग़लत है.'
आप ऐसा करने की हिम्मत नहीं दिखा पाए. आप अमेरिकी राष्ट्रपति से इतना घबराते क्यों हैं? इतिहास आपको कभी माफ़ नहीं करेगा.
आप हर जगह ब्रांडिंग करते हैं. यहां भी आपने ब्रांडिंग की 'ऑपरेशन सिंदूर.'"
ललन सिंह, सांसद (जेडीयू)"मैंने गौरव गोगोई का भाषण सुना. मुझे लगा था कि वे कुछ ठोस बात कहेंगे, लेकिन उन्होंने एक भी उपयोगी शब्द नहीं कहा. उन्होंने एक बार भी हमारे सशस्त्र बलों की प्रशंसा नहीं की.
आप देशभक्ति की बात करते हैं. आप बता रहे हैं कि कितने जहाज गिरे. कितने मिसाइल गिरे इस पर चर्चा कर रहे हैं. इस देश के सैनिकों का कोई महत्व नहीं है आपकी नज़र में?
आप वोट के लिए राजनीति करते हैं और मोदी जी देश के लिए राजनीति करते हैं, अंतर यहां है.
6 और 7 मई को जो 'ऑपरेशन सिंदूर' हुआ, उससे पाकिस्तान हक्का-बक्का रह गया. पाकिस्तान को ये उम्मीद नहीं थी."
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"मैं कुछ दिनों के लिए मंत्री था. मैं कश्मीर गया था इलेक्ट्रिक बसों के उद्धाटन के मौक़े पर. उस दिन वहां चप्पे-चप्पे पर सशस्त्र जवान खड़े थे.
ऐसा क्या हुआ कि उस दिन पहलगाम में कोई सशस्त्र जवान नहीं था. हमारे टूरिस्ट वहां आए हुए हैं और पुलिस भी वहां नहीं है? ये किसने आदेश दिए थे कि वहां जवान नहीं रहेंगे? जांच वहां से शुरू होनी चाहिए.
हमारा ख़ुफ़िया तंत्र.. वहां से पाकिस्तान कितनी दूर है, क्या ये आतंकवादी नेपाल से वहां गए थे?
पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद ने हमला किया और चालीस जवान शहीद हुए, आज तक इसकी जांच नहीं हुई है. आज तक नहीं पकड़े गए.
'सिंदूर' नाम देते हैं, लोगों से भावनात्मक खेल खेलते हैं. सिंदूर किसका छीना गया, हमारी बहनों का छीना गया. जिन लोगों ने सिंदूर छीना उन्हें आज तक नहीं पकड़ पाए आप."
एस जयशंकर (विदेश मंत्री)"पहलगाम हमले के बाद एक स्पष्ट, करारा, साहस भरा संदेश देना अहम था. हमारी रेड लाइन को पार किया गया था और हमें यह स्पष्ट करना था कि इसके गंभीर नतीजे होंगे.
हमने पहले कदम के तौर पर 23 अप्रैल को सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक की. उस बैठक में एक फ़ैसला लिया गया कि साल 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से तब तक स्थगित रखा जाएगा, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को पक्के तौर पर छोड़ नहीं देता..
यह बिल्कुल स्पष्ट था कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी के शुरुआती कदमों के बाद भी, पहलगाम हमले पर भारत की प्रतिक्रिया यहीं नहीं रुकेगी.
कूटनीतिक और विदेश नीति के लिहाज से हमारा काम पहलगाम हमले के बारे में दुनिया को सही जानकारी देनी थी.
हमने पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद के इतिहास को दुनिया के सामने रखने का प्रयास किया.
हमने पाकिस्तान में आतंकवाद के इतिहास पर प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह से यह (पहलगाम) हमला जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को निशाना बनाने और भारत के लोगों के बीच सांप्रदायिक शत्रुता फैलाने के लिए किया गया था."
प्रणीति सुशीलकुमार शिंदे (कांग्रेस सांसद)"मैं आज इस सदन में क्रोध, वेदना और अपमान की भावना लेकर खड़ी हूं. अपमान उन सिपाहियों का जिनको सीज़फ़ायर के ऑर्डर अपने देश के प्रधानमंत्री से नहीं, बल्कि एक विदेशी से मिले.
वेदना उन परिवारों की जिन्होंने पहलगाम के आतंकवादी हमले में अपने परिजनों को खो दिया और क्रोध इस सरकार पर जो आज तक पहलगाम के आतंकी हमलावरों को नहीं पकड़ पाई है और न ही उनके कुछ सुराग ढूंढ पाई है.
ऑपरेशन सिंदूर नाम सुनने में देशभक्ति का लगता है, लेकिन असल में ये सिर्फ मीडिया पर किया सरकार का एक तमाशा था. कोई नहीं बता रहा है कि इस ऑपरेशन में हासिल क्या हुआ?
कितने आतंकवादी पकड़े गए, हमारे कितने फ़ाइटर जेट गिराए गए किसकी ग़लती है, कौन जिम्मेदार है इसका हिसाब देने का दायित्व सरकार का है.
ये सरकार सवाल सुनना ही नहीं चाहती है. पहलगाम के आतंकवादी हमले में मारे गए बेगुनाहों की चिता अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि देश के प्रधानमंत्री बिहार में चुनावी रैली संबोधित करने चले गए."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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