नेपाल की राजधानी काठमांडू में सोशल मीडिया पर बैन और कथित राजनीतिक भ्रष्टाचार को लेकर प्रदर्शन में कई लोगों की मौत के बाद आलोचना का सामना कर रहे गृह मंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया है.
उन्होंने सोमवार रात प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया. हालाँकि, बैठक में शामिल दो मंत्रियों ने बीबीसी की नेपाली सेवा को बताया कि प्रधानमंत्री ने अभी तक उनका इस्तीफ़ा स्वीकार नहीं किया है.
वहीं दिन में युवाओं और पुलिस के बीच झड़पों में कम से कम 17 लोगों की मौत की ख़बर है. देशभर में कुल 19 लोगों की मौत हुई है.
पुलिस के हवाले से बीबीसी नेपाली सेवा के संवाददाता ने बताया कि काठमांडू के अलावा पूर्वी शहर इटहरी में दो लोगों की मौत हुई है.

अधिकतर घायलों को न्यू बनेश्वर स्थित सिविल सर्वेंट्स अस्पताल ले जाया गया है.
काठमांडू से स्थानीय पत्रकार नरेश ज्ञवाली ने फ़ोन पर बीबीसी हिंदी के संवाददाता दिलनवाज़ पाशा को बताया, "कम से कम डेढ़ सौ घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में ले जाया गया."
उन्होंने आगे कहा, "कई जगहों पर कर्फ़्यू लगा है, सेना भी सड़क पर है, भारी झड़पें हुई हैं. इसके बावजूद प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटे हैं और मौत की रिपोर्ट्स आने के बाद भी प्रदर्शन जारी हैं."
प्रशासन ने कई जगहों पर कर्फ़्यू लगाया है. ख़ुद को 'जेन ज़ी' यानी नई पीढ़ी बताने वाले प्रदर्शनकारी सिस्टम में फैले कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठा रहे हैं.
इस बीच नेपाल के सूचना मंत्री ने ऐसे संकेत दिए हैं कि सोशल मीडिया बैन के फ़ैसले पर पुनर्विचार किया जा सकता है.

सोमवार सुबह हज़ारों प्रदर्शनकारी काठमांडू के सिंह दरबार में इकट्ठा हुए और फिर न्यू बनेश्वर स्थित संसद भवन की ओर बढ़े.
बीबीसी संवाददाता केशव कोइराला के अनुसार, कुछ प्रदर्शनकारी बैरिकेड पार कर संसद भवन परिसर में घुसने की कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान झड़पें हुईं और पुलिस ने बल प्रयोग किया.
राष्ट्रपति भवन, शीतल निवास, नारायण दरबार संग्रहालय, प्रधानमंत्री आवास और संसद भवन के आसपास रात दस बजे तक कर्फ़्यू रहेगा. प्रवक्ता के अनुसार, प्रदर्शनकारी अराजक हो गए हैं और निषेधाज्ञा तोड़ रहे हैं.
कर्फ़्यू बढ़ाने की घोषणा के तुरंत बाद नेपाल सेना की टुकड़ी सड़कों पर तैनात कर दी गई. नेपाल सेना के प्रवक्ता सहायक जनरल राजाराम बसनेत ने कहा, "लिखित आदेश मिलने के बाद एक छोटा सैन्य दल शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भेजा गया है."
अधिकारियों का कहना है कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसने की कोशिश की. इस दौरान हिंसा की रिपोर्ट्स हैं और कई घायलों को अस्पताल ले जाया गया.
नेपाल से आ रही तस्वीरों और वीडियो में हज़ारों प्रदर्शनकारी नज़र आ रहे हैं. प्रदर्शन में शामिल एक छात्रा के हाथ में बैनर था, जिस पर लिखा था, "भूकंप की ज़रूरत नहीं है, नेपाल रोज़ भ्रष्टाचार से हिलता है."
युवा भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी भी कर रहे थे. कुछ महीने पहले नेपाल में राजशाही बहाल करने के लिए भी आंदोलन हुआ था. उस दौरान भी प्रदर्शनकारियों ने सिस्टम में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था.
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नेपाल सरकार ने बीते सप्ताह 26 प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था. इनमें फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे चर्चित सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफ़ॉर्म शामिल हैं.
सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियों को देश के क़ानूनों का पालन करने, स्थानीय दफ़्तर खोलने और ग्रीवांस अधिकारी नियुक्त करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था.
चीन की सोशल मीडिया कंपनी टिकटॉक ने समय रहते इन शर्तों का पालन कर लिया, इसलिए टिकटॉक पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया.
नेपाल में बड़ी संख्या में लोग विदेशों में रहते हैं. मैसेजिंग ऐप और सोशल मीडिया पर बैन के बाद विदेशों में रह रहे नेपाली नागरिकों को परिवार से संपर्क करने में दिक़्क़तें आ रही हैं.
सोशल मीडिया वेबसाइटों पर प्रतिबंध के बाद युवाओं ने प्रदर्शन का आह्वान किया.
नेपाल में इस समय टिकटॉक चल रहा है. आयोजकों ने टिकटॉक पर कई वीडियो शेयर कर युवाओं से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की.
टिकटॉक पर 'नेपो बेबी' ट्रेंड भी चलाया गया, जिसमें नेताओं के बच्चों के ऐशो-आराम भरे जीवन की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए गए. इसमें सवाल उठाया गया कि राजनेता अपने बच्चों को तो फ़ायदा पहुंचा रहे हैं लेकिन देश के लिए काम नहीं कर रहे.
कई वीडियो में नेपाल के दूर-दराज़ इलाक़ों में रहने वाले लोगों के कठिन जीवन और नेताओं के आरामदायक जीवन की तुलना भी की गई.
बीते गुरुवार नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंध लागू किया था. इसके बाद से युवा इसके ख़िलाफ़ अभियान चला रहे हैं.
हालांकि इन प्रदर्शनों का कोई केंद्रीय नेतृत्व नहीं है, लेकिन कई युवा समूह भीड़ जुटा रहे हैं. ये समूह कार्रवाई का आह्वान और ऑनलाइन अपडेट जारी कर रहे हैं.
नेपाल के प्रमुख शहरों काठमांडू, पोखरा और इटहरी के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के छात्रों को वर्दी पहनकर और किताबें हाथ में लेकर प्रदर्शन में शामिल होने के लिए बुलाया गया है.
सोशल मीडिया पर शेयर किए जा रहे वीडियो में स्कूली बच्चों को भी मार्च में हिस्सा लेते हुए दिखाया गया है.
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उनकी दो मांगें बिलकुल साफ़ हैं. पहली- सरकार सोशल मीडिया से तुरंत प्रतिबंध हटाए, दूसरा- प्रदर्शनकारी जिन 'भ्रष्ट कार्यप्रणाली' की बात कर रहे हैं अधिकारी उसे तुरंत रोकें.
प्रदर्शनकारियों में अधिकतर कॉलेज के छात्र शामिल हैं, जो सोशल मीडिया पर रोक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाला बताते हैं.
एक 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा बीनू केसी ने बीबीसी नेपाली से कहा, "हम नेपाल में भ्रष्टाचार को ख़त्म होते देखना चाहते हैं."
"चुनावों के दौरान नेता वादा करते हैं लेकिन उसे पूरा नहीं करते. वे बहुत सी समस्याओं की जड़ हैं."
वह आगे कहती हैं कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध से उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई है क्योंकि इससे ऑनलाइन क्लासेज़ और पढ़ाई की सामग्री तक सीमित पहुंच हुई है.
एक कंटेंट क्रिएटर सुभाना बुधाथोकी ने कहा, "जेन ज़ी अब नहीं रुकेगा. यह प्रदर्शन सिर्फ़ सोशल मीडिया को लेकर ही नहीं है. यह हमारी आवाज़ दबाने को लेकर है और हम यह होने नहीं देंगे."
देश भर में पुलिस की निगरानी
नेपाल पुलिस सिर्फ़ काठमांडू ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों में निगरानी कर रही है.
पुलिस प्रवक्ता बिनोद घिमिरे के अनुसार, सोमवार सुबह से काठमांडू और कई प्रमुख शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
घिमिरे ने बीबीसी न्यूज़ नेपाली से कहा, "सिर्फ़ काठमांडू ही नहीं, कई और शहरों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं. पुलिस बल इनकी निगरानी कर रहा है. शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर पहलू का ध्यान रखते हुए योजना बनाई गई है और बल तैनात किए गए हैं."
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नेपाल सरकार में सूचना मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरूंग ने कहा है कि सोशल मीडिया प्रतिबंध के फ़ैसले पर पुनर्विचार करने को लेकर चर्चा चल रही है.
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है. सूचना और प्रसारण मंत्री गुरूंग ने बीबीसी न्यूज़ नेपाली से कहा कि इस बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा होगी.
उन्होंने कहा, "जनता की जान से बड़ा सरकार का कोई फ़ैसला नहीं हो सकता. हमारे लिए जनता की जान सबसे अहम है. अगर ज़रूरत पड़ी तो सरकार के नीतिगत फ़ैसलों पर भी पुनर्विचार किया जा सकता है. अड़े रहने का कोई मतलब नहीं है."
मंत्री गुरूंग ने यह भी कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटाने का प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ाया है, लेकिन इस पर बातचीत चल रही है.
उन्होंने कहा है, "बातचीत हो रही है. मंत्रिपरिषद कोई न कोई निर्णय ज़रूर करेगी."
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इस प्रदर्शन को लेकर अलग-अलग तरह का नज़रिया सामने आ रहा है. कुछ लोग इसे नई पीढ़ी की 'राजनीतिक चेतना' बता रहे हैं, जबकि सत्ताधारी दलों का कहना है कि इस प्रदर्शन का दुरुपयोग हो सकता है, इसलिए सतर्क रहना ज़रूरी है.
युवाओं के बीच लोकप्रिय काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने सोशल मीडिया के ज़रिए प्रदर्शन का समर्थन किया है.
नेपाल की पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल 'प्रचंड' ने कहा है, "भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर रोक के ख़िलाफ़ युवाओं का प्रदर्शन स्वाभाविक है."
उन्होंने अपने एक्स पोस्ट में कहा है, ''आज जेन-ज़ी पीढ़ी के प्रदर्शन के दौरान हुई दुखद घटना ने मुझे स्तब्ध और गंभीर बना दिया है. पुलिस की गोली से मारे गए युवाओं को मैं हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ. घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूँ."
प्रदर्शन से ठीक पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस ओर इशारा किया था कि 'जेन ज़ी' पीढ़ी का दुरुपयोग किया जा सकता है, इसलिए सतर्क रहने की ज़रूरत है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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