एलन मस्क की टेस्ला ने मंगलवार को भारत में अपनी कार लॉन्च कर दी है.
टेस्ला ने मुंबई में अपना पहला शो-रूम खोला. सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक़ टेस्ला के साउथईस्ट डायरेक्टर इसाबेल फ़ैन ने घोषणा की कि कंपनी जल्द ही राजधानी दिल्ली में भी शोरूम खोलेगी.
मस्क की टेस्ला कुछ समय से बिक्री में गिरावट से जूझ रही है. मस्क ऊंचे टैरिफ़ को लेकर भारत की आलोचना करते रहे हैं.
ऐसे में टेस्ला के भारतीय कार बाज़ार में उतरने को लेकर दुनिया भर के ऑटोमोबाइल सेक्टर में दिलचस्पी के साथ देखा जा रहा है. टेस्ला इंडिया को लेकर जानिए कुछ अहम सवालों के जवाब
कितनी होगी कार की क़ीमत?टेस्ला ने भारत में अपनी मॉडल वाय कार लॉन्च की है, जिसकी शुरुआती क़ीमत 70 हज़ार डॉलर यानी क़रीब 60 लाख रुपए होगी.
कस्टमर टेस्ला की आधिकारिक वेबसाइट के ज़रिए कार की बुकिंग करा सकते हैं जिनकी डिलीवरी इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्तूबर से दिसंबर) के बीच होने की संभावना है.
मस्क लंबे समय से भारत में टेस्ला को लाने की प्लानिंग कर रहे थे. उनकी योजना भारत में टेस्ला की फ़ैक्ट्री खोलने की भी थी.
टेस्ला की मॉडल Y रियर-व्हील ड्राइव की कीमत लगभग 60 लाख रुपये रखी गई है, जबकि मॉडल Y लॉन्ग-रेंज रियर-व्हील ड्राइव की कीमत 68 लाख रुपये है.
कंपनी की "फ़ुल सेल्फ-ड्राइविंग" सुविधा अतिरिक्त छह लाख रुपये में उपलब्ध होगी, जिसमें भविष्य में ऐसे अपडेट्स का वादा किया गया है जो वाहन को न्यूनतम मानव हस्तक्षेप के साथ चलाने में सक्षम बनाएंगे.
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भारत में जिस मॉडल की क़ीमत लगभग 60 लाख रुपए है उसी मॉडल की क़ीमत अमेरिका में 44,990 डॉलर यानी लगभग 39 लाख रुपए है, चीन में 36,700 डॉलर यानी 32 लाख रुपए और जर्मनी में 45,970 डॉलर यानी क़रीब 39 लाख 50 हज़ार रुपए है.
तो सवाल उठता है कि भारत में इसकी क़ीमत इतनी ज़्यादा क्यों है?
टेस्ला भारत में जिन कारों को ग्राहकों के लिए लेकर आएगी उनमें क़रीब 100 फ़ीसदी टैरिफ़ लगेगा. उसी की वजह से भारत में टेस्ला की जो कारें बिकेंगी उनकी क़ीमत इतनी ज़्यादा है.
टेस्ला के चीफ़ फाइनेंशियल ऑफ़िसर वैभव तनेजा ने अप्रैल में भारत में कंपनी की दिलचस्पी की बात कही थी. लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि, "भारत में कंपनी बहुत सोच-समझकर कदम उठाएगी क्योंकि यहां ईवी (इलेक्ट्रिक व्हीकल) आयात पर 70 फ़ीसदी का शुल्क और लगभग 30 फ़ीसदी का लग्ज़री टैक्स है."
इस ऊंचे टैक्स की वजह से टेस्ला को भारत में अपनी गाड़ियों की कीमतें इतनी ज़्यादा रखनी पड़ीं.
किन कंपनियों से होगा टेस्ला का मुक़ाबलाटेस्ला भारत में इलेक्ट्रिक कारों के छोटे और प्रीमियम ग्रुप को टारगेट कर रही है. ये भारत के कुल ऑटोमोबाइल मार्केट का 4 प्रतिशत है. जानकारों के मुताबिक़ टेस्ला, इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली घरेलू कंपनियों जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा से प्रतिस्पर्धा नहीं करेगी. उसका मुक़ाबला होगा बीएमडब्ल्यू और मर्सिडीज-बेंज़ जैसी कंपनियों की कारों से.
ज़्यादा उत्पादन क्षमता और घटती बिक्री से जूझ रही टेस्ला ने, अपनी इंपोर्टेड कारों को भारत में बेचने की रणनीति अपनाई है, भले ही उस पर भारी शुल्क देना पड़े. हालांकि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ़ को केंद्र में रखकर ट्रेड डील पर बात लगातार चल रही है.
सीएनबीसी केइनसाइड इंडिया कार्यक्रम में फ़्रोस्ट एंड सलीवन में मोबिलिटी सेक्टर के ग्लोबल क्लाइंट लीडर विवेक वैद्य ने कहा, "सवाल यह है कि क्या टेस्ला मास मार्केट को प्रभावित करेगी? इसका जवाब है नहीं, क्योंकि जो सबसे ज़्यादा बिकने वाली गाड़ियाँ हैं, उनकी कीमत शायद इस कीमत के दसवें हिस्से के बराबर हैं."
उन्होंने आगे कहा, "मैं यह नहीं कहूंगा कि ये कीमतें पूरी तरह से लोगों की पहुंच से बाहर हैं, क्योंकि भारत में हर प्राइस पॉइंट पर खरीदार मिल जाते हैं."
हालांकि, मुंबई में टेस्ला ने जो कारें प्रदर्शित की वो चीन में बनी हैं और ये कारें जिन फ़ैक्ट्रियों में बनी हैं वो भारत के लिए ज़रूरी दाहिने-स्टीयरिंग (राइट-हैंड ड्राइव) गाड़ियाँ नहीं बनाती हैं.
मंगलवार को, मुंबई के उस ऑफिस कॉम्प्लेक्स के बाहर मीडिया की भारी भीड़ लगी रही जहां टेस्ला का शोरूम खुला है.
इसके लॉन्च के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी पहुंचे.
फडणवीस ने कहा, "भविष्य में हम भारत में रिसर्च एंड डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग की उम्मीद करते हैं, और मुझे पूरा विश्वास है कि सही समय पर टेस्ला इसके बारे में ज़रूर सोचेगी."
आनंद महिंद्रा ने इस प्रतिस्पर्धा को सकारात्मक रूप में लिया और इसे इनोवेशन को आगे बढ़ाने वाला बताया.
उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, " एलन मस्क और टेस्ला भारत में आपका स्वागत है. दुनिया के सबसे बड़े ईवी अवसरों में से एक अब और भी रोमांचक हो गया है. प्रतिस्पर्धा इनोवेशन को जन्म देती है, और आगे एक लंबा रास्ता है. चार्जिंग स्टेशन पर मुलाक़ात का इंतज़ार रहेगा."
टेस्ला का सफ़रसाल 2018 में टेस्ला अपनी सस्ती इलेक्ट्रिक कार, मॉडल 3 के उत्पादन का विस्तार कर रही थी.
लेकिन इसमें गंभीर समस्याएं थीं, तिजोरी तेज़ी से खाली हो रही थी और कंपनी दिवालिया होने की कगार पर थी. कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर एलन मस्क दिन में 22-22 घंटे फैक्ट्री में गुज़ार रहे थे.
बाद में एक इंटरव्यू में एलन मस्क ने भी खुद माना कि कंपनी ख़त्म होने वाली थी.
लेकिन दो साल में हालात बदले. कार बाज़ार में उतरी भी नहीं थी और कंपनी के शेयर आश्चर्यजनक रूप से बढ़ रहे थे. इनमें 50 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी देखी गई.
2020 में लगातार चार तिमाही में कंपनी को प्रॉफिट हुआ. कोरोना महामारी के दौर में जब कार कंपनियां सेमीकंडक्टर की कमी से जूझ रही थीं, टेस्ला रिकॉर्ड प्रॉफिट कमा रही थी.
2021 में कंपनी का बाज़ार मूल्य 1.2 ट्रिलियन डॉलरतक हो गया और एपल, माइक्रोसॉफ्ट, एल्फ़ाबेट, अमेज़न के बाद टेस्ला दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियोंकी सूची में शुमार हो गई. कार कंपनियों में, ये सबसे तेज़ी से 1 ट्रिलियन के आंकड़े तक पहुंची थी और ब्रांड वैल्यू के मामले में भी सबसे बड़ी बन गई थी.
उत्पादन के मामले में टेस्ला, टोयोटा, फॉक्सवैगन, फोर्ड और होंडा जैसी कंपनियों सेकाफी पीछे थी, लेकिन इसका मूल्य टोयोटा, फॉक्सवैगन और होन्डा से कुल मूल्यसे अधिक हो गया था. यानी दो साल पहले ख़त्म होने की स्थिति में रही टेस्ला, दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनी बन गई.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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