अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की अलास्का में मुलाक़ात बेनतीजा रही.
लेकिन रूसी मीडिया इसे राष्ट्रपति पुतिन की कामयाबी के तौर पर पेश कर रहा है.
रूसी अख़बारों और वेबसाइटों पर छपी ख़बरों में इसे रूसी राष्ट्रपति की जीत बताया जा रहा है.
इन मीडिया संस्थानों का कहना है कि पुतिन यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस के नज़रिए से लक्ष्य के एक क़दम और क़रीब आ गए हैं.
बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
रूसी टैब्लॉयड मॉस्कोव्स्की कोम्सोमोलत्स की वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट में कहा गया, "पुतिन के साथ बातचीत ख़त्म होने के कुछ घंटों बाद ही ट्रंप ने लिखा कि सभी ने तय किया है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी इस भयावह युद्ध को शांति वार्ता के ज़रिए ख़त्म किया जा सकता है."
पुतिन से मुलाक़ात के बाद ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, "सभी ने तय किया कि रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे भयानक युद्ध को ख़त्म करने का सबसे अच्छा तरीका सीधे एक शांति समझौते तक पहुँचना है, सिर्फ युद्धविराम समझौता नहीं, जो अक़सर लंबे समय तक टिक नहीं पाता."
रूसी मीडिया के अनुसार ट्रंप ख़ुद इस नतीजे तक रूस के राष्ट्रपति के साथ बातचीत के बाद ही पहुंचे थे और यह साफ़ तौर पर रूस की कूटनीति की जीत की तरफ इशारा है.
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि रूस ने मांग की है कि यूक्रेन डोनबास के कुछ इलाकों से अपनी सेना हटाए.
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा है कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की सोमवार दोपहर वॉशिंगटन आ रहे हैं.
उन्होंने लिखा है, "अगर सब कुछ ठीक रहा तो उसके बाद हम राष्ट्रपति पुतिन के साथ बैठक का कार्यक्रम तय करेंगे."
ज़ेलेंस्की ने भी इसकी पुष्टि की है कि वो ट्रंप से मुलाक़ात करने वाले हैं. लेकिन अगर शांति समझौता न हो सका, तो क्या होगा?
मुझे लगता है कि इससे रूस को अधिक फ़र्क़ नहीं पड़ेगा क्योंकि पुतिन लगातार अपनी सेना की क्षमता पर भरोसा जताते रहे हैं. वो अपनी सेना का इस्तेमाल यूक्रेनी सेना को पीछे धकेलने के लिए कर रहे हैं और ऐसा करके पुतिन एक तरह से यूक्रेन को समझौते के लिए मजबूर करने की कोशिश कर रहे हैं.
- ट्रंप-पुतिन बैठक में नहीं हुआ कोई समझौता, लेकिन भारत के लिए ये हैं संकेत
- भारत को अमेरिका की चेतावनी: ट्रंप-पुतिन वार्ता नाकाम हुई तो बढ़ेंगे टैरिफ़

रूसी अख़बार कोम्सोमोल्स्काया प्राव्दा के अनुसार अलास्का की बैठक रूसी राष्ट्रपति के लिए कूटनीतिक जीत है.
अख़बार के अनुसार "यह साफ़ हो गया है कि पुतिन को ट्रंप के साथ आमने-सामने की बैठक की ज़रूरत थी ताकि रूस किसी कूटनीतिक जाल में न फंसे."
"यूक्रेन और यूरोप एक ही बात पर अपना दांव लगाए हुए हैं और वो ये है कि युद्धविराम से रूस को कोई फ़ायदा नहीं होगा. इसलिए पश्चिमी देश अपनी पूरी ताकत लगाकर बार-बार युद्धविराम की बात कर रहे हैं और अगर पुतिन इससे इनकार करते हैं तो यूक्रेन और यूरोप कहते हैं कि देखिए पुतिन युद्ध रोकना नहीं चाहते."
अख़बार लिखता है, "लेकिन ब्रिटेन, यूक्रेन और यूरोपीय संघ के इस विचार को पुतिन ने ट्रंप के साथ आमने-सामने की बैठक में पूरी तरह तोड़कर रख दिया है."
"उन्होंने ट्रंप को समझाया कि रूस शांति के समर्थन में है लेकिन युद्धविराम रूस के हित में नहीं है क्योंकि ऐसे में युद्ध के मैदान में रूस को जो बढ़त मिली है उस से उसे पीछे हटना होगा. ऐसे में क्यों न युद्धविराम से आगे बढ़कर शांति समझौते की बात की जाए."
"इस बीच जो वक़्त मिलेगा उसमें रूस अपनी कुछ समस्याएं सुलझा लेगा, जिनमें मोर्चे पर रूसी सेना की तैनाती से जुड़ी मुश्किलें हैं."
अख़बार के मुताबिक़, "यह व्लादिमीर पुतिन के लिए एक और बड़ी कूटनीतिक जीत है. हमारे सैनिकों को मौक़ा मिल रहा है कि वे शांति से रोज़ एक या कई रिहाइशी इलाक़ों को आज़ाद कर सकें, जबकि यूरोप और यूक्रेन शांति का विरोध कर रहे हैं."
लेखक ने यहां 'लिबरेट' यानी 'आज़ादी' शब्द का इस्तेमाल किया है, लेकिन असल में यह यूक्रेन के और अधिक हिस्सों पर कब्ज़ा करने की बात है.
कोम्सोमोल्स्काया प्राव्दा के अनुसार, "यह उतना ही अहम है कि जितना कि अलास्का में भाषण में रूसी राष्ट्रपति ने कहा था कि 'शांति लाने के लिए संकट की जड़ को ख़त्म करना ज़रूरी' है."
"रूस अपने लक्ष्य नहीं छोड़ रहा है. हां, शांति के लिए कुछ तार्किक रियायतें दी जा सकती हैं, जो ट्रंप के लिए साफ़ तौर पर अहम हैं, लेकिन जो सबसे ज़रूरी है उसे कभी नहीं छोड़ा जाएगा. सीधी बात यह है कि अलास्का में हुई बैठक रूस के लिए एक बड़ी जीत है, जो शांति चाहता है और ट्रंप के लिए भी, जो शांति और नोबेल पुरस्कार का सपना देखते हैं."
अमेरिका का ज़िक्र करते हुए अख़बार ने कहा, "अमेरिका के लिए भी यह जीत है, जो संघर्ष में भागीदार की भूमिका से हटकर अब आत्मविश्वास के साथ शांति स्थापित करने की भूमिका में बढ़ रहा है.
'व्यावहारिक समाधान अभी दूर है'रूसी अख़बार निजेवीसिमाया गज़ेता ने अपनी रिपोर्ट में रूस के प्रति अमेरिका की समझदारी की ओर इशारा किया है.
अख़बार ने लिखा, "एंकोरेज की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पुतिन ने कहा कि बातचीत में सबसे अहम, सबसे मायने रखने वाली बात यह रही कि 'अमेरिकी राष्ट्रपति रूस के राष्ट्रीय हितों को समझते हैं.' यही बात आगे की अंतरराष्ट्रीय स्थिति, संघर्ष समाधान और आगामी संबंधों के विकास की चाबी है. कम से कम अगले साढ़े तीन साल रूस के लिए सबसे अच्छा समय होगा. अलास्का में जो हुआ वह रूस के ख़िलाफ़ पश्चिमी देशों के साझा मोर्चे का टूटना है. लगता है कि ट्रंप ने पुतिन को सुना और रूसी हितों को वैध माना. सबसे अहम यह कि उन्हें नई वैश्विक राजनीति बनाने के लिए अहम समझा."
वैसे, जिसे निजेवीसिमाया गज़ेता ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस बताया है, वह प्रेस कॉन्फ़्रेंस नहीं थी. राष्ट्रपति पुतिन और ट्रंप ने पत्रकारों का कोई सवाल नहीं लिया था.
एक और रूसी अख़बार इज़वेस्तिया के मुताबिक़, "एंकोरेज समिट एक अहम संकेत थी कि रूस और अमेरिका यूक्रेन के संघर्ष को ख़त्म करने के लिए बातचीत को तैयार हैं, हालांकि व्यावहारिक समाधान अभी दूर है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
- ट्रंप और पुतिन मुलाक़ात के बहाने एक-दूसरे से क्या हासिल करना चाहते हैं?
- ट्रंप-पुतिन की अलास्का में मुलाकात, भारत के लिए नया मोड़ या नई मुश्किल?
- अलास्का में मिलेंगे ट्रंप और पुतिन, जो कभी रूस का हिस्सा था
You may also like
8th Pay Commission: सरकारी कर्मचारियों को 2028 तक करना पड़ सकता है इंतज़ार
यहां स्पर्म डोनर लड़के बन रहे लखपति कमाई के लिएˈ करते हैं ऐसा काम! इंडिया में मिलते हैं कितने पैसे?
Samsung galaxy M35 5G फोन हो गया बहुत सस्ता, जानें ऑफर की डिटेल
सी पी राधाकृष्णन कौन हैं जिन्हें एनडीए ने बनाया उप राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार
सनी देओल को 'रामायण' में हनुमान बनने पर क्यों लग रहा है डर? बोले- मैं नर्वस हूं