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ड्रोन, धमकियां और विस्फोट: उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच क्यों बढ़ रहा है तनाव?

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Getty Images उत्तर कोरियाई हिस्से को देखने के लिए दक्षिण कोरिया में पर्यटक दूरबीन का उपयोग करते हैं

उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर अपनी राजधानी में ड्रोन उड़ाने का आरोप लगाया है, जिसके बाद दोनों के बीच महीनों से चला आ रहा तनाव और गहरा गया है.

उत्तर कोरिया का कहना है कि दक्षिण कोरिया के ड्रोनों ने कथित तौर पर राजधानी प्योंगयांग में प्रोपोगेंडा वाले पर्चे फेंके. उत्तर कोरिया ने इसे उकसावे वाली कार्रवाई बताया है और कहा है कि इससे "सशस्त्र संघर्ष और यहां तक कि जंग" भी छिड़ सकती है.

शुक्रवार को दक्षिण कोरिया पर ये आरोप लगाने के बाद, उत्तर कोरिया ने कहा कि उसने सीमा पर सैनिकों को गोलीबारी के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है.

वहीं इस पर दक्षिण कोरिया ने कहा कि वह जवाब देने के लिए तैयार है. उसने चेतावनी दी है कि अगर उसके नागरिकों की सुरक्षा को कोई नुक़सान पहुंचा तो यह "उत्तर कोरियाई शासन के अंत" का संकेत होगा.

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मंगलवार को उत्तर कोरिया ने उसे दक्षिण कोरिया के साथ जोड़ने वाली दो सड़कों के कुछ हिस्सों को उड़ा दिया था. उत्तर कोरिया ने पहले ही ऐसा करने की चेतावनी दी थी.

इसके एक दिन बाद उसने दावा किया कि 14 लाख नौजवान लड़कों ने सेना में शामिल होने या वापस सेना में आने के लिए आवेदन किया है.

उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन ने इसी साल जनवरी में ये ऐलान किया था कि दक्षिण कोरिया उनका नंबर एक दुश्मन है. बीते दिनों ड्रोन छोड़ने के ताज़ा मामले के बाद मौजूदा वक्त में उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है.

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उत्तर और दक्षिण कोरिया में क्या हो रहा है? image Getty Images उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग-उन और उनकी बहन किम यो-जोंग ने दक्षिण कोरिया से आने वाले ड्रोन को लेकर कड़ी चेतावनी दी है.

11 अक्टूबर को उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने दक्षिण कोरिया पर दो हफ्तों तक रात के वक्त में प्योंगयांग में ड्रोन भेजने का आरोप लगाया.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि इन ड्रोन से फेंके गए पर्चों में "भड़काऊ अफ़वाहें और बकवास बातें" शामिल थी.

उत्तर कोरिया की राजनीति में काफी प्रभावशाली चेहरा मानी जाने वाली किम जोंग-उन की बहन किम यो-जोंग ने दक्षिण कोरिया को चेतावनी दी कि अगर कथित तौर पर ड्रोन फिर से भेजे गए तो इसका नतीजा बहुत बुरा होगा.

बाद में उन्होंने कहा कि इस बात के "स्पष्ट सबूत" मौजूद हैं कि कथित उकसावे के पीछे दक्षिण कोरिया के "मिलिट्री गैंगस्टर" शामिल थे.

उत्तर कोरिया ने कुछ धुंधली तस्वीरें भी जारी की हैं, जिनके बारे में उसने कहा है कि ये आसमान में उड़ते हुए ड्रोन की तस्वीरें हैं. साथ ही कुछ तस्वीरें ऐसी भी है जिनमें कथित तौर पर कुछ पर्चे नज़र आ रहे हैं. लेकिन उत्तर कोरिया के इन दावों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करने का कोई तरीका नहीं है.

दक्षिण कोरिया ने शुरूआत में उत्तर कोरिया के आसमान में ड्रोन उड़ाने से इनकार किया था, लेकिन बाद में उसके ज्वायंट चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ ने कहा कि वह उत्तर कोरिया के आरोपों की न तो पुष्टि कर सकते हैं और न ही उनका खंडन कर सकते हैं.

स्थानीय स्तर पर यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि ये ड्रोन एक्टिविस्टों ने उड़ाए थे, जो गुब्बारों की मदद से कुछ सामग्री उत्तर कोरिया भेज रहे थे.

फ्री नॉर्थ कोरिया मूवमेंट के नेता पार्क सांग-हाक ने ड्रोन घुसपैठ के बारे में उत्तर कोरिया के दावों का खंडन करते हुए कहा, "हमने उत्तर कोरिया में ड्रोन नहीं भेजे".

उत्तर कोरिया की आधिकारिक समाचार एजेंसी केसीएनए ने बताया कि सोमवार को किम जोंग-उन ने सेना प्रमुख, राज्य सुरक्षा एवं रक्षा मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों से मुलाक़ात की है.

वहां किम जोंग-उन ने "तत्काल सैन्य कार्रवाई करने के आदेश" के साथ-साथ अधिकारियों को "आत्मरक्षा के अधिकार का इस्तेमाल" करने को भी कहा है.

दक्षिण कोरिया के ज्वायंट चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ के जनसंपर्क अधिकारी, ली सुंग-जून ने कहा कि उत्तर कोरिया "छोटे पैमाने पर उकसावे" की कार्रवाई कर सकता है, जैसे दोनों कोरिया को जोड़ने वाली सड़कों पर छोटे-मोटे विस्फोट करना.

इसके बाद ज्योंगुई और डोंगहे की सड़कों पर विस्फोट हुए.

image JUNG YEON-JE/AFP via Getty Images बीते दिनों उत्तर कोरिया ने उसे दक्षिण कोरिया से जोड़ने वाली सड़क के एक हिस्से को उड़ा दिया

विश्लेषकों के मुताबिक, दोनों ही सड़कें लंबे वक्त से बंद हैं इसलिए उन्हें नष्ट कर उत्तर कोरिया ये संदेश देना चाहता है कि किम जोंग-उन दक्षिण कोरिया के साथ बातचीत नहीं करना चाहते हैं.

सड़कों पर विस्फोट के बाद, दक्षिण कोरियाई सेना ने कहा कि उसने अपनी ताकत का प्रदर्शन करने के लिए अपनी सीमा के पास गोले दागे़ हैं और साथ ही उत्तर कोरिया पर निगरानी बढ़ा दी है.

इसके कुछ घंटों बाद, लोगों को सीमा पार उत्तर कोरिया सरकार विरोधी प्रोपोगेंडा वाले पर्चे भेजने से रोकने के लिए सोल को चारों तरफ से घेरने वाले ज्योंगी प्रांत की सरकार ने उत्तर और दक्षिण कोरिया की सीमा के पास के 11 इलाकों को "ख़तरनाक क्षेत्र" घोषित कर दिया.

ज्योंगी प्रांत के उप-गर्वनर किम सुंग-जूंग ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, "ज्योंगी प्रांत ने यह तय किया है कि उत्तर कोरिया की तरफ पर्चे बिखेरने का काम अत्यंत ख़तरनाक है, जिससे दोनों मुल्कों के बीच सैन्य विवाद बढ़ सकता है".

किम सुंग-जूंग ने कहा कि ऐसे पर्चें बांटने से "हमारे लोगों की ज़िंदगी और सुरक्षा को ख़तरा हो सकता है" क्योंकि दोनों देशों के बीच रिश्ते तेज़ी से बिगड़ रहे हैं.

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यह क्या दिखाता है? image Getty Images डिमिलिट्राइज़्ड ज़ोन के आस-पास घूमते पर्यटक.

विश्लेषकों का कहना है कि ड्रोन की इस घटना से इस बात का पता चलता है कि उत्तर कोरियाई सरकार देश के ख़िलाफ़ ख़तरा बढ़ने का दिखावा करके देश के भीतर अपने लिए समर्थन को मज़बूत कर रही है.

प्रोफ़ेसर कांग डोंग-वान बुसान के डोंग-आ यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र और कूटनीति पढ़ाते हैं. वो कहते हैं, "उत्तर कोरिया की सरकार डर की राजनीति पर निर्भर है और इसके लिए उन्हें किसी बाहरी दुश्मन की ज़रूरत है. जब भी तनाव बढ़ता है, तब उत्तर कोरिया, शासन के प्रति वफ़ादारी बढ़ाने के लिए बाहरी ख़तरों पर ज़ोर देता है".

विश्लेषकों का कहना है कि दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी से पता चलता है कि वे किस तरह एक दूसरे के ख़िलाफ़ "मुर्गी के खेल" में उलझे हुए हैं, जिसमें दोनों पक्ष पहले झुकने को तैयार नहीं है.

सोल में मौजूद उत्तरी कोरिया स्टडीज़ यूनिवर्सिटी के प्रोफे़सर किम डोंग-युप ने कहा, "इस समय कोई भी पक्ष दूसरे को रियायत देने को तैयार नहीं है".

प्रोफ़ेसर किम ने कहा कि चूंकि दोनों के बीच आपसी अविश्वास है, इसलिए दक्षिण कोरिया को "रणनीतिक रूप से इस बात पर विचार करने की ज़रूरत है कि इस समस्या को किस तरह से संभालना है".

क्या दोनों कोरिया जंग की तरफ बढ़ रहे हैं? image Getty Images दक्षिण कोरिया के ड्रोन के ख़िलाफ़ किम जोंग उन ने कड़े शब्दों में चेतावनी दी है.

विश्लेषकों का मानना है कि फिलहाल ऐसा होने की संभावना नहीं है.

प्रोफ़ेसर कांग का कहना है, "मुझे इस बात का शक़ है कि ये हालात जंग के स्तर तक बढ़ जाएंगे. उत्तर कोरिया आंतरिक तालमेल को मज़बूत करने के लिए सैन्य टकराव का फायदा उठा रहा है".

प्रोफ़ेसर किम ने कहा, "मैं बड़े पैमाने पर जंग शुरू करने की उत्तर कोरिया की क्षमता पर सवाल उठाता हूं. यहां का शासन इस बात से अच्छी तरह से वाक़िफ़ है कि इस तरह के संघर्ष के गंभीर नतीजे होंगे".

सोल में मौजूद कोरिया यूनिवर्सिटी में उत्तरी कोरियाई स्टडीज़ पढ़ाने वाले प्रोफे़सर नाम सुंग-वूक ने कहा कि कथित तौर पर ड्रोन उड़ाने को लेकर हाल में हो रहा झगड़ा संभवतः एक "मौखिक लड़ाई" बनकर ही रह जाएगा.

प्रोफे़सर नाम ने कहा कि चूंकि दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया इस बात को जानते हैं कि वे पूरी तरह से जंग की लागत का बोझ नहीं उठा सकते हैं, इसलिए "वास्तव में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल करने की संभावना कम है".

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तकनीकी रूप से उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया अब भी जंग की स्थिति में है क्योंकि 1953 में कोरियाई युद्ध ख़त्म होने पर दोनों ने शांति संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए थे.

जब से दक्षिण कोरिया की स्थापना हुई है, तब से उसके साथ एक बार फिर एकीकरण होना उत्तर कोरिया की विचारधारा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. लेकिन जनवरी में किम जोंग-उन ने दक्षिण कोरिया के साथ दोबारा एकीकरण के अपने सपने को त्याग दिया. जिसके बाद यह सपना वास्तविक होता नज़र नहीं आ रहा.

किम जोंग-उन ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नेतृत्व में उत्तर कोरिया को रूस के क़रीब ला दिया है, जिससे वह अमेरिका और पश्चिमी देशों से अलग हो गया है, जो कि दक्षिण कोरिया के प्रमुख सहयोगी हैं.

इसके अलावा उत्तर कोरिया के चीन के साथ लंबे समय से चले आ रहे रिश्ते भी महत्वपूर्ण है, जो संभवतः उत्तर कोरिया का सबसे अहम दोस्त भी है. वहीं ड्रोन वाली इस घटना के मद्देनज़र, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मंगलवार को सभी पक्षों से प्रायद्वीप पर "संघर्ष को और अधिक बढ़ने से रोकने"की अपील की है.

कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव बढ़ रहा है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव अभियान अपने आख़िरी दौर में पहुंच रहा है.

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