Next Story
Newszop

जस्टिस बीआर गवई: जिन्होंने राहुल गांधी मानहानि मामले की सुनवाई से हटने की पेशकश की थी

Send Push
ANI जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई

उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश के पद पर जस्टिस गवई 14 मई से अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे. वो भारत के 52वें सीजेआई (मुख्य न्यायधीश) होंगे.

उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल है.

मौजूदा मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल आज यानी 13 मई को समाप्त हो रहा है.

उन्होंने ही अगले सीजेआई के रूप में जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई (बीआर गवई) के नाम की सिफ़ारिश की थी.

बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ करें

देश के दूसरे दलित सीजेआई image ANI सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश और महाराष्ट्र राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एमएनएलयू) के तीसरे दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई

जस्टिस बीआर गवई देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश होंगे. जस्टिस गवई से पहले जस्टिस केजी बालाकृष्णन 2007 में पहले दलित सीजेआई बने थे.

जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था और उन्होंने 1985 में अपने कानूनी करियर की शुरुआत की थी.

उच्चतम न्यायालय की वरिष्ठता सूची में जस्टिस गवई का नाम सबसे ऊपर है इसलिए जस्टिस खन्ना ने उनका नाम आगे बढ़ाया है.

जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवंबर 2025 तक होगा. यानी वह इस पद से करीब सात महीने में ही रिटायर हो जाएंगे.

1985 से शुरू की वकालत

महाराष्ट्र के अमरावती से आने वाले जस्टिस बीआर गवई 16 मार्च 1985 को बार में शामिल हुए.

1987 तक उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व एडवोकेट जनरल और जज राजा एस भोंसले के साथ काम किया.

1990 के बाद उन्होंने मुख्य रूप से संवैधानिक और प्रशासनिक कानून में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रेक्टिस की.

इस दौरान वह नागपुर नगर निगम, अमरावती नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के स्थायी वकील भी रहे.

अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक गवई को बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में सहायक सरकारी वकील और अतिरिक्त लोक अभियोजक नियुक्त किया गया.

उन्हें 17 जनवरी 2000 से सरकारी वकील और लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया.

14 नवंबर 2003 को उन्हें बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया.

12 नवंबर 2005 को जस्टिस बीआर गवई उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बनाए गए.

24 मई 2019 को वह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनाए गए.

संविधान पीठ के बड़े फैसलों में रहे शामिल

जस्टिस बीआर गवई उच्चतम न्यायालय की कई संविधान पीठ का हिस्सा रहे. इस दौरान वह कई ऐतिहासिक फ़ैसलों का हिस्सा बने.

वह पांच न्यायाधीशों की पीठ के सदस्य रहे जिसने सर्वसम्मति से केंद्र के 2019 के फैसले को बरकरार रखा. केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किया था जिसके तहत जम्मू और कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था.

जस्टिस गवई पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा रहे जिसने राजनीतिक फंडिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था.

जस्टिस गवई उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने एक के मुकाबले चार के बहुमत से केंद्र सरकार के 2016 के 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को बरकरार रखा था.

जस्टिस गवई सात न्यायाधीशों वाली उस संविधान पीठ का भी हिस्सा थे जिसने एक के मुक़ाबले छह के बहुमत से यह फैसला सुनाया था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है.

नवंबर 2024 में जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली दो न्यायाधीशों की पीठ ने आरोपियों की संपत्तियों पर बुलडोजर के इस्तेमाल की आलोचना की.

इस मामले में उन्होंने फ़ैसला सुनाया कि उचित प्रकिया का पालन किए बिना किसी की भी संपत्तियों को ध्वस्त करना क़ानून के विपरीत है.

राहुल गांधी मामले की सुनवाई से खुद को अलग करने की पेशकश की थी

मामला राहुल गांधी पर आपराधिक मानहानि से जुड़ा हुआ है. 21 जुलाई 2023 को इस मामले में हो रही सुनवाई के दौरान पीठ ने गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर दिया.

इस मामले की जब सुनवाई हो रही थी तो जस्टिम गवई ने इस मामले से खुद को अलग करने की पेशकश की.

उन्होंने कहा, "मेरी तरफ से इस मामले में थोड़ी समस्या है. मेरे पिता 40 सालों तक कांग्रेस से जुड़े थे. वह कांग्रेस के सदस्य नहीं थे लेकिन उनकी सहायता से राज्यसभा और लोकसभा पहुंचे थे. मेरा भाई भी कांग्रेस से जुड़ा हुआ है."

उन्होंने कहा कि अब आप सब तय करें कि क्या मुझे इस मामले की सुनवाई करनी चाहिए?

इस मामले में दोनों पक्षों की सहमति के बाद जस्टिस गवई ने जस्टिस पीके मिश्रा के साथ सुनवाई की.

जस्टिस बीआर गवई के पिता रामकृष्ण सूर्यभान गवई रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) के संस्थापक थे.

वह साल 2006 से 2011 के बीच बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल भी रहे.

गवई नागपुर की दीक्षाभूमि स्मारक समिति के चेयरमैन भी रहे थे.

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां कर सकते हैं. आप हमें , , , और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)

image
Loving Newspoint? Download the app now