नेपाल की राजधानी काठमांडू में सोशल मीडिया पर बैन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे युवाओं और पुलिस के बीच झड़पों में कई लोगों की मौत की ख़बर है.
अधिकतर घायलों को न्यू बनेश्वर स्थित सिविल सर्वेंट्स अस्पताल ले जाया गया है.
अस्पताल के कार्यकारी निदेशक मोहन चंद्र रेग्मे ने बताया कि कम से कम दो लोगों की मौत हुई है. वहीं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. बद्री रिजाल के अनुसार, दो लोगों को मृत हालत में ट्रॉमा सेंटर लाया गया.
स्थानीय पत्रकार नरेश गवाली ने फ़ोन पर बीबीसी हिंदी को बताया, "कम से कम डेढ़ सौ घायलों को अलग-अलग अस्पतालों में ले जाया गया है."
उन्होंने आगे कहा, "कई जगहों पर कर्फ़्यू लगा है, सेना भी सड़क पर है, भारी झड़पें हुई हैं. इसके बावजूद प्रदर्शनकारी पीछे नहीं हटे हैं और मौत की रिपोर्ट्स आने के बाद भी प्रदर्शन जारी हैं."
प्रशासन ने कई जगहों पर कर्फ़्यू लगाया है. ख़ुद को जेन ज़ी यानी नई पीढ़ी बताने वाले प्रदर्शनकारी सिस्टम में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार का मुद्दा भी उठा रहे हैं.

सोमवार सुबह हज़ारों प्रदर्शनकारी काठमांडू के सिंह दरबार में इकट्ठा हुए और फिर न्यू बनेश्वर स्थित संसद भवन की ओर बढ़े.
बीबीसी संवाददाता केशव कोइराला के अनुसार, कुछ प्रदर्शनकारी बैरिकेड पार कर संसद भवन परिसर में घुसने की कोशिश कर रहे थे. इसी दौरान झड़पें हुईं और पुलिस ने बल प्रयोग किया.
राष्ट्रपति भवन, शीतल निवास, नारायण दरबार संग्रहालय, प्रधानमंत्री आवास और संसद भवन के आसपास रात दस बजे तक कर्फ़्यू रहेगा. प्रवक्ता के अनुसार, प्रदर्शनकारी अराजक हो गए हैं और निषेधाज्ञा तोड़ रहे हैं.
कर्फ़्यू बढ़ाने की घोषणा के तुरंत बाद नेपाल सेना की टुकड़ी सड़कों पर तैनात कर दी गई. नेपाल सेना के प्रवक्ता सहायक जनरल राजाराम बसनेत ने कहा, "लिखित आदेश मिलने के बाद एक छोटा सैन्य दल शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भेजा गया है."
अधिकारियों का कहना है कि कुछ प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में घुसने की कोशिश की. इस दौरान हिंसा की रिपोर्ट्स हैं और कई घायलों को अस्पताल ले जाया गया.
नेपाल से आ रही तस्वीरों और वीडियो में हज़ारों प्रदर्शनकारी नज़र आ रहे हैं. प्रदर्शन में शामिल एक छात्रा के हाथ में बैनर था, जिस पर लिखा था, "भूकंप की ज़रूरत नहीं है, नेपाल रोज़ भ्रष्टाचार से हिलता है."
युवा भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी भी कर रहे थे. कुछ महीने पहले नेपाल में राजशाही बहाल करने के लिए भी आंदोलन हुआ था. उस दौरान भी प्रदर्शनकारियों ने सिस्टम में व्याप्त कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया था.
सोशल मीडिया पर बैननेपाल सरकार ने बीते सप्ताह 26 प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंध लगा दिया था. इनमें फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप जैसे चर्चित सोशल मीडिया और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म शामिल हैं.
सरकार का कहना है कि सोशल मीडिया कंपनियों को देश के क़ानूनों का पालन करने, स्थानीय दफ़्तर खोलने और ग्रीवांस अधिकारी नियुक्त करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया था.
चीन की सोशल मीडिया कंपनी टिकटॉक ने समय रहते इन शर्तों का पालन कर लिया, इसलिए टिकटॉक पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया.
नेपाल में बड़ी संख्या में लोग विदेशों में रहते हैं. मैसेजिंग ऐप और सोशल मीडिया पर बैन के बाद विदेशों में रह रहे नेपाली नागरिकों को परिवार से संपर्क करने में दिक़्क़तें आ रही हैं.
सोशल मीडिया वेबसाइटों पर प्रतिबंध के बाद युवाओं ने प्रदर्शन का आह्वान किया.
नेपाल में इस समय टिकटॉक चल रहा है. आयोजकों ने टिकटॉक पर कई वीडियो शेयर कर युवाओं से प्रदर्शन में शामिल होने की अपील की.
टिकटॉक पर 'नेपो बेबी' ट्रेंड भी चलाया गया, जिसमें नेताओं के बच्चों के ऐशो-आराम भरे जीवन की तस्वीरें और वीडियो पोस्ट किए गए. इसमें सवाल उठाया गया कि राजनेता अपने बच्चों को तो फ़ायदा पहुंचा रहे हैं लेकिन देश के लिए काम नहीं कर रहे.
कई वीडियो में नेपाल के दूर-दराज़ इलाक़ों में रहने वाले लोगों के कठिन जीवन और नेताओं के आरामदायक जीवन की तुलना भी की गई.
बीते गुरुवार नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर प्रतिबंध लागू किया था. इसके बाद से युवा इसके ख़िलाफ़ अभियान चला रहे हैं.
देश भर में पुलिस की निगरानी
नेपाल पुलिस सिर्फ़ काठमांडू ही नहीं बल्कि देश के कई हिस्सों में निगरानी कर रही है.
पुलिस प्रवक्ता बिनोद घिमिरे के अनुसार, सोमवार सुबह से काठमांडू और कई प्रमुख शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं.
घिमिरे ने बीबीसी न्यूज़ नेपाली से कहा, "सिर्फ़ काठमांडू ही नहीं, कई और शहरों में भी प्रदर्शन हो रहे हैं. पुलिस बल इनकी निगरानी कर रहा है. शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर पहलू का ध्यान रखते हुए योजना बनाई गई है और बल तैनात किए गए हैं."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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