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फ़तेहपुर: हिंदू संगठनों का मक़बरे के अंदर मंदिर होने का दावा लेकिन क्या कह रहे हैं इतिहासकार?

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BBC फ़तेहपुर के अबूनगर इलाक़े में नवाब अब्दुस समद के मक़बरे में हिंदू संगठन के लोग घुस गए. उनका दावा है कि ये मंदिर था.

फ़तेहपुर के अबूनगर इलाक़े में नवाब अब्दुस समद के मक़बरे को लेकर विवाद पैदा हो गया है.

कई हिंदू संगठन इसके अंदर मंदिर होने का दावा कर रहे हैं.

कुछ लोग 11 अगस्त को मक़बरे में घुस गए और तोड़-फोड़ की.

इन संगठनों का दावा है कि इस मक़बरे के भीतर हिंदू देवी-देवताओं के निशान हैं.

पुलिस की मौजूदगी के बावजूद हिंदू संगठन के लोग बैरिकेड तोड़कर परिसर में घुस गए.

हालांकि, बाद में फ़तेहपुर के ज़िलाधिकारी रविंद्र सिंह ने दावा किया कि अब हालात 'सामान्य' हैं.

पुलिस ने दस ज्ञात और 150 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है. एसपी अनूप कुमार सिंह ने कहा, ''उपद्रवियों की पहचान की जा रही है.''

कानपुर-प्रयागराज जीटी रोड पर फ़तेहपुर ज़िला है. ये गंगा-यमुना के बीच के दोआब क्षेत्र में स्थित है.

फ़तेहपुर के ज़िला मुख्यालय के कोतवाली इलाके में अबू नगर है. ये मक़बरा इसी इलाके में स्थित है. इसके गुंबदों की हालत बेहद खराब है.

ज़िला गज़ेटियर बताता है कि नवाब अब्दुस समद, औरंगज़ेब के दौर में पैलानी (बुंदेलखंड) के फ़ौजदार थे. उन्हें बड़ी जागीरें मिली हुई थीं.

उन्होंने मुत्तौर में किला और टैंक बनवाए, लेकिन रहने का ठिकाना यहीं फ़तेहपुर रखा.

पांच सौ साल पुराने मक़बरे को लेकर विवाद image BBC हिंदू संगठन के लोग पुलिस की मौजूदगी में इस मक़बरे में घुस गए.

फतेहपुर के गज़ेटियर के मुताबिक, यहां शहर में कोई इमारत नहीं है जिसका कोई ऐतिहासिक महत्व हो सिवाय नवाब अब्दुस समद के मक़बरे के जो उनके जीर्ण-शीर्ण किले के बराबर में है.

गज़ेटियर में बताया गया है कि अबू नगर का नाम अब्दुस समद के बड़े बेटे अबू मोहम्मद के नाम पर है.

मक़बरे पर एक शिलालेख में अब्दुस समद की मृत्यु की तारीख़ 1699 ईस्वी है. वहीं उनके पुत्र अबू मोहम्मद की मृत्यु की तारीख़ 1704 ईस्वी लिखी है.

हालांकि गज़ेटियर में इसके डिज़ाइन को लेकर कहा गया है, ''यह एक भारी, अव्यवस्थित संरचना है जिसके प्रत्येक कोने पर एक गुंबद है, जो केंद्रीय गुंबद की ऊंचाई के बराबर है.''

image BBC गज़ेटियर जिसमें अब्दुस समद का ज़िक्र है.

इस परिसर में एक बड़ा चिनाई वाला टैंक और सजावटी मंडप था.

मक़बरे के केयरटेकर मोहम्मद नफीस दावा करते हैं, "मक़बरा करीब 500 साल पुराना है. यहां पर अबू मोहम्मद और अबू समद की मज़ारें हैं."

मोहम्मद नफीस ने कहा, ''ये मक़बरा दस साल में बनकर तैयार हुआ था. हमसे पहले अनीस भाई इसकी देखरेख करते थे. उनके देहांत के बाद मैं इसकी देखभाल करता हूँ.''

इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर हेम्ब्रम चतुर्वेदी का कहना है कि मक़बरे के बारे में ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है.

उन्होंने कहा, ''लेकिन इस इलाके में मुस्लिम शासकों का दौर रहा है. जिनके पास बड़ी जागीरें थीं. वो इस इलाके से होने वाले व्यापार को सुरक्षा देते थे. ऐसे में मृत्युपरांत उनका मक़बरा भी वहीं बनता, जहां वो रहते थे.''

image BBC

इस विवाद के बाद इतिहासकारों की रुचि मक़बरे में बढ़ गई है.

लखनऊ के इतिहासकार रवि भट्ट के मुताबिक़ अब्दुस समद के बारे में ज़्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, मगर उस वक़्त के लोगों के नाम पर मक़बरा बनाया जाता था.

उन्होंने कहा, ''मक़बरे के विवाद में दोनों पक्ष संतोषजनक प्रमाण नहीं दे पा रहे हैं.''

रवि भट्ट ने कहा, ''इस इलाके में पुरातत्व स्थल असनी और भिटौरा हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि इस अंचल में वैदिक काल का प्रभाव रहा है. लेकिन सिर्फ कुआं और परिक्रमा मार्ग होने के संकेत से मंदिर होने का पर्याप्त प्रमाण नहीं मिलता है.''

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कैसे शुरू हुआ विवाद? image BBC फ़तेहपुर में मक़बरे में हिंदू संगठनों के लोगों के घुसने के बाद जिलाधिकारी रवींद्र सिंह ने दावा किया कि हालात सामान्य हैं.

फतेहपुर के हिंदू संगठन से जुड़े लोग कई दिन से मार्च का आह्वान कर रहे थे. इसको बीजेपी का भी समर्थन मिला हुआ था.

बीजेपी के जिला अध्यक्ष मुखलाल पाल इस मामले में अब लोगों से शांति की अपील कर रहे हैं. हालांकि, पहले वो खुद इस अभियान में शामिल थे.

उन्होंने पहले चेतावनी दी थी, "11 अगस्त 2025 को मक़बरे के भीतर मौजूद शिव मंदिर की पूजा अर्चना करने वाले हैं."

उन्होंने आम लोगों से भी वहां पहुंचने की अपील की थी.

इसके बाद हिंदू संगठन के कार्यकर्ता सोमवार को इकट्ठा हुए और मक़बरे की तरफ मार्च किया.

पुलिस ने बैरिकेडिंग की हुई थी. परिसर के पास पहुंचते ही भीड़ पुलिस के बैरिकेड को तोड़कर मक़बरे के भीतर घुस गई.

मक़बरे के भीतर मज़ार तोड़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ. हालांकि अधिकारियों ने इसकी पुष्टि नहीं की.

हिंदू संगठनों का दावा है कि मक़बरे के भीतर शिव लिंग मौजूद है.

फतेहपुर में मठ मंदिर संरक्षण संघर्ष समिति ने मक़बरे में मंदिर होने का दावा किया है.

ज़िलाधिकारी रविंद्र सिंह से जब इस घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ''अभिलेखों की जांच की जाएगी.'

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राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप image BBC फतेहपुर के एसपी अनूप कुमार के मुताबिक़ मक़बरा विवाद को लेकर कई लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है

इस मामले को लेकर सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी समाजवादी पार्टी एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.

समाजवादी पार्टी के कानपुर कैंट के विधायक मोहम्मद हसन रूमी ने आरोप लगाया है कि पुलिस की मौजूदगी में ये घटना हुई है.

उन्होंने कहा, ''मक़बरा का गाटा संख्या 753 है, जो 10 बीघा 17 बिस्वा में है. वहीं मंदिर का गाटा संख्या 1159 है जो काफी दूर है.''

रूमी ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस मामले पर चर्चा कराने की मांग की है.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स पर लिखा ''फतेहपुर में घटी घटना, तेज़ी से ख़त्म होती भाजपा की निशानी है. जब-जब भाजपा और उनके संगी साथियों की पोल खुलने लगती है, तब-तब सौहार्द बिगाड़ने की साज़िश की जाती है. जनता अब इस भाजपाई चाल को समझ गयी है. अब ऐसी करतूतों में जनता न तो अटकेगी और न ही इन घटनाओं से भटकेगी.''

इसके जवाब में बीजेपी और सरकार की तरफ से उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी की आलोचना की है.

उनकी तरफ से जारी बयान में कहा गया, ''अखिलेश अपने बयानों के जरिए केवल राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे प्रदेश का माहौल खराब हो सकता है.''

image BBC

इस मामले पर मंगलवार को विधानसभा में भी हंगामा हुआ.

इस पर वित्त एवं संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने कहा, "क्राइम नंबर 319 के तहत एफ़आईआर दर्ज है, पप्पू चौहान का नाम सामने आया है, जिन्हें समाजवादी पार्टी से निकाला गया है.''

एफ़आईआर के मुताबिक, समाजवादी पार्टी के नेता पप्पू सिंह चौहान ने मकबरे में तोड़फोड़ की थी. सपा जिला अध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप सिंह ने पप्पू सिंह चौहान को पार्टी से निष्कासित कर दिया है.

इसके अलावा एफ़आईआर में नौ अन्य लोग हैं जो बीजेपी या हिंदूवादी संगठनों से जुड़े हुए हैं.

वहीं, समाजवादी पार्टी के फतेहपुर के सांसद नरेश उत्तम पटेल ने गृहमंत्री अमित शाह को एक पत्र भी लिखा है.

इसमें दावा किया गया है, "लगभग 350 साल पुराना मक़बरा है जो अभिलेखों में राष्ट्रीय संपत्ति दर्ज है. लेकिन इसके अंतर्गत जो जमीन है उस पर भूमाफियाओं का कब्ज़ा है."

बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित

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