शेयर बाज़ार में लगातार गिरावट का माहौल है और इस पूरे सप्ताह बाज़ार में बिकवाली रही है. निफ्टी ने शुक्रवार को अपना 25000 का साइकोलॉजिकल लेवल ब्रेक कर दिया. बाज़ार में आ रही इस तगड़ी बिकवाली में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की सेलिंग का बड़ा रोल रहा है. पिछले पांच ट्रेडिंग सेशन में एफआईआई नेएक अरब डॉलर से भी अधिक राशि की बिकवाली की है.
एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजारों में अपनी आक्रामक बिकवाली फिर से शुरू कर दी है और लगातार पांच कारोबारी सत्रों में भारी नेट सेलिंग दर्ज की गई है. इस संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली अवधि में एफआईआई ने 10,169 करोड़ रुपये की भारी निकासी की है, जो क्यूमेलेटिव सेलिंग में 1 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गई है. इस आंकड़ों में 17 जुलाई को दर्ज की गई भारी निकासी भी शामिल है.
सबसे बड़ी गिरावट 17 जुलाई को आई, जब एफआईआई ने 3,671 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जो पिछले पांच सत्रों में दूसरी सबसे बड़ी एक दिन की बिकवाली थी. सबसे बड़ी एक-दिवसीय बिकवाली 4,495 करोड़ रुपये की रही.एफआईआई इस समय बहुत इन्टेंसिव सेलिंग कर रहे हैं. हालांकि एफआईआई की इस सेलिंग को डीआईआई एब्सोर्ब कर रहे हैं.
डीआईआई खरीदार बने हुए हैंदिलचस्प बात यह है कि जब एफआईआई शेयर बेच रहे हैं तो इस बिकवाली को घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) एब्सोर्ब कर रहे हैं. DII बिकवाली के दौर में लगातार खरीदार बनकर सामने आए. इसी पांच दिनों की अवधि में डीआईआई ने लगभग 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिससे बाजार को कुछ सहारा मिला और बिकवाली के दबाव को कम करने में मदद मिली.
जुलाई में मंथली बेसिस पर एफआईआई पर ध्यान केंद्रित करने से यह रुझान उलट गया है. एफआईआई लगातार तीन महीनों - अप्रैल से जून 2025 तक नेट बायर्स रहे थे, अब वे नेट सेलर्स बन गए हैं. उनकी सबसे आक्रामक खरीदारी जून 2025 में देखी गई, जब उन्होंने भारतीय शेयरों में लगभग 14,600 करोड़ रुपये का निवेश किया. यह जुलाई की तेज सेलिंग एक्टिविटीज़ को और भी चौंकाने वाला बनाता है कि आखिर जुलाई में एफआईआई बिकवाली क्यों हो रही है.
कैलेंडर वर्ष 2025 के व्यापक रुझान भी मंदी की तस्वीर पेश करते हैं. अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से लगभग 90,000 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं, जो मौजूदा बाजार स्थितियों को लेकर लगातार सतर्कता और बढ़ती बेचैनी की ओर इशारा करता है. आने वाले दिनों में एफआईआई की सेलिंग बनी रह सकती है क्योंकि एफआईआई का यह पैटर्न है कि वे जब बेचते हैं तो लगातार बिकवाली करते हैं.
एफआईआई ने भारतीय शेयर बाजारों में अपनी आक्रामक बिकवाली फिर से शुरू कर दी है और लगातार पांच कारोबारी सत्रों में भारी नेट सेलिंग दर्ज की गई है. इस संक्षिप्त लेकिन प्रभावशाली अवधि में एफआईआई ने 10,169 करोड़ रुपये की भारी निकासी की है, जो क्यूमेलेटिव सेलिंग में 1 अरब अमेरिकी डॉलर के आंकड़े को पार कर गई है. इस आंकड़ों में 17 जुलाई को दर्ज की गई भारी निकासी भी शामिल है.
सबसे बड़ी गिरावट 17 जुलाई को आई, जब एफआईआई ने 3,671 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जो पिछले पांच सत्रों में दूसरी सबसे बड़ी एक दिन की बिकवाली थी. सबसे बड़ी एक-दिवसीय बिकवाली 4,495 करोड़ रुपये की रही.एफआईआई इस समय बहुत इन्टेंसिव सेलिंग कर रहे हैं. हालांकि एफआईआई की इस सेलिंग को डीआईआई एब्सोर्ब कर रहे हैं.
डीआईआई खरीदार बने हुए हैंदिलचस्प बात यह है कि जब एफआईआई शेयर बेच रहे हैं तो इस बिकवाली को घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) एब्सोर्ब कर रहे हैं. DII बिकवाली के दौर में लगातार खरीदार बनकर सामने आए. इसी पांच दिनों की अवधि में डीआईआई ने लगभग 11,000 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिससे बाजार को कुछ सहारा मिला और बिकवाली के दबाव को कम करने में मदद मिली.
जुलाई में मंथली बेसिस पर एफआईआई पर ध्यान केंद्रित करने से यह रुझान उलट गया है. एफआईआई लगातार तीन महीनों - अप्रैल से जून 2025 तक नेट बायर्स रहे थे, अब वे नेट सेलर्स बन गए हैं. उनकी सबसे आक्रामक खरीदारी जून 2025 में देखी गई, जब उन्होंने भारतीय शेयरों में लगभग 14,600 करोड़ रुपये का निवेश किया. यह जुलाई की तेज सेलिंग एक्टिविटीज़ को और भी चौंकाने वाला बनाता है कि आखिर जुलाई में एफआईआई बिकवाली क्यों हो रही है.
कैलेंडर वर्ष 2025 के व्यापक रुझान भी मंदी की तस्वीर पेश करते हैं. अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से लगभग 90,000 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं, जो मौजूदा बाजार स्थितियों को लेकर लगातार सतर्कता और बढ़ती बेचैनी की ओर इशारा करता है. आने वाले दिनों में एफआईआई की सेलिंग बनी रह सकती है क्योंकि एफआईआई का यह पैटर्न है कि वे जब बेचते हैं तो लगातार बिकवाली करते हैं.
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