जूनिपर ग्रीन एनर्जी ने महाराष्ट्र में 70 मेगावाट की फर्म एंड डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी (FDRE) परियोजना लगाने के लिए टाटा पावर के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। FDRE प्रोजेक्ट में एडवांस्ड सोलर, विंड और बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) को एक साथ जोड़ा जाता है, जिससे पीक डिमांड के समय भी भरोसेमंद तरीके से बिजली की सप्लाई की जा सके और ग्रिड की स्थिरता मजबूत हो।
70 मेगावाट के FDRE प्रोजेक्ट के लिए PPA साइन कियाजूनिपर ग्रीन एनर्जी ने मंगलवार को जारी किए गए अपने एक बयान में बताया कि सब्सिडियरी कंपनी जूनिपर ग्रीन सिग्मा एट प्राइवेट लिमिटेड (जूनिपर सिग्मा) ने देश की सबसे पड़ी पॉवर एंड एनर्जी कंपनियों में से एक टाटा पावर के साथ इस 70 मेगावाट के FDRE प्रोजेक्ट के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) साइन किया है।
कंपनी ने नहीं किया कुल लागत का खुलासाहालांकि कंपनी ने इस प्रोजेक्ट की कुल लागत की जानकारी नहीं दी है। PPA के तहत यह प्रोजेक्ट महाराष्ट्र में डेवलप किया जाएगा। इसमें लगभग 180 MWp की रिन्यूएबल एनर्जी कैपिसिटी और करीब 280 MWh की बैटरी स्टोरेज कैपिसिटी होगी।
इस FDRE प्रोजेक्ट से उत्पन्न बिजली की सप्लाई टाटा पावर को 22 सितंबर 2027 से शुरू होगी।
क्या है FDRE प्रोजेक्टफर्म एंड डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी (FDRE) ऊर्जा क्षेत्र का एक नया कॉन्सेप्ट है, जिसका मकसद रिन्यूएबल एनर्जी को भरोसेमंद बनाना है। साथ ही इसकी लगातार उपलब्धता सुनिश्चित करना है। आमतौर पर सोलर और विंड एनर्जी पर निर्भरता की एक बड़ी समस्या यह होती है कि इनका उत्पादन मौसम और समय पर निर्भर करता है।
जैसे सोलर एनर्जी केवल दिन में बनती है और विंड एनर्जी हवा पर निर्भर करती है। इस वजह से ग्रिड को स्थिर बिजली सप्लाई करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। FDRE इसी समस्या का समाधान है।
इस मॉडल में सोलर और विंड एनर्जी और बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) को एक साथ इंटीग्रेट किया जाता है। बैटरियों में दिन में अतिरिक्त ऊर्जा स्टोर की जाती है और फिर पीक डिमांड (जब बिजली की जरूरत सबसे ज्यादा होती है) के समय उसे ग्रिड में छोड़ा जाता है। इससे बिजली की सप्लाई में उतार-चढ़ाव नहीं होता और ग्रिड स्थिर रहता है।
70 मेगावाट के FDRE प्रोजेक्ट के लिए PPA साइन कियाजूनिपर ग्रीन एनर्जी ने मंगलवार को जारी किए गए अपने एक बयान में बताया कि सब्सिडियरी कंपनी जूनिपर ग्रीन सिग्मा एट प्राइवेट लिमिटेड (जूनिपर सिग्मा) ने देश की सबसे पड़ी पॉवर एंड एनर्जी कंपनियों में से एक टाटा पावर के साथ इस 70 मेगावाट के FDRE प्रोजेक्ट के लिए पावर परचेज एग्रीमेंट (PPA) साइन किया है।
कंपनी ने नहीं किया कुल लागत का खुलासाहालांकि कंपनी ने इस प्रोजेक्ट की कुल लागत की जानकारी नहीं दी है। PPA के तहत यह प्रोजेक्ट महाराष्ट्र में डेवलप किया जाएगा। इसमें लगभग 180 MWp की रिन्यूएबल एनर्जी कैपिसिटी और करीब 280 MWh की बैटरी स्टोरेज कैपिसिटी होगी।
इस FDRE प्रोजेक्ट से उत्पन्न बिजली की सप्लाई टाटा पावर को 22 सितंबर 2027 से शुरू होगी।
क्या है FDRE प्रोजेक्टफर्म एंड डिस्पैचेबल रिन्यूएबल एनर्जी (FDRE) ऊर्जा क्षेत्र का एक नया कॉन्सेप्ट है, जिसका मकसद रिन्यूएबल एनर्जी को भरोसेमंद बनाना है। साथ ही इसकी लगातार उपलब्धता सुनिश्चित करना है। आमतौर पर सोलर और विंड एनर्जी पर निर्भरता की एक बड़ी समस्या यह होती है कि इनका उत्पादन मौसम और समय पर निर्भर करता है।
जैसे सोलर एनर्जी केवल दिन में बनती है और विंड एनर्जी हवा पर निर्भर करती है। इस वजह से ग्रिड को स्थिर बिजली सप्लाई करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। FDRE इसी समस्या का समाधान है।
इस मॉडल में सोलर और विंड एनर्जी और बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) को एक साथ इंटीग्रेट किया जाता है। बैटरियों में दिन में अतिरिक्त ऊर्जा स्टोर की जाती है और फिर पीक डिमांड (जब बिजली की जरूरत सबसे ज्यादा होती है) के समय उसे ग्रिड में छोड़ा जाता है। इससे बिजली की सप्लाई में उतार-चढ़ाव नहीं होता और ग्रिड स्थिर रहता है।
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