Khabar Monkey, Prayagraj Mahakumbh 2025: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले के दौरान तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने भोजन-पानी की व्यवस्था की थी।
हालांकि, एक वायरल वीडियो ने इस मामले को सुर्खियों में ला दिया, जिसमें एक पुलिस अधिकारी को श्रद्धालुओं के लिए बनाए जा रहे भोजन में बालू और राख डालते हुए देखा गया। इस घटना ने पुलिस विभाग को शर्मिंदा कर दिया, जिसके बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारी को निलंबित कर दिया।
सामाजिक संगठनों की पहल और पुलिस की कार्रवाई
महाकुंभ में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और सड़कों पर जाम के कारण तीर्थयात्रियों को घंटों इंतजार करना पड़ा। ऐसे में स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने श्रद्धालुओं के लिए भोजन की व्यवस्था की। सोरांव मलाक चतुरी गांव के निवासियों ने भी भंडारे की शुरुआत की थी, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु भोजन ग्रहण कर रहे थे।
जब पुलिस टीम भंडारे के पास पहुंची, तो उन्होंने ग्रामीणों को इसे हटाने का निर्देश दिया, यह कहते हुए कि इससे जाम की स्थिति और खराब हो रही है। ग्रामीणों के इंकार पर सोरांव थाने के दरोगा ने तीन बड़े पतीलों में बन रहे भोजन में बालू और राख डाल दी, जिससे भोजन नष्ट हो गया। इस घटना को वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने मोबाइल में कैद कर लिया और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
वीडियो के वायरल होने के बाद पुलिस विभाग ने तुरंत मामले का संज्ञान लिया। डीसीपी गंगानगर कुलदीप सिंह गुनावत ने संबंधित दरोगा को निलंबित कर दिया और विभागीय जांच के आदेश दिए। प्रशासन ने यह भी कहा कि इस प्रकार की घटना अस्वीकार्य है और संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
इस घटना पर विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, "जो लोग महाकुंभ में फंसे लोगों के लिए भोजन-पानी की व्यवस्था कर रहे हैं, उनके सद्प्रयासों के ऊपर राजनीतिक विद्वेषवश मिट्टी डाली जा रही है। जनता इस पर संज्ञान ले।"
महाकुंभ में भगदड़ और श्रद्धालुओं की समस्याएं
महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान के दौरान भारी भीड़ के चलते भगदड़ मच गई थी। इस हादसे में 30 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक श्रद्धालु घायल हुए। घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस घटना के बाद प्रशासन ने सुरक्षा के दृष्टिकोण से आसपास के जिलों में श्रद्धालुओं के वाहनों को रोका, जिससे सड़कों पर लंबी कतारें लग गईं। वाहनों में फंसे श्रद्धालुओं की मदद के लिए सामाजिक संगठनों ने भोजन और पानी की व्यवस्था की। यह घटना प्रशासनिक लापरवाही और संवेदनहीनता का उदाहरण है। जहां एक ओर स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन कुंभ में आए श्रद्धालुओं की मदद के लिए अपनी क्षमता से बढ़कर कार्य कर रहे हैं, वहीं पुलिस के इस प्रकार के व्यवहार ने पूरे समाज को स्तब्ध कर दिया है। यह आवश्यक है कि प्रशासन इस घटना से सबक लेते हुए भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।
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