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कुतुबुद्दीन ऐबक की क्रूरता: हिंदुओं पर अत्याचार की दास्तान

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कुतुबुद्दीन ऐबक की क्रूरता का इतिहास

नई दिल्ली। भारतीय इतिहास में मुगलों को महान बताने का प्रयास किया गया है, जबकि उन्होंने हजारों हिंदू मंदिरों को नष्ट किया और लाखों हिंदुओं का नरसंहार किया। लेकिन यह कभी नहीं बताया गया कि उन्होंने हिंदुओं पर कितने भयानक अत्याचार किए।


आज हम आपको मुस्लिम इतिहासकारों की किताबों के आधार पर कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा किए गए अत्याचारों के बारे में बताएंगे, जो सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।


चील-कौवों को खिलाई लाशें


1193 में अलीगढ़ के निकट हिंदुओं का विद्रोह हुआ। कुतुबुद्दीन ऐबक ने विद्रोह को दबाने के लिए हिंदुओं का संहार करने का निर्णय लिया। उसने हजारों हिंदुओं को मार डाला और उनके सिरों से तीन विशाल मीनारें बनवाईं। इसके बाद, उनके शवों को चील और कौवों को खिलाने का काम किया गया।


पहाड़ की चोटी तक बनाई नरमुंडों की मीनार


1197 में, माउंट आबू की तलहटी में राजा राय कर्ण के नेतृत्व में लड़ाई में हिंदू हार गए। इसके परिणामस्वरूप 50,000 से अधिक हिंदुओं की हत्या की गई और उनके सिरों से इतनी ऊंची मीनार बनाई गई कि वह पहाड़ की चोटी के बराबर हो गई।


काफिरों को डराने के लिए करते थे क्रूरता


हिंदुओं पर अत्याचार करना और उनकी धार्मिक आस्थाओं को नष्ट करना मुस्लिम शासकों के लिए एक उपलब्धि मानी जाती थी। नरमुंडों की दीवार बनाकर वे अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते थे, ताकि कोई भी उनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत न कर सके। यह जानकारी ताज-उल-मासिर नामक पुस्तक पर आधारित है।


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