हाल ही में हिंदू समुदाय ने महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव की आराधना के साथ मनाया। इस अवसर पर देशभर के शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिली। भक्तों ने बाबा भोलेनाथ की पूजा की और उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया। महाशिवरात्रि का पर्व भारत के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की बात कुछ अलग है। यहाँ यह पर्व भव्य तरीके से मनाया जाता है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषताएँ
उज्जैन का ज्योतिर्लिंग एकमात्र दक्षिण मुखी ज्योतिर्लिंग है। यहाँ हर दिन पुजारी विशेष तरीके से बाबा महाकाल का श्रृंगार करते हैं। शिवलिंग पर हर दिन बाबा की छवि बनाई जाती है। भस्मारती के बाद पुजारी विशेष विधि से श्रृंगार करते हैं।
सोशल मीडिया पर बाबा महाकाल की प्रतिमा की तस्वीरें अक्सर वायरल होती हैं। बाबा का श्रृंगार हर दिन लाखों भक्तों का मन मोह लेता है। महाशिवरात्रि के बाद बाबा महाकाल भक्तों को पांच रूपों में दर्शन देते हैं।
पंचमुखारविंद रूप में श्रृंगार
21 फरवरी को भगवान श्री महाकाल का फाल्गुन कृष्ण पक्ष की प्रथमा तिथि पर पंचमुखारविंद रूप में श्रृंगार किया गया। यह जानकारी महत्वपूर्ण है कि बाबा महाकाल हर साल महाशिवरात्रि के बाद अपने भक्तों को पंचमुखारविंद रूप में दर्शन देते हैं।
महाकाल के पांच रूप
छबीना, होलकर, मनमहेश, शिवतांडव, उमामहेश रूप में श्रृंगार

बाबा महाकाल के जिन पांच रूपों का उल्लेख किया जा रहा है, उनमें छबीना, होलकर, मनमहेश, शिवतांडव और उमामहेश शामिल हैं। फाल्गुन कृष्ण पक्ष की प्रथमा तिथि पर संध्या पूजन के बाद पुजारी ने भगवान महाकाल का इन रूपों में श्रृंगार किया।
महाकाल मंदिर में शिवनवरात्रि उत्सव
महाकाल मंदिर में मनाया जाता है शिवनवरात्रि उत्सव

महाकाल मंदिर की एक खासियत यह है कि यहाँ शिवनवरात्रि उत्सव मनाया जाता है। यह देश का एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहाँ ऐसा उत्सव होता है। शिवनवरात्रि उत्सव का समापन महाशिवरात्रि पर होता है, और इसके पहले आठ दिन बाबा के विशेष श्रृंगार होते हैं।
भक्तों की भारी भीड़
शिवनवरात्रि के नौ दिनों तक भगवान महाकाल के श्रृंगार भक्तों को आकर्षित करते हैं। जो भक्त इन नौ दिनों में दिव्य रूपों के दर्शन नहीं कर पाते, वे बाद में पंचमुखारविंद रूप में बाबा के दर्शन कर सकते हैं। यह अवसर हर साल महाशिवरात्रि के बाद एक बार ही आता है।
महाकाल मंदिर में हर दिन हजारों भक्त बाबा के दर पर आते हैं, और शिवरात्रि के अवसर पर तो भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। महाकाल मंदिर के पुजारी महेश गुरु ने मीडिया से बातचीत में बताया कि जो भक्त शिवनवरात्रि उत्सव के नौ दिन बाबा के दर्शन नहीं कर पाते, वे महाशिवरात्रि के बाद इन स्वरूपों में दर्शन कर सकते हैं।
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