Next Story
Newszop

भारत में मुल्ला सरनेम का महत्व और जाति की जानकारी

Send Push
मुल्ला सरनेम का परिचय

नई दिल्ली। भारत में विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते हैं, जो एकता में विविधता का प्रतीक है। मुस्लिम समुदाय में भी कई जातियाँ पाई जाती हैं, जैसे खान, सैयद, पठान, कुरैशी, शेख, अंसारी आदि।


क्या आप जानते हैं कि कई मुसलमान अपने नाम के पीछे 'मुल्ला' लगाते हैं? आज हम इस सरनेम और इसकी जाति के बारे में जानकारी साझा करेंगे।


मुल्ला का अर्थ और महत्व

मुल्ला कौन होते हैं?


मुल्ला शब्द फारसी से आया है, जो अरबी शब्द 'मौला' से संबंधित है। मौला का अर्थ होता है 'स्वामी' या 'रक्षक'। इस शब्द का उपयोग इस्लामी धार्मिक शिक्षा में दक्ष व्यक्तियों के लिए किया जाता है। यह स्थानीय इस्लामी धर्मगुरुओं या मस्जिद के इमाम के लिए भी प्रयुक्त होता है। जो मुसलमान शरीअत का ज्ञान रखते हैं, उन्हें भी सम्मानपूर्वक मुल्ला कहा जाता है।


मुल्ला सरनेम का सामाजिक संदर्भ

किस जाति में आते हैं ये लोग?


मुल्ला का उपयोग इस्लामी ज्ञान रखने वाले व्यक्तियों के लिए एक आधिकारिक उपाधि के रूप में नहीं किया जाता। यह कई मुसलमानों के लिए पारिवारिक सरनेम भी है। जैसे हिंदुओं में धार्मिक विद्वानों को पंडित कहा जाता है, वैसे ही मुसलमानों में धार्मिक शिक्षा में निपुण लोग मुल्ला सरनेम का उपयोग करते हैं। भारत सहित कई देशों में मुल्ला सरनेम वाले लोग पाए जाते हैं। केंद्र सरकार में यह ओबीसी श्रेणी में आता है और इसे कसाई जाति के अंतर्गत माना जाता है।


Loving Newspoint? Download the app now