हिंदू धर्म में पीपल के वृक्ष की पूजा का विशेष महत्व है। इसे सभी देवी-देवताओं का निवास स्थान माना जाता है, और इसकी पूजा से ग्रह दोषों को शांत करने की मान्यता है।
पीपल का पेड़ ठंडा होता है और इसके कई अद्भुत गुणों के कारण इसे पवित्र माना जाता है। हिंदू धर्म में पीपल की लकड़ी का उपयोग वर्जित है। इसके फल छोटे होते हैं और इसे छाया के लिए मंदिरों और रास्तों के पास लगाया जाता है।
पीपल के औषधीय गुण
दिल की बीमारियों से सुरक्षा: पीपल के 15 ताजे पत्तों को एक गिलास पानी में उबालें। जब पानी एक तिहाई रह जाए, तो इसे ठंडा करके छान लें और दिन में तीन बार सेवन करें।
हार्ट अटैक से बचाव: 15 ताजे पत्तों को 400 मिलीलीटर पानी में उबालें। जब पानी एक तिहाई रह जाए, तो इसे ठंडा करके सेवन करें। यह दिल के दौरे से राहत दिलाने में मदद करता है।
रक्तपित्त: 10 ग्राम पीपल के पत्तों का रस और 60 ग्राम हीरा बोल में शहद मिलाकर सेवन करने से हृदय में रुका खून साफ होता है।
फटी एड़ियों का इलाज: 20 पीपल के पत्तों को उबालकर इस पानी से सेंकने से एड़ियों की समस्या ठीक होती है।
अस्थमा में राहत: पीपल की छाल का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से अस्थमा में लाभ होता है।
सर्दी-खांसी से राहत: पीपल के पत्तों को दूध में उबालकर सेवन करने से सर्दी-खांसी में आराम मिलता है।
पीलिया के लिए: पीपल के पत्तों का रस और मिश्री मिलाकर सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।
दांतों की समस्याएं: पीपल की दातुन से दांतों को मजबूत किया जा सकता है।
गठिया में राहत: पीपल और बेलिया के पत्तों का लेप करने से गठिया में आराम मिलता है।
पेट की गैस: पीपल और नीम की पत्तियों का काढ़ा गैस की समस्या में मदद करता है।
त्वचा रोग: पीपल के पत्तों का काढ़ा त्वचा के रोगों में लाभकारी है।
कमजोरी दूर करने के लिए: पीपल के पत्तों का मुरब्बा खाने से शरीर की कमजोरी दूर होती है।
विशेष ध्यान
पीपल का अधिक सेवन सिरदर्द का कारण बन सकता है। इसके दोषों को दूर करने के लिए बबूल का गोंद और चंदन का उपयोग किया जा सकता है।
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