भगवान विष्णु की आरती के बोल
भगवान विष्णु की आरती के बोल: हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता की पूजा की जाती है। जैसे कि रविवार भगवान सूर्य के लिए, सोमवार भगवान शिव के लिए, और मंगलवार भगवान हनुमान के लिए समर्पित है। इसी तरह, गुरुवार का दिन भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ विष्णु जी का व्रत और पूजन किया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है। पूजा के बाद उनकी आरती अवश्य करनी चाहिए, जिससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, उनकी आरती करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए, पढ़ते हैं गुरुवार को की जाने वाली भगवान विष्णु की आरती।
भगवान विष्णु की आरती (Vishnu Ji Ki Aarti)ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥
जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।
सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय॥
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय॥
तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥
पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय॥
तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय॥
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय॥
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय॥
तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय॥
जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय॥
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