उत्तर प्रदेश के आगरा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने मृतक आश्रित कोटे की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां एक ही परिवार के दो भाइयों ने अपने पिता की मृत्यु के बाद मृतक आश्रित कोटे से पुलिस में नौकरी हासिल कर ली। जबकि नियमों के अनुसार इस कोटे में सिर्फ परिवार का एक ही सदस्य नौकरी पाने का हकदार होता है और अन्य सदस्यों की नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC)जरूरी होती है।
शिकायत के बाद खुला राज, दो भाइयों को मिली आश्रित कोटे से नौकरीपुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने बताया कि यह मामला तब सामने आया जब नागमेंद्र लांबा की रिटायरमेंट से पहले शिकायत दर्ज हुई। शिकायत में कहा गया कि नागमेंद्र और योगेंद्र दोनों सगे भाई हैं और दोनों को ही मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मिली है।
बड़े भाई नागमेंद्र को पिता की मृत्यु के बाद मिली थी नौकरीजांच से स्पष्ट हुआ कि नागमेंद्र लांबा को उनके पिता की मृत्यु के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी दी गई थी। लेकिन छह साल बाद उनके छोटे भाई योगेंद्र लांबा ने भी इसी कोटे का सहारा लेकर पुलिस विभाग में नौकरी पा ली।
विभागीय जांच में सामने आया छोटे भाई का फर्जीवाड़ाडीसीपी ट्रैफिक अभिषेक अग्रवाल ने जांच की तो पाया कि योगेंद्र लांबा की भर्ती पूरी तरह फर्जी तरीके से हुई थी। नियमों के अनुसार इस प्रक्रिया में पूरे परिवार को अधिकारियों के सामने पेश होकर NOC देनी होती है, लेकिन इसमें भारी गड़बड़ी की गई।
नागमेंद्र लांबा की पेंशन रोकी गई, योगेंद्र पर बर्खास्तगी की तलवारनागमेंद्र लांबा एसीपी के पद से हाल ही में रिटायर हुए हैं, लेकिन अब उनकी पेंशन और अन्य सभी भुगतान रोक दिए गए हैं। वहीं इंस्पेक्टर योगेंद्र लांबा पर फर्जी भर्ती का आरोप साबित होने के बाद बर्खास्तगी की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
विभागीय जांच पूरी होने के बाद दर्ज होगा मुकदमा और रिकवरीपुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने कहा कि विभागीय जांच पूरी होने के बाद योगेंद्र लांबा पर मुकदमा दर्ज होगा और उनसे अब तक मिला पूरा वेतन वापस लिया जाएगा। साथ ही भर्ती प्रक्रिया में शामिल अन्य लोगों पर भी कार्रवाई की जाएगी।
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