इस समय कांग्रेस सांसद राहुल गांधी चुनाव आयोग पर हमलावर हैं. वह सीधे तौर पर भाजपा और आयोग के बीच साठगांठ का आरोप लगा रहे हैं. हाल में उन्होंने दावा कर दिया कि चुनाव आयोग ‘मताधिकार की चोरी’ कर रहा है. हालांकि आयोग ने भी पलटवार करते हुए राहुल से प्रूफ और लिखित में शिकायत की बात कर दी है. इस बीच, आयोग ने 300 से ज्यादा गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की छुट्टी कर दी है. चुनाव व्यवस्था को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में इसे बड़ा कदम माना जा रहा है.
भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने शनिवार को 345 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPP) को लिस्ट से हटा दिया. ये सभी पार्टियां 2019 से अब तक यानी पिछले 6 वर्षों में एक भी चुनाव लड़ने के आवश्यक मानदंडों को पूरा करने में फेल रही हैं. इनके कार्यालय भी पंजीकृत दस्तावेजों में अंकित पते पर मौजूद नहीं हैं.
एक आखिरी मौका है
आयोग ने एक बयान में कहा, ‘सभी तथ्यों और मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की सिफारिशों पर विचार करने के बाद आयोग ने 334 पार्टियों को सूची से हटा दिया है. अब कुल 2854 RUPP (Registered Unrecognised Political Parties) में से 2520 शेष हैं.’ आगे कहा गया है कि ये RUPP अब जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29बी और धारा 29सी तथा चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) आदेश 1968 के प्रावधानों के तहत कोई भी लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं होंगे. इस आदेश से असंतुष्ट कोई भी दल 30 दिनों के भीतर आयोग में अपील कर सकता है.
वास्तव में RUPP को सूची से हटाना, चुनाव आयोग की व्यापक रणनीति का हिस्सा है. इसके तहत उन दलों को हटाया जा रहा है जो अब अप्रासंगिक हो गए हैं और केवल कागजों पर ही मौजूद हैं. जून 2025 में चुनाव आयोग ने इस मिशन की शुरुआत की थी और राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को उपरोक्त शर्तों के अनुपालन के संबंध में 345 आरयूपीपी की सत्यापन जांच करने का निर्देश दिया था.
संबंधित मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की रिपोर्ट में कुल 335 में से 334 आरयूपीपी उपरोक्त शर्तों का पालन नहीं करते पाए गए. सीईओ ने पूछताछ की, कारण बताओ नोटिस जारी किए और प्रत्येक पक्ष को जवाब देने और अपना पक्ष रखने का अवसर प्रदान किया. अभी चुनाव आयोग के साथ छह राष्ट्रीय दल, 67 राज्य स्तरीय दल और 2854 RUPP पंजीकृत हैं.
क्या है रूल
मौजूदा चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार अगर कोई दल लगातार 6 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ता है, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया जाता है. अपंजीकृत पार्टियों की डिलिस्टिंग का मतलब है कि इन्हें मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की आधिकारिक सूची से हटा दिया गया है.
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