फिरोजाबाद में Ration Card धारकों के साथ बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। ई-केवाईसी (e-KYC) के नाम पर राशन डीलरों ने सैकड़ों यूनिट का राशन हड़प लिया और कार्डधारकों को अधूरा राशन देकर गुमराह किया। मामला तब उजागर हुआ जब कई पीड़ित कार्डधारकों ने शिकायत की कि उन्हें उनके पूरे परिवार का राशन नहीं मिल रहा है। जबकि पर्ची (Slip) पर पूरा राशन दिखाया गया।
ई-केवाईसी में लापरवाही या साजिश?भारत सरकार ने सभी राशन कार्ड यूनिट्स की ई-केवाईसी (e-KYC) करवाने के लिए 30 अप्रैल 2025 तक का समय निर्धारित किया था। लेकिन फिरोजाबाद जिले में लगभग 3.96 लाख यूनिट्स की ई-केवाईसी अभी तक पूरी नहीं हुई है। यही नहीं, इस प्रक्रिया के लिए सरकार द्वारा समयसीमा भी बढ़ा दी गई, मगर इसका लाभ राशन कार्डधारकों तक नहीं पहुंच पाया।
राशन डीलरों ने जानबूझकर कार्डधारकों को ई-केवाईसी की समयसीमा बढ़ने की सूचना नहीं दी। इसके विपरीत, डीलरों ने यह झूठ फैलाया कि जिन सदस्यों की ई-केवाईसी नहीं हुई है, उनके हिस्से का राशन अब सरकार भेज ही नहीं रही।
अधिकारियों की गैरमौजूदगी बनी सवालखास बात यह रही कि राशन वितरण के दौरान जिन नोडल अधिकारियों को दुकानों की निगरानी के लिए तैनात किया गया था, वे मौके से नदारद रहे। डीलरों ने बिना किसी जांच के अपनी मनमानी से वितरण किया और कालाबाजारी को अंजाम दिया। सूत्रों का कहना है कि यदि सही तरीके से जांच की जाए और कार्डधारकों के बयान लिए जाएं, तो पूरा घोटाला खुलकर सामने आ सकता है।
केस स्टडी: महरूनिशा और प्रेमकुमार की आपबीतीकेस 1: लेबर कॉलोनी निवासी महरूनिशा के राशन कार्ड में सात सदस्य दर्ज हैं। 16 मई को जब वह राशन लेने पहुंचीं, तो उन्हें केवल चार लोगों का ही राशन मिला। डीलर का कहना था कि बार-बार कहने पर भी तीन सदस्यों की ई-केवाईसी नहीं कराई गई, इसलिए उनका राशन नहीं दिया जा सकता।
केस 2: सैलई क्षेत्र के प्रेमकुमार के परिवार में पांच सदस्य हैं। उनके कार्ड में सभी के नाम दर्ज हैं, लेकिन उन्हें मई में सिर्फ तीन सदस्यों का गेहूं-चावल मिला। प्रेमकुमार ने बताया कि पर्ची में तो पांच लोगों का राशन दर्ज था और कांटे पर 25 किलो अनाज तोला भी गया, लेकिन हाथ में आया सिर्फ 15 किलो।
ई-केवाईसी में देरी बना कार्डधारकों की मुसीबतपूर्ति विभाग के अनुसार फिरोजाबाद जिले में कुल 19.55 लाख यूनिट्स हैं। इनमें से 3.96 लाख यूनिट्स की ई-केवाईसी अभी तक लंबित है। यह देरी केवल तकनीकी नहीं, बल्कि एक योजनाबद्ध तरीके से राशन वितरण को प्रभावित करने का जरिया बन चुकी है।
वितरण प्रणाली में पारदर्शिता की कमीई-केवाईसी की प्रक्रिया पारदर्शी वितरण सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी, लेकिन अब यही प्रणाली गरीबों के लिए सिरदर्द बनती जा रही है। वितरण प्रणाली में डिजिटल पारदर्शिता (Digital Transparency) के नाम पर चल रही ये गड़बड़ियां सरकार की योजनाओं पर सवाल खड़े कर रही हैं।
प्रशासनिक कार्रवाई की मांगजिले में इस मामले को लेकर अब विरोध तेज हो रहा है। राशन कार्ड धारकों का कहना है कि उन्हें न केवल उनके हक से वंचित किया गया, बल्कि सरकारी योजनाओं के नाम पर धोखा भी दिया गया। प्रशासन से मांग की जा रही है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कर दोषी डीलरों और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
समाधान की ओर पहल कब?ई-केवाईसी की अनिवार्यता को लेकर सरकार को एक ओर जहां सख्ती दिखानी चाहिए, वहीं आम जनता को भी इसके बारे में पूरी जानकारी देना जरूरी है। साथ ही, डीलरों पर निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करना अब वक्त की मांग बन चुकी है।
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