5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश जल रहा था. भीड़ बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीन के आवास ‘गणभवन’ की ओर बढ़ रही थी. उस दिन शेख हसीना मौत से बस कुछ मिनट दूर थीं. अधिकारी उन्हें निकालने की कोशिश कर रहे थे और शेख हसीना अब भी देश छोड़ना नहीं चाहती थीं. लेकिन ठीक दोपहर 1 बजकर 30 मिनट पर भारत से आए एक फोन कॉल ने सब कुछ बदल दिया. उसी कॉल ने तय किया कि हसीना जिंदा रहेंगी और अपने पिता शेख मुजीबुर रहमान जैसी दर्दनाक मौत से बच जाएंगी. ये सनसनीखेज खुलासा जल्द प्रकाशित होने वाली किताब ‘इंशाल्लाह बांग्लादेश: द स्टोरी ऑफ एन अनफिनिश्ड रिवोल्यूशन’ में किया गया है, जिसे दीप हलदर, जयदीप मजूमदार और साहिदुल हसन खोकन ने लिखा है और जगरनॉट ने प्रकाशित किया है.
किताब में कहा गया है कि भारत ने पहले से ही बांग्लादेशी पीएम के विमान को भारतीय हवाई क्षेत्र में घुसने की इजाजत दे दी थी. लेकिन आखिरी वक्त तक यानी 1.30 बजे तक भी शेख हसीना देश छोड़ने को तैयार नहीं थीं. बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान, नेवी और वायुसेना प्रमुख लगातार उन्हें मनाने की कोशिश कर रहे थे. यहां तक कि उनकी बहन शेख रिहाना और बेटे सजीब वाजेद से भी संपर्क किया गया. अमेरिका में रह रहे सजीब ने भी मां से कहा, ‘आपको तुरंत भारत के लिए निकल जाना चाहिए.’ इसके जवाब में हसीना ने कहा, ‘मैं अपने देश से भागने से बेहतर मरना पसंद करूंगी.’
भारत से आए फोन ने सबकुछ बदल दिया
यह सबकुछ चल ही रहा था तभी अचानक एक फोन कॉल आता है. किताब में यह नहीं बताया गया है कि फोन कॉल किसने किया था, लेकिन बताया गया कि वह भारत के एक टॉप अधिकारी थे, जिनसे हसीना की निजी जान-पहचान थी. कॉल छोटी थी, लेकिन असर गहरा हुआ. उस अधिकारी ने कहा, ‘अब बहुत देर हो चुकी है. अगर आप तुरंत गणभवन नहीं छोड़तीं, तो भीड़ अंदर घुस जाएगी. आपको जिंदा रहना होगा, क्योंकि लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई.’
कैसे भारत पहुंचीं हसीना?
यह बात सुनकर हसीना कुछ पल के लिए स्तब्ध रह गईं. कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने भारत जाने का फैसला किया. उन्होंने जाते-जाते एक आखिरी इच्छा जताई कि देश के नाम एक संदेश रिकॉर्ड करने दिया जाए, लेकिन सुरक्षा प्रमुखों ने मना कर दिया, क्योंकि भीड़ किसी भी पल अंदर घुस सकती थी. 1.53 बजे शेख रिहाना ने हसीना को SUV में खींच लिया और दोनों को सीधे हेलिपैड ले जाया गया. उनके पास सिर्फ दो सूटकेस थे, जिनमें कपड़े रखे थे. 2.23 बजे हेलिकॉप्टर गणभवन से उड़ा और 2.35 बजे तेजगांव एयरबेस पहुंचा. किताब के अनुसार, ‘2.42 बजे विमान ने तेजगांव से उड़ान भरी. आसमान में बादल थे, हल्की बारिश हो रही थी. बीस मिनट बाद यह विमान पश्चिम बंगाल के मालदा इलाके से होकर भारतीय सीमा में दाखिल हुआ.’
उस दिन सुबह चार बजे से घटनाएं चल रही थीं. देर शाम, इंडियन एयरफोर्स का C-170J विमान गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर उतरा. यहां भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल खुद मौजूद थे. उन्होंने हसीना का स्वागत किया और उन्हें दिल्ली के एक सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया, जहां वे आज निर्वासन में रह रही हैं.
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