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फैटी लिवर से बढ़ सकता है कैंसर का खतरा : एम्स डॉक्टर प्रमोद गर्ग

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New Delhi, 29 जुलाई . हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर दिल्ली के एम्स अस्पताल में फैटी लिवर की समस्या को लेकर प्रेस वार्ता की गई, जिसमें एक्सपर्ट्स ने इससे बचाव और उपचार को लेकर जानकारी दी.

दिल्ली एम्स के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और एंटरोलॉजी के एचओडी डॉ. प्रमोद गर्ग ने बताया कि हेपेटाइटिस का मतलब है कि लिवर में सूजन आना, जिसके कई कारण होते हैं. ये समस्या लगातार लोगों में बढ़ रही है और डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस समस्या को साल 2030 तक खत्म किया जाना चाहिए, जिसको लेकर हम लगातार लोगों को जागरूक कर रहे हैं.

हेपेटाइटिस यानी फैटी लिवर के तीन मुख्य कारण हो सकते हैं. पहला कारण है वायरस का इंफेक्शन, जिससे लिवर में सूजन आती है. दूसरा कारण है, शराब का अति सेवन, जो लिवर में फैट बढ़ाता है, जिससे मेटाबॉलिज्म ठीक से काम नहीं करता. तीसरा कारण है लिवर में मोटापा बढ़ना यानी अधिक वसा और चर्बी आना.

जिसका कारण है मोटापा, ओबेसिटी. जैसे जैसे हमारे खाने की मात्रा अधिक होती है, खाने में फैट और शुगर बढ़ता है तो उससे चर्बी बढ़ती है. अधिक भोजन के बाद मोटापा बढ़ने का कारण होता है कि फिजिकल एक्टिविटी कम हो जाती है. आज के समय में कई लोग अपना काम खुद नहीं करते हैं. खाने के बाद बैठे रहना, जिससे अधिक भोजन के बाद मोटापा बढ़ता है और वो मोटापा लिवर में चला जाता है.

डॉक्टर गर्ग ने बताया कि आज के समय में शराब के अधिक सेवन से लिवर कैंसर होने का भी खतरा है और ये उन लोगों में ज्यादा है, जिनके लिवर में सिरोसिस हो जाता है. करीब 10 से 20 सालों से लिवर डैमेज है तो उसमें लिवर कैंसर का खतरा ज्यादा है. इसका कारण तब रहता है जब आपका लिवर बहुत ज्यादा खराब हो जाता है. शराब के अधिक सेवन से लिवर में फैट बढ़ सकता है, सूजन आ जाती है, जिससे सिरोसिस भी हो सकता है. मौजूदा समय में भारत में शराब के अधिक सेवन से लिवर में समस्या के ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं, पहले इतने मामले नहीं आते थे.

डॉक्टर गर्ग ने बताया कि आज के समय में फैटी लिवर का मुख्य कारण अनहेल्दी डाइट भी है, क्योंकि हम जब अपनी डाइट में ज्यादा शुगर ऑयल का सेवन कर लेते हैं और खाने के बाद कोई एक्टिविटी नहीं करते हैं, दिनभर बैठे रहते हैं तो भोजन पच नहीं पाता, जो बाद में लिवर में जाकर फैटी लिवर की समस्या शुरू कर देता है. इसके लिए आवश्यक है कि लोगों को ये पता हो कि वो जो चीजें खा रहे हैं, उसमें कितना शुगर और कितना फैट है. बैलेंस डाइट बेहद आवश्यक है, जिसमें कि 40-50 ग्राम प्रोटीन हो, 20-30 ग्राम फैट होना चाहिए. इसके साथ ही रोजाना फल और सब्जियों का भी सेवन किया जाना चाहिए. किसी तरह की दिक्कत होने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

डीकेपी/एबीएम

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