लखनऊ, 4 जुलाई . गर्भवती महिलाओं और बच्चों की सेहत को सीसा कितना नुकसान पहुंचा रहा है, इसकी जांच होगी. लखनऊ का डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान गर्भवती महिलाओं, बच्चों के साथ पर्यावरण में फैल रहे सीसे के स्तर का पता लगाएगा. प्रदेश के 20 जिलों में विश्व बैंक वित्तपोषित अनुसंधान परियोजना के तहत जांच होगी.
उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को संबंधित जिलों में लोहिया संस्थान की टीम का सहयोग करने व दूसरे जरूरी संसाधन जुटाने के निर्देश दिए हैं. सीसा विषाक्तता विकासशील देशों की गंभीर समस्या है. इससे तंत्रिका, हड्डी और खून से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. बच्चों, गर्भस्थ शिशुओं के मानसिक विकास में सीसा बाधा पैदा करता है. इसके नुकसान का पता लगाने के लिए सीसा विषाक्तता आंकलन परियोजना शुरू की जा रही है. इसमें गर्भवती महिलाओं और 2 से 14 वर्ष के बच्चों के खून में सीसा का स्तर मापा जाएगा.
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं शहरी स्वास्थ्य केंद्रों के अन्तर्गत क्षेत्र में लोहिया की टीमें रक्त एवं पर्यावरणीय स्रोतों के नमूनों एकत्र करेंगी. मिट्टी, पेयजल, मसाले, सौंदर्य प्रसाधन, भोजन पकाने के बर्तन जैसे पर्यावरणीय नमूने लेकर उनकी जांच कराई जाएगी. औद्योगिक श्रमिकों के खून के सैंपल की भी जांच होगी. क्षेत्रीय फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मियों जैसे-आशा वर्कर, एएनएम घर-घर सर्वेक्षण, पात्र व्यक्तियों की पहचान करने में टीम की मदद करेंगी.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि यूपी में पहली बार सीसा विषाक्तता आंकलन परियोजना शुरू होगी. इस अध्ययन से बच्चों, गर्भवती महिलाओं व जोखिम वाले पेशेवर समूहों के स्वास्थ्य में सकारात्मक सुधार होंगे. इन जिलों में प्रोजेक्ट आगरा, मथुरा, मैनपुरी, अलीगढ़, हाथरस, एटा, फर्रुखाबाद, फिरोजाबाद, कानपुर नगर, कानपुर देहात, बांदा, झांसी, कन्नौज, औरैया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, ललितपुर, चित्रकूट एवं कासगंज शामिल हैं.
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विकेटी/एएस
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