नई दिल्ली, 28 मई . भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) ने बुधवार को ‘युवा शक्ति, भारत की शक्ति- एक युवा, एक राष्ट्र, एक संकल्प’ नामक राष्ट्रव्यापी युवा पहल का सफलतापूर्वक आयोजन किया. कार्यक्रम में देशभर से हजारों छात्रों ने भाग लिया और देश के हर प्रमुख क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले पांच विश्वविद्यालयों में आयोजित एक समन्वित समारोह में राष्ट्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की शपथ ली.
इनमें मध्य भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला नई दिल्ली का जामिया हमदर्द, उत्तर भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला श्रीनगर का कश्मीर विश्वविद्यालय, दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला बेंगलुरु का एमएस रमैया यूनिवर्सिटी ऑफ एप्लाइड साइंसेज, पूर्वी भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला अरुणाचल प्रदेश का ईंटानगर का हिमालयन विश्वविद्यालय और पश्चिमी भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला अहमदाबाद का बाबासाहेब अंबेडकर मुक्त विश्वविद्यालय शामिल था.
यह शपथ 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के जरिए देश की शक्तिशाली सैन्य प्रतिक्रिया के बाद उभरी राष्ट्रीय भावना पर आधारित थी. उसी भावनात्मक और देशभक्तिपूर्ण संकल्प को दर्शाते हुए छात्रों ने एकजुट होकर भारत की एकता, नागरिक कर्तव्य और आत्मनिर्भर राष्ट्र के सपने के प्रति अपनी निष्ठा की घोषणा की.
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण और ‘आत्मनिर्भर भारत’, ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ एवं ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के उनके आह्वान को दृढ़ता से दोहराया.
यह कार्यक्रम न केवल भविष्य के नेताओं के रूप में बल्कि राष्ट्रीय चरित्र के वर्तमान संरक्षक के रूप में युवाओं की शक्ति का प्रतीक है. सभी पांच स्थानों पर समारोह भावनात्मक रूप से आवेशित और सांस्कृतिक एकता से ओतप्रोत था.
दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में कई गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया और इसे संबोधित भी किया, जिनमें एआईयू के महासचिव डॉ. पंकज मित्तल, जामिया हमदर्द के कुलपति प्रो. (डॉ.) एम. अफशर आलम, प्रो. हिमानी सूद और संगम विहार के विधायक चंदन कुमार चौधरी शामिल रहे.
एआईयू के अध्यक्ष और सीएसजेएम यूनिवर्सिटी, कानपुर के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने इस मौके पर कहा, “इस आयोजन की सफलता यह साबित करती है कि हमारे विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा के मंदिर हैं, बल्कि राष्ट्रीय संकल्प की कसौटी भी हैं. हमारे युवा कल का इंतजार नहीं कर रहे हैं- वे आज के भारत को आकार दे रहे हैं.”
एआईयू ने न केवल शैक्षणिक संस्थानों के एक नेटवर्क के रूप में अपनी स्थिति की पुष्टि की, बल्कि छात्रों में नागरिकता और अखंडता के मूल्यों को स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध एक राष्ट्रीय शक्ति के रूप में भी अपनी स्थिति की पुष्टि की. संगठन ने भारत की संप्रभुता के प्रति उनके अनादर के मद्देनजर तुर्की और अजरबैजान के साथ सभी शैक्षणिक समझौता ज्ञापनों को रद्द करने की भी घोषणा की. इसके साथ ही इस बात की पुष्टि भी की कि शैक्षणिक सहयोग, आपसी सम्मान के साथ ही राष्ट्रीय सम्मान भी होना चाहिए.
इस ऐतिहासिक पहल के माध्यम से एआईयू ने एक बार फिर दिखाया है कि भारत के युवा जागरूक होने के साथ-साथ नेतृत्व करने के लिए भी तैयार हैं. हजारों छात्रों का संदेश स्पष्ट था कि यह एक ऐसी पीढ़ी है जो बदलाव का इंतजार नहीं करती है.
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एसके/जीकेटी
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