New Delhi, 18 अक्टूबर . सर्दियों में शरीर को गर्म और रोगों से सुरक्षित रखने के लिए दिन की शुरुआत सही पेय से करना बेहद लाभकारी होता है. आयुर्वेद के अनुसार, सुबह के समय यदि हम हल्दी-दूध, अदरक वाली चाय या तुलसी का काढ़ा पीते हैं, तो यह केवल एक आदत नहीं बल्कि एक औषधीय उपचार बन जाता है. ये पेय ना केवल शरीर को ऊर्जावान बनाते हैं, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं.
हल्दी वाला दूध, जिसे गोल्डन मिल्क भी कहा जाता है, एक शक्तिशाली एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट पेय है. हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिन शरीर की सूजन को कम करता है और सर्दियों में जोड़ों के दर्द, सर्दी-जुकाम और गले की खराश से राहत दिलाने में मदद करता है. गर्म दूध में एक चुटकी हल्दी मिलाकर सुबह पीने से दिनभर ऊर्जा बनी रहती है और पाचन भी बेहतर होता है.
अदरक वाली चाय भी सर्दियों में बेहद लाभकारी मानी जाती है. अदरक में मौजूद जिंजरोल शरीर को अंदर से गर्म रखता है और ब्लड सर्कुलेशन को सुधारता है. यह चाय गले की खराश, जुकाम और अपच जैसी समस्याओं में राहत देती है. साथ ही, यह तनाव को कम करने और माइग्रेन जैसी समस्याओं में भी सहायक मानी जाती है.
तुलसी का काढ़ा, जिसे दादी-नानी के घरेलू नुस्खों में प्रमुखता से जगह दी जाती है, आयुर्वेद में रोग नाशिनी माना जाता है. तुलसी में जीवाणुरोधी और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो श्वसन तंत्र को मजबूत करते हैं. काढ़ा बनाते समय तुलसी के साथ अदरक, काली मिर्च, दालचीनी और शहद मिलाकर पीने से यह इम्युनिटी बढ़ाने के साथ-साथ शरीर को संक्रमणों से भी बचाता है.
इन पेयों में अश्वगंधा भी जोड़ा जाए तो मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की ताकत में वृद्धि होती है. अश्वगंधा तनाव को कम करने वाला, नींद सुधारने वाला और हॉर्मोन संतुलन बनाए रखने वाला प्राकृतिक टॉनिक है, जो ठंड में शरीर को अधिक सहनशक्ति प्रदान करता है.
सर्दियों में यह छोटी-सी आदत ना केवल दिनभर ताजगी और ऊर्जा देती है, बल्कि मौसमी बीमारियों से लड़ने के लिए एक प्राकृतिक कवच भी बन जाती है. आयुर्वेद के ये उपहार अपनाकर हम आधुनिक जीवन में भी अच्छी सेहत का आनंद ले सकते हैं.
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पीआईएस/वीसी
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