नई दिल्ली, 16 अप्रैल . भारत में सोलर पैनल रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए क्लीनटेक कंपनी एटेरो ने राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान के साथ हाथ मिलाया है. एटेरो ने बुधवार को कहा कि उसने भारत में सौर पैनल रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी (एनआईएसई) के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.
यह सहयोग भारत में सौर पैनल कचरे की समस्या से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. एटेरो दुनिया की सबसे बड़ी लिथियम-आयन बैटरी रीसाइक्लिंग कंपनी है.
इस समझौते के तहत एनआईएसई सौर पैनल रीसाइक्लिंग के क्षेत्र में एटेरो को अनुसंधान और विकास के लिए समर्थन, ज्ञान और वर्तमान सौर परिदृश्य की गहरी समझ प्रदान करेगा.
इसके अलावा, एटेरो और एनआईएसई द्वारा विकसित सौर पैनल रीसाइक्लिंग तकनीक का परीक्षण करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट भी चलाया जाएगा, जिसमें एनआईएसई की तरफ से प्रदान किए गए पुराने सौर पैनलों का उपयोग होगा.
दोनों संगठन एनआईएसई परिसर में लिथियम-आयन बैटरी और सौर पैनल रीसाइक्लिंग के लिए एक समर्पित परीक्षण और अनुसंधान सुविधा स्थापित करने की संभावना भी तलाशेंगे.
यह साझेदारी भारत और वैश्विक स्तर पर रीसाइक्लिंग के लिए प्रभावी मानकों और ढांचे को विकसित करने के लिए संयुक्त रूप से तकनीकी रिपोर्ट और सिफारिशें करने का कार्य करेगी.
एटेरो के सीईओ और सह-संस्थापक नितिन गुप्ता ने कहा, “एनआईएसई के साथ यह साझेदारी एक समयबद्ध और रणनीतिक पहल है. जैसे-जैसे भारत अपनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता बढ़ा रहा है, पुराने सौर पैनलों के पर्यावरणीय प्रभाव को संबोधित करने की जरूरत बढ़ रही है. अगर हम कचरे के भविष्य के संकट को रोकना चाहते हैं, तो रीसाइक्लिंग ढांचे को भी उत्पादन क्षमता के साथ विकसित करना होगा.”
गुप्ता ने कहा, “हमारा लक्ष्य ऐसी रीसाइक्लिंग तकनीक विकसित करना है जो पर्यावरण के अनुकूल, वैज्ञानिक और बड़े पैमाने पर काम करे, ताकि महत्वपूर्ण सामग्रियों को पुनः प्राप्त और उपयोग किया जा सके. एनआईएसई की सौर क्षेत्र की गहरी समझ और एटेरो की रीसाइक्लिंग तकनीक के साथ, यह साझेदारी सौर पैनल रीसाइक्लिंग के लिए वैश्विक दृष्टिकोण की नींव रख सकती है.”
एनआईएसई के महानिदेशक डॉ. मोहम्मद रिहान के अनुसार, वे सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को आगे बढ़ाने और संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
उन्होंने कहा, “ई-कचरा रीसाइक्लिंग में अग्रणी एटेरो के साथ साझेदारी हमें सौर पैनल कचरे के प्रबंधन की महत्वपूर्ण समस्या को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए अपनी विशेषज्ञता को जोड़ने का अवसर देती है.”
सौर पैनलों की उम्र आमतौर पर 20 से 25 वर्ष होती है और अगले दशक में इनकी बड़ी मात्रा अपने जीवनकाल के अंत तक पहुंचने की उम्मीद है. भारत का सौर ऊर्जा क्षेत्र तेजी से बढ़ा है और जनवरी 2025 तक कुल स्थापित क्षमता लगभग 100.33 गीगावाट हो गई है, जो देश के नवीकरणीय ऊर्जा मिश्रण का 47 प्रतिशत है.
पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना जैसे कार्यक्रम, जो छत पर सौर पैनल लगाकर एक करोड़ परिवारों को मुफ्त बिजली देने का लक्ष्य रखते हैं, इस विस्तार को और तेज करेंगे. हालांकि, सौर पैनलों की तेजी से बढ़ती संख्या के साथ पुराने पैनलों के प्रबंधन की चुनौती भी सामने आ रही है.
अनुमान है कि भारत में सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) कचरा 2030 तक लगभग 600 किलोटन और 2050 तक करीब 19,000 किलोटन तक पहुंच सकता है. इस बढ़ती समस्या को हल करना देश की नवीकरणीय ऊर्जा योजनाओं की स्थिरता के लिए बहुत जरूरी है. ई-कचरा और लिथियम-आयन कचरे के रीसाइक्लिंग के लिए कार्बन क्रेडिट पाने वाली दुनिया की एकमात्र कंपनी एटेरो ने कहा कि इस मुद्दे का समाधान देश की नवीकरणीय ऊर्जा पहल की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है.
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