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राधिका हत्याकांड: 'FIR ऐसी लिखो कि मुझे फांसी हो जाए', बेटी की हत्या पर पिता का पछतावा, ताऊ बोले– सदमे में है पूरा परिवार

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"एफआईआर ऐसी लिखो कि मुझे फांसी पर लटका दिया जाए…" – ये शब्द हैं उस पिता के, जिसने अपनी ही बेटी की हत्या कर दी। टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की दर्दनाक मौत के बाद उसका पूरा परिवार शोक और पछतावे के तूफान से जूझ रहा है। राधिका के ताऊ विजय यादव ने खुलासा किया कि उनके भाई दीपक यादव को अब अपनी बेटी की हत्या पर गहरा पछतावा हो रहा है और वह खुद को इस अपराध के लिए सबसे बड़ी सज़ा देना चाहता है।

शनिवार को विजय यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दीपक ने उनके सामने अपनी बेटी की हत्या की बात कबूल की थी। उन्होंने बताया कि दीपक ने पुलिस से साफ शब्दों में कहा था, “मेरी एफआईआर ऐसी लिखो कि मुझे फांसी पर लटका दिया जाए।” ये शब्द एक टूट चुके इंसान की आत्मग्लानि और भीतर से उधड़े हुए मन की गवाही दे रहे थे।


विजय यादव ने यह भी कहा कि राधिका की किसी टेनिस एकेडमी को लेकर चल रही खबरें गलत हैं। उनका कहना है कि राधिका की कोई निजी एकेडमी नहीं थी।

'जो कुछ हुआ, वह गलत था' – गवाह बने बड़े भाई

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, विजय यादव ने पुलिस स्टेशन के उस मंजर को याद करते हुए कहा, "जब मैं उसके साथ था, तो उसने कहा – जो हुआ, वह गलत था। मेरी एफआईआर और बयान ऐसे बनाओ कि मुझे फांसी हो।" दीपक ने कहा था कि उसने कन्या वध किया है – और वह शर्मिंदा है, दुखी है।

विजय ने भावुक होकर कहा, “किस्मत भी अजीब खेल खेलती है। मेरा भाई अंदर से टूट चुका है। वह इतना कमजोर हो चुका था कि अपनी बेटी की आंखों में देखकर गोली भी नहीं चला सका।”

प्रेम प्रसंग की थ्योरी को परिवार ने सिरे से खारिज किया

परिवार ने स्पष्ट रूप से इस बात को नकारा है कि राधिका की हत्या के पीछे किसी प्रेम प्रसंग का मामला था। वजीराबाद में रहने वाले विजय यादव ने कहा, “हम लोग पढ़े-लिखे लोग हैं, न कि संकीर्ण सोच रखने वाले। अगर इंटरकास्ट शादी की बात भी होती, तो गांव के स्तर पर इसे समझदारी से सुलझा लिया जाता।”

‘ग़लती का एहसास सबसे बड़ी सज़ा है’ – परिवार गहरे सदमे में

विजय यादव ने कहा कि दीपक का परिवार संपन्न है और किसी तरह की सामाजिक या आर्थिक बाध्यता नहीं थी। “दीपक को अपनी गलती का पूरा एहसास है। शायद यही उसके जीवन की सबसे बड़ी सज़ा बन चुकी है। हम सब सदमे में हैं। राधिका मॉडल बनना चाहती थी, उसने खुद एक गाना लिखा था और पूरा परिवार उसकी रचनात्मकता पर गर्व करता था।”

उन्होंने यह भी बताया कि दीपक ने बेटी के करियर पर न सिर्फ करोड़ों रुपये खर्च किए, बल्कि हर कदम पर उसका साथ भी दिया।

‘सब कुछ लगा दिया था उसके लिए’ – छोटे भाई की पीड़ा

दीपक के एक और भाई राजेश (52) ने टूटे हुए शब्दों में कहा, “दीपक ने उसके करियर के लिए हर मुमकिन कोशिश की थी… वह जो कर सकता था, उसने किया। हम नहीं समझ पा रहे कि आखिर यह कैसे हो गया।”

चार गोलियों से ली गई बेटी की जान


गुरुग्राम के सुशांत लोक इलाके में गुरुवार को यह सनसनीखेज वारदात हुई थी। 49 वर्षीय दीपक यादव ने अपनी 25 वर्षीय बेटी राधिका को घर में गोली मार दी थी। शनिवार को आरोपी को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। उससे पहले शुक्रवार को उसे एक दिन की पुलिस हिरासत में रखा गया था। पुलिस को घर से पांच गोलियां और एक जिंदा कारतूस बरामद हुआ।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, राधिका को चार गोलियां लगी थीं – तीन पीठ में और एक कंधे में। शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार वजीराबाद स्थित उनके गांव में किया गया।

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