अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से टैरिफ में बढ़ोतरी किए जाने के बाद भी ज्यादातर ऑटो निर्यातकों के पास डेट और लिक्विडिटी पर्याप्त मात्रा में होगी। हालांकि, मार्जिन पर दबाव और वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता बढ़ सकती है। सोमवार को जारी हुई आईसीआरए की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 24 में भारतीय ऑटो कंपोनेंट इंडस्ट्री की 70 प्रतिशत आय घरेलू इंडस्ट्री से आई थी और इंडस्ट्री की कुल आय में अमेरिकी मार्केट की हिस्सेदारी केवल 8 प्रतिशत थी।
रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2020 से लेकर वित्त वर्ष 2024 में अमेरिका को होने वाले ऑटो कंपोनेंट निर्यात में 15 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से वृद्धि हुई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल ओईएम (ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) द्वारा वेंडर डाइवर्सिफिकेशन के कारण नए प्लेटफार्मों को बढ़ती आपूर्ति और हाई वैल्यू एडिशन जैसे कारकों ने भारतीय ऑटो कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर को फायदा पहुंचाया है, जबकि अमेरिका में पूर्व-कोविड स्तरों की तुलना में नए वाहन के पंजीकरण की वृद्धि धीमी रही है।
आईसीआरए लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट शमशेर दीवान ने कहा, "ऑटो कंपोनेंट सप्लायर्स ने संकेत दिया है कि बढ़ती लागत का अधिकांश हिस्सा आगे पास किया जाएगा। हालांकि, किसी भी क्रेता-आपूर्तिकर्ता वार्ता की तरह, पास-थ्रू की सीमा आपूर्तिकर्ता की गंभीरता, व्यापार में हिस्सेदारी, प्रतिस्पर्धा और आपूर्ति किए गए कंपोनेंट की तकनीक पर निर्भर करेगी।"
उन्होंने आगे कहा, "अगर बढ़ी हुई टैरिफ लागत का औसतन 30-50 प्रतिशत भारतीय ऑटो कंपोनेंट निर्यातकों द्वारा वहन किया जाता है, तो हमारा अनुमान है कि इससे लगभग 2,700-4,500 करोड़ रुपये की आय प्रभावित होगी, जो ऑटो कंपोनेंट उद्योग के परिचालन लाभ का 3-6 प्रतिशत और ऑटो कंपोनेंट निर्यातकों के परिचालन लाभ का 10-15 प्रतिशत है।"
अमेरिकी सरकार की ओर से 26 मार्च, 2025 को जारी किए गए आदेश में आयातित प्रमुख ऑटोमोबाइल पार्ट्स (इंजन, ट्रांसमिशन, पावरट्रेन और इलेक्ट्रिकल कंपोनेंट) पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया गया था। भारत के ऑटो कंपोनेंट निर्यात बास्केट का लगभग 65 प्रतिशत 25 प्रतिशत आयात टैरिफ कैटेगरी में आने का अनुमान है।
आईसीआरए का मानना है कि निकट भविष्य में ग्राहकों के साथ बिजनेस शेयर में कमी आने की संभावना नहीं है, क्योंकि स्विचिंग लागत अधिक है और प्रोडक्ट डेवलपमेंट, टेस्टिंग और एप्रूवल साइकिल काफी लंबे हैं।
रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 38 पैसे मजबूत होकर 85.03 प्रति डॉलर परविदेशी कोषों का प्रवाह जारी रहने, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और घरेलू शेयर बाजारों में तेजी के रुख के बीच रुपया सोमवार को 38 पैसे मजबूत होकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.03 (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने बताया कि विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि ने भी निवेशकों की धारणा को मजबूती देने का काम किया।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय पर रुपया 85.29 प्रति डॉलर पर खुला। दिन में वह 84.96 प्रति डॉलर के उच्च और 85.42 प्रति डॉलर के निम्न स्तर तक पहुंचा। कारोबार के अंत में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 85.03 (अस्थायी) पर बंद हुआ जो पिछले बंद भाव से 38 पैसे की मजबूती दर्शाता है।
रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 85.41 पर बंद हुआ था।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.13 प्रतिशत की बढ़त के साथ 99.60 पर रहा।
अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.46 प्रतिशत की गिरावट के साथ 66.56 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, ‘‘रुपया सप्ताह की शुरुआत में आत्मविश्वास से भरा रहा और एशियाई मुद्राओं के बीच इसका प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा। स्थिर विदेशी निवेश और शांत भू-राजनीतिक परिदृश्य से घरेलू शेयर बाजारों में तेजी से सुधार हुआ।’’
परमार ने कहा कि निकट भविष्य में अमेरिकी डॉलर-भारतीय रुपये का भाव 84.90 से 85.70 के बीच रहने के आसार हैं।
घरेलू शेयर बाजार में बीएसई सेंसेक्स 1,005.84 अंक की बढ़त के साथ 80,218.37 अंक पर जबकि निफ्टी 289.15 अंक चढ़कर 24,328.50 अंक पर रहा।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुक्रवार को लिवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 2,952.33 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को बताया था कि 18 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 8.31 अरब डॉलर बढ़कर 686.145 अरब डॉलर हो गया। लगातार सातवें सप्ताह इसमें वृद्धि हुई दर्ज की गई।
रिलायंस में जोरदार लिवाली से सेंसेक्स 1,006 अंक उछला, निफ्टी 24,300 के पाररिलायंस इंडस्ट्रीज एवं निजी बैंकों के शेयरों में तेज उछाल और विदेशी संस्थागत निवेशकों की लिवाली से सोमवार को स्थानीय शेयर बाजार दो दिनों की गिरावट से उबरने में सफल रहे। मानक सूचकांक सेंसेक्स में 1,006 अंक और निफ्टी में 289 अंकों की जोरदार तेजी दर्ज की गई।
विश्लेषकों के मुताबिक, पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा हुआ तनाव भी बाजार की सकारात्मक धारणा पर कोई असर नहीं डाल पाया।
बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित मानक सूचकांक सेंसेक्स 1,005.84 अंक यानी 1.27 प्रतिशत उछलकर 80,218.37 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 1,109.35 अंक बढ़कर 80,321.88 अंक पर पहुंच गया था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मानक सूचकांक निफ्टी भी 289.15 अंक यानी 1.20 प्रतिशत बढ़कर 24,328.50 पर बंद हुआ।
सेंसेक्स के समूह में शामिल 23 कंपनियां बढ़त के साथ बंद हुईं। सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) को छोड़कर बाकी सभी प्रमुख क्षेत्रों ने इस तेजी में शिरकत की।
बाजार पूंजीकरण के लिहाज से देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज 5.27 प्रतिशत की जोरदार बढ़त के साथ सेंसेक्स शेयरों में सबसे अधिक लाभ में रही। दिग्गज कंपनी की मार्च तिमाही में शुद्ध लाभ में 2.4 प्रतिशत वृद्धि बाजार अनुमानों से अधिक है।
इसके अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर में भी 2.29 प्रतिशत की तेजी देखी गई। एसएमएल इसुजु का 555 करोड़ रुपये में अधिग्रहण करने की घोषणा से महिंद्रा के शेयरों में लिवाली का जोर रहा जबकि एसएमएल इसुजु लिमिटेड के शेयरों में 10 प्रतिशत की गिरावट आई।
इसके अलावा सन फार्मा, टाटा स्टील, भारतीय स्टेट बैंक, एक्सिस बैंक, टाटा मोटर्स, लार्सन एंड टूब्रो और आईसीआईसीआई बैंक के शेयर भी चढ़कर बंद हुए।
दूसरी तरफ, एचसीएल टेक, अल्ट्राटेक सीमेंट, नेस्ले और हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयरों में गिरावट का रुख देखने को मिला।
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने शुक्रवार को 2,952.33 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध खरीदारी की थी।
विदेशी निवेशकों ने पिछले सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों में 17,425 करोड़ रुपये का निवेश किया। अनुकूल वैश्विक संकेतों और मजबूत घरेलू वृहद-आर्थिक आंकड़ों के साथ एफआईआई का निवेश बढ़ा है।
जियोजित इन्वेस्टमेंट लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, "घरेलू बाजार ने पिछले सप्ताह के आखिरी दो दिनों में हुए नुकसान की भरपाई कर ली है, जो सीमा पर तनाव के कारण हुआ था। एफआईआई की ओर से लगातार खरीदारी और रिलायंस के बेहतर नतीजों ने भी निवेशकों की धारणा को बढ़ावा दिया।"
बीएसई पर मझोली कंपनियों का मिडकैप सूचकांक 1.34 प्रतिशत उछला जबकि छोटी कंपनियों के स्मालकैप सूचकांक में 0.39 प्रतिशत की बढ़त रही।
क्षेत्रवार सूचकांकों में से ऊर्जा खंड में सर्वाधिक 3.02 प्रतिशत की तेजी रही जबकि तेल एवं गैस खंड में 2.90 प्रतिशत, पूंजी उत्पाद में 1.93 प्रतिशत और स्वास्थ्य देखभाल खंड में 1.60 प्रतिशत की बढ़त रही।
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड में वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा ने कहा, "भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को लेकर कोई नया घटनाक्रम न होने और वैश्विक बाजारों में स्थिरता से दबाव घटा और घरेलू बाजारों में तेजी की धारणा को बल मिला। इसके अलावा रिलायंस में मजबूती से भी समर्थन मिला।"
एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया का कॉस्पी सूचकांक और जापान का निक्की 225 बढ़त के साथ बंद हुए जबकि चीन का शंघाई कम्पोजिट और हांगकांग का हैंग सेंग गिरावट में रहे।
यूरोपीय बाजार बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे। शुक्रवार को अमेरिकी बाजार भी बढ़त के साथ बंद हुए थे।
वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.19 प्रतिशत गिरकर 66.74 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।
शुक्रवार को सेंसेक्स 588.90 अंक गिरकर 79,212.53 और निफ्टी 207.35 अंक टूटकर 24,039.35 पर बंद हुआ था।
अक्षय तृतीया पर सोना, चांदी की मांग मजबूत रहने की उम्मीद, आभूषण विक्रेता दे रहे आकर्षक छूटआभूषण विक्रेता सोने की बढ़ती कीमतों के बावजूद अक्षय तृतीया के मौके पर अच्छी मांग की उम्मीद कर रहे हैं और ग्राहकों को लुभाने के लिए सोने के मूल्य और गहने बनाने के शुल्क पर आकर्षक छूट की पेशकश कर रहे हैं।
अक्षय तृतीया को सोना खरीदने के लिए शुभ माना जाता है। यह इस साल 30 अप्रैल को है।
तनिष्क, सेन्को गोल्ड, एमपी ज्वैलर्स और पीसी चंद्रा ज्वैलर्स जैसे प्रमुख ब्रांड ने इस अवसर का लाभ उठाने के लिए कई तरह की छूट की घोषणा की है।
अंजलि ज्वैलर्स के निदेशक अनर्घा उत्तिया चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि हमें उम्मीद है कि अक्षय तृतीया पर काम अच्छा रहेगा क्योंकि इस समय सोने में उपभोक्ताओं का विश्वास पहले से कहीं अधिक है।
उन्होंने कहा, ‘‘ सोने के प्रति लोगों की दीवानगी को भुनाने के लिए हम खरीदारी के अनुभव को ग्राहकों के लिए अधिक रोमांचक बनाने हेतु आभूषण बनाने शुल्क पर छूट की पेशकश कर रहे हैं।’’
कोलकाता में 22 कैरेट सोने की कीमत 9000 रुपये प्रति ग्राम के आसपास है, जो पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत से अधिक है।
उन्होंने कहा, ‘‘ यदि वर्तमान परिदृश्य जारी रहता है, तो अल्पावधि में सोने की कीमतें पांच से सात प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। कीमतों में तत्काल सुधार दिखाई नहीं दे रहा है और बाजार में अस्थिरता 2025 में जारी रहने की उम्मीद है।’’
चौधरी ने लोगों से इस समय सोने की खरीद पर विचार करने का आग्रह किया।
सेनको गोल्ड के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) सुवनकर सेन ने कहा कि सोने की बढ़ती कीमतों के कारण खरीद मात्रा में गिरावट आई है, लेकिन शुभ मुहूर्त में खरीदारी की धारणा मजबूत रहने की उम्मीद है।
हालांकि, कंपनी किफायती दाम बनाए रखने के लिए कई विकिल्पों पर विचार कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हम शादी के गहनों में मोती और नग लगा सोने के इस्तेमाल को कम करने के लिए इनकी लागत 25-30 प्रतिशत कम करने की कोशिश कर रहे हैं।’’
सोने की खरीदारी को मजबूत निवेश मांग से भी समर्थन मिल रहा है।
इक्रा एनालिटिक्स की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2025 में गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) में निवेश सालाना आधार पर 98.54 प्रतिशत बढ़कर 1,979.84 करोड़ रुपये हो गया, जबकि एक साल पहले इसी महीने में यह 997.21 करोड़ रुपये था।
इसी अवधि के दौरान गोल्ड ईटीएफ के लिए प्रबंधन अधीन शुद्ध संपत्ति (एयूएम) 28,529.88 करोड़ रुपये से लगभग दोगुनी होकर 55,677.24 करोड़ रुपये हो गई।
गोल्ड ईटीएफ उन निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प प्रदान करता है जो सोने को भौतिक रूप से खरीदने की जटिलताओं के बिना सोने में निवेश करना चाहते हैं।
चांदी में भी निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ रही है।
जेरोधा फंड हाउस के अनुसार, जनवरी 2025 तक भारत में सिल्वर ईटीएफ का एयूएम 13,500 करोड़ रुपये को पार कर गया।
उद्योग जगत के लोगों का मानना है कि अनुकूल वैश्विक रुझान, उच्च निवेश मांग और त्योहारी भावना के साथ इसमें मजबूत वृद्धि होगी।
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