अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने पूरे देश को झकझोर दिया है। हादसे की असल वजह क्या रही, यह जांच का विषय है। इसमें कई दिन और महीने तक लग सकते हैं। अभी राहत और बचाव पर फोकस है। घायलों को सर्वश्रेष्ठ इलाज मिले और मरने वालों की जल्द से जल्द पहचान की जाए।
सबसे भयावह: हादसे का शिकार हुए बोइंग 787 में 242 यात्री सवार थे। यह इस सदी का सबसे भयावह भारतीय विमान हादसा है। मई 2010 में मंगलुरू में एयर इंडिया की एक्सप्रेस फ्लाइट 812 क्रैश हुई थी, जिसमें 158 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। इसके बाद 2020 के कोझिकोड क्रैश को अपवाद माना जाए, तो पिछले लगभग डेढ़ दशक इंडियन एविएशन इंडस्ट्री के लिए शानदार गुजरे।
ड्रीमलाइनर पर सवाल: अहमदाबाद हादसे का शिकार हुआ विमान बोइंग का ड्रीमलाइनर था। कंपनी ने इस सीरीज का पहला विमान 2011 में जापान की एयरवेज को दिया था और फिलहाल दुनियाभर में 1100 से अधिक ड्रीमलाइनर उड़ान भर रहे हैं। इस विमान के साथ हुई यह पहली बड़ी दुर्घटना है, लेकिन यह भी सच है कि बोइंग ड्रीमलाइनर को लेकर कुछ सवाल उठाए जाते रहे हैं। कंपनी के एक इंजीनियर ने अमेरिका में सरकारी जांच के दौरान एक टेक्निकल फॉल्ट की ओर ध्यान दिलाया था। तब कंपनी ने आरोपों को खारिज कर दिया था।
साख पर आंच: इस हादसे और इससे पहले के गुणवत्ता से जुड़े विवाद की वजह से बोइंग की छवि पर जरूर आंच आएगी। इसका एक असर तो तुरंत ही कंपनी के शेयरों में गिरावट के रूप में दिख गया। लेकिन, इससे लंबे वक्त में बोइंग की साख को भी धक्का लगा है। इस महीने की शुरुआत में ही रिपोर्ट्स आई थीं कि एयर इंडिया अपने बेड़े को बढ़ाने के लिए एयरबस और बोइंग के साथ 200 विमानों की डील कर सकती है। इससे पहले, 2023 में एयर इंडिया ने रेकॉर्ड 470 विमानों की खरीद का ऑर्डर दिया था।
ताकि भरोसा बना रहे: भारत दुनिया का चौथा बड़ा एविएशन मार्केट है। केंद्र की UDAN योजना के तहत छोटे शहरों को भी हवाई मार्ग से जोड़ा जा रहा है। पिछले एक दशक में एयरपोर्ट की संख्या 74 से बढ़कर 159 हो चुकी है और डोमेस्टिक एयर ट्रैवल में इस साल अप्रैल में 10.2% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी। पिछले साल ही, 17 नवंबर को देश के विमानन क्षेत्र ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब एक दिन में पांच लाख से ज्यादा घरेलू यात्रियों ने उड़ान भरी। सरकार और एविएशन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को ख्याल रखना होगा कि इस हादसे की वजह से लोगों का भरोसा कम न हो।
सबसे भयावह: हादसे का शिकार हुए बोइंग 787 में 242 यात्री सवार थे। यह इस सदी का सबसे भयावह भारतीय विमान हादसा है। मई 2010 में मंगलुरू में एयर इंडिया की एक्सप्रेस फ्लाइट 812 क्रैश हुई थी, जिसमें 158 लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। इसके बाद 2020 के कोझिकोड क्रैश को अपवाद माना जाए, तो पिछले लगभग डेढ़ दशक इंडियन एविएशन इंडस्ट्री के लिए शानदार गुजरे।
ड्रीमलाइनर पर सवाल: अहमदाबाद हादसे का शिकार हुआ विमान बोइंग का ड्रीमलाइनर था। कंपनी ने इस सीरीज का पहला विमान 2011 में जापान की एयरवेज को दिया था और फिलहाल दुनियाभर में 1100 से अधिक ड्रीमलाइनर उड़ान भर रहे हैं। इस विमान के साथ हुई यह पहली बड़ी दुर्घटना है, लेकिन यह भी सच है कि बोइंग ड्रीमलाइनर को लेकर कुछ सवाल उठाए जाते रहे हैं। कंपनी के एक इंजीनियर ने अमेरिका में सरकारी जांच के दौरान एक टेक्निकल फॉल्ट की ओर ध्यान दिलाया था। तब कंपनी ने आरोपों को खारिज कर दिया था।
साख पर आंच: इस हादसे और इससे पहले के गुणवत्ता से जुड़े विवाद की वजह से बोइंग की छवि पर जरूर आंच आएगी। इसका एक असर तो तुरंत ही कंपनी के शेयरों में गिरावट के रूप में दिख गया। लेकिन, इससे लंबे वक्त में बोइंग की साख को भी धक्का लगा है। इस महीने की शुरुआत में ही रिपोर्ट्स आई थीं कि एयर इंडिया अपने बेड़े को बढ़ाने के लिए एयरबस और बोइंग के साथ 200 विमानों की डील कर सकती है। इससे पहले, 2023 में एयर इंडिया ने रेकॉर्ड 470 विमानों की खरीद का ऑर्डर दिया था।
ताकि भरोसा बना रहे: भारत दुनिया का चौथा बड़ा एविएशन मार्केट है। केंद्र की UDAN योजना के तहत छोटे शहरों को भी हवाई मार्ग से जोड़ा जा रहा है। पिछले एक दशक में एयरपोर्ट की संख्या 74 से बढ़कर 159 हो चुकी है और डोमेस्टिक एयर ट्रैवल में इस साल अप्रैल में 10.2% की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी। पिछले साल ही, 17 नवंबर को देश के विमानन क्षेत्र ने ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब एक दिन में पांच लाख से ज्यादा घरेलू यात्रियों ने उड़ान भरी। सरकार और एविएशन इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को ख्याल रखना होगा कि इस हादसे की वजह से लोगों का भरोसा कम न हो।
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