US F-1 Visa Advisory: क्या आप अमेरिका में पढ़ना चाहते हैं? अगर आपका जवाब हां है तो फिर आपको अपना सोशल मीडिया अकाउंट बहुत सावधानी से चलाना चाहिए। इसकी वजह ये है कि भारत में स्थित अमेरिकी दूतावास ने एक फरमान जारी किया है। इसके तहत यूएस में पढ़ने आने वाले छात्रों को अपना सोशल मीडिया अकाउंट 'पब्लिक' करना होगा, ताकि वीजा अधिकारी चेक कर पाएं कि वे कोई राष्ट्र-विरोधी गतिविधि में शामिल तो नहीं हैं या फिर उन्होंने कोई आपत्तिजनक पोस्ट तो नहीं किया है।
अमेरिकी दूतावास ने नई गाइडलाइंस उन लोगों के लिए जारी की है, जो स्टूडेंट और एक्सचेंज विटिजर वीजा पाना चाहते हैं। नए नियम लागू हो चुके हैं और ये F, M और J कैटेगरी के नॉन-इमिग्रेंट वीजा चाहने वाले लोगों के लिए हैं। इन कैटेगरी के वीजा के लिए आवेदक को अपना सोशल मीडिया अकाउंट 'पब्लिक' करना होगा। अमेरिका में पढ़ने के लिए F-1 वीजा मिलता है, जबकि M-1 वीजा वोकेशनल या नॉन-अकेडमिक ट्रेनिंग के लिए दिया जाता है। इसी तरह से J-1 वीजा एक्सचेंज स्टूडेंट्स को मिलता है।
यूएस दूतावास ने क्या कहा?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में यूएस दूतावास ने कहा, "F, M और J नॉन-इमिग्रेंट वीजा के लिए अप्लाई करने वाले सभी लोगों से गुजारिश है कि वे अपने सोशल मीडिया अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स 'पब्लिक' करें, ताकि अमेरिकी कानून के तहत यूएस में उनकी पहचान स्थापित करने के लिए जरूरी जांच हो सके। ये फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो चुका है।"
दूतावास ने कहा, 2019 से ही अमेरिका वीजा आवेदकों से सिक्योरिटी जांच के लिए सोशल मीडिया अकाउंट्स की डिटेल्स मांग रहा है। वीजा जांच के दौरान हम सभी तरह की जानकारी का इस्तेमाल करते हैं, ताकि तय किया जा सके कि अमेरिका में किसे एंट्री दी जाए और किसे नहीं।
सोशल मीडिया जांच करने की वजह क्या है?
दरअसल, अमेरिका में पिछले साल कॉलेज कैंपसों में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन हुए। सरकार की तरफ से दावा किया गया कि इन प्रदर्शनों में वो विदेशी छात्र शामिल हुए, जो हमास जैसे चरमपंथी संगठन का समर्थन करते हैं। सरकार ने बताया कि विदेशी छात्रों ने इजरायल और अमेरिका की आलोचना की। अब सरकार चाहती है कि ऐसे छात्रों को देश में आने नहीं दिया जाए। इसके लिए हर वीजा आवेदक का सोशल मीडिया चेक किया जाएगा, ताकि अगर उसने कोई यहूदी विरोधी, हमास समर्थक या अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाला पोस्ट किया है, तो उसे वीजा देने से इनकार किया जा सके।
अमेरिकी दूतावास ने नई गाइडलाइंस उन लोगों के लिए जारी की है, जो स्टूडेंट और एक्सचेंज विटिजर वीजा पाना चाहते हैं। नए नियम लागू हो चुके हैं और ये F, M और J कैटेगरी के नॉन-इमिग्रेंट वीजा चाहने वाले लोगों के लिए हैं। इन कैटेगरी के वीजा के लिए आवेदक को अपना सोशल मीडिया अकाउंट 'पब्लिक' करना होगा। अमेरिका में पढ़ने के लिए F-1 वीजा मिलता है, जबकि M-1 वीजा वोकेशनल या नॉन-अकेडमिक ट्रेनिंग के लिए दिया जाता है। इसी तरह से J-1 वीजा एक्सचेंज स्टूडेंट्स को मिलता है।
यूएस दूतावास ने क्या कहा?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में यूएस दूतावास ने कहा, "F, M और J नॉन-इमिग्रेंट वीजा के लिए अप्लाई करने वाले सभी लोगों से गुजारिश है कि वे अपने सोशल मीडिया अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स 'पब्लिक' करें, ताकि अमेरिकी कानून के तहत यूएस में उनकी पहचान स्थापित करने के लिए जरूरी जांच हो सके। ये फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो चुका है।"
दूतावास ने कहा, 2019 से ही अमेरिका वीजा आवेदकों से सिक्योरिटी जांच के लिए सोशल मीडिया अकाउंट्स की डिटेल्स मांग रहा है। वीजा जांच के दौरान हम सभी तरह की जानकारी का इस्तेमाल करते हैं, ताकि तय किया जा सके कि अमेरिका में किसे एंट्री दी जाए और किसे नहीं।
सोशल मीडिया जांच करने की वजह क्या है?
दरअसल, अमेरिका में पिछले साल कॉलेज कैंपसों में फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शन हुए। सरकार की तरफ से दावा किया गया कि इन प्रदर्शनों में वो विदेशी छात्र शामिल हुए, जो हमास जैसे चरमपंथी संगठन का समर्थन करते हैं। सरकार ने बताया कि विदेशी छात्रों ने इजरायल और अमेरिका की आलोचना की। अब सरकार चाहती है कि ऐसे छात्रों को देश में आने नहीं दिया जाए। इसके लिए हर वीजा आवेदक का सोशल मीडिया चेक किया जाएगा, ताकि अगर उसने कोई यहूदी विरोधी, हमास समर्थक या अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाला पोस्ट किया है, तो उसे वीजा देने से इनकार किया जा सके।
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