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क्या अमेरिका में पढ़ रहे भारतीयों को भी भरनी होगी H-1B वीजा की नई फीस? एक महीने बाद मिला US से जवाब

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H-1B Visa Fees: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले महीने H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) करने का ऐलान किया। ट्रंप के फैसले से अमेरिकी टेक, फाइनेंस और हेल्थकेयर सेक्टर में बवाल मच गया। अमेरिकी कंपनियां तो टेंशन में थीं ही, क्योंकि अब उन्हें विदेशी वर्कर्स की हायरिंग के लिए ये मोटी फीस चुकानी होती। मगर उनके साथ-साथ वो भारतीय छात्र भी परेशान थे, जो अभी अमेरिका में हायर एजुकेशन हासिल कर H-1B वीजा पाने का सपना देख रहे हैं।
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भारतीय छात्रों के बीच कंफ्यूजन की वजह ये थी कि उन्हें नहीं समझ आ रहा था कि क्या अब H-1B वीजा लेने के लिए उन्हें भी 1 लाख डॉलर वाली नई फीस देनी होगी। राष्ट्रपति ट्रंप ने 19 सितंबर को H-1B की बढ़ी हुई फीस का ऐलान किया, जो 21 सितंबर को लागू हो गया। हालांकि, अब एक महीने बाद यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज ( USCIS) ने नई फीस को लेकर स्पष्टीकरण दिया है और बताया है कि क्या छात्रों को भी अब नई फीस के दायरे में रखा जाएगा या नहीं।

क्या भारतीय छात्रों को भी भरनी होगी नई फीस?
USCIS का कहना है कि H-1B की नई फीस सिर्फ उन विदेशी वर्कर्स पर लागू होगी, जो अमेरिका से बाहर हैं। यानी अगर कोई अमेरिकी कंपनी विदेशी वर्कर की हायरिंग करती है, जो अमेरिका में नहीं रहता है, तो फिर उसे सरकार को बढ़ी हुई फीस देनी होगी। एजेंसी के मुताबिक, ये एक बार दी जाने वाली फीस है, जो वीजा एक्सटेंशन के दौरान भी नहीं देना है। अमेरिका में जो विदेशी वर्कर्स अभी H-1B वीजा पर काम कर रहे हैं, उन्हें भी नई फीस के दायरे में नहीं रखा गया है।

इसी तरह से जो भी शख्स वैलिड नॉन-इमिग्रेंट वीजा पर यूएस में है, उस पर भी नई फीस लागू नहीं होगी। इसका मतलब है कि भारतीयों समेत जो भी विदेशी छात्र F-1 स्टूडेंट वीजा पर डिग्री हासिल कर रहे हैं और फिर कोर्स खत्म होने के बाद H-1B वीजा के लिए अप्लाई करेंगे, तो उन्हें 1 लाख डॉलर की फीस नहीं देनी होगी। इसे ऐसे समझिए कि अगर आप अमेरिका से डिग्री लेकर किसी कंपनी में जॉब ढूंढने जाते हैं, तो फिर H-1B वीजा पर हायरिंग के दौरान उस कंपनी को आपकी तरफ से नई फीस नहीं देनी है।

ऐसे में कहा जा सकता है कि बढ़ी हुई फीस के दायरे से वो सभी स्टूडेंट बाहर होंगे, जो अभी किसी अमेरिकी यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल कर रहे हैं और फिर यहां जॉब करना चाहते हैं। USCIS की तरफ से दिया गया स्पष्टीकरण भारतीय छात्रों के लिए गुड न्यूज है, क्योंकि H-1B वीजा पाने में भारतीय सबसे आगे रहते हैं। अमेरिका में पढ़ने वाले ज्यादातर भारतीय साइंस, टेक्नोलॉजी जैसे सब्जेक्ट्स में डिग्री ले रहे हैं। इस वजह से उनके H-1B वीजा पाने की संभावना भी ज्यादा रहती है।
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