बेंगलुरु के अजित शिवराम नाम के शख्स का एक पोस्ट इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। उन्होंने अपनी दो बेटियों की परवरिश के एक्सपीरियंस को इतने सच्चे और खूबसूरत शब्दों में लिखा कि हर किसी का दिल छू गया।
अजित यूएंडआई नाम की ऑर्गनाइजेशन के को-फाउंडर हैं, जो गरीब बच्चों को पढ़ाई में मदद करती है। उन्होंने लिखा कि अपनी बेटियों को पालना उन्हें किसी बिजनेस स्कूल के एमबीए से ज्यादा सीख दे गया।
'बेटियों को पालना एक क्रांति है।'
'लीडरशिप ऑफिस में नहीं घर पर सीखी जाती है'अजित कहते हैं कि असली लीडरशिप बोर्डरूम में नहीं, बल्कि खाने की टेबल पर सिखाई जाती है। जब आपकी बेटी आपसे पूछती है, 'उस अंकल ने क्यों कहा कि लड़कियां ऐसा नहीं करतीं?' और तब आपको सदियों पुरानी सोच को तोड़कर उन्हें समझाना पड़ता है। बेटियों की वजह से अजित को ये समझ आने लगा कि ऑफिस में भी कैसे महिलाओं के काम का श्रेय किसी और को मिल जाता है। वो कहते हैं, 'कंपनियों को अब वीमेन एम्पावरमेंट पर पैनल डिस्कशन नहीं बल्कि ऐसे पुरुष चाहिए जो अपनी बेटियों की आंखों से दुनिया को देखना सीखें।’
लोगों के दिलों को छू गई पोस्ट
अजित यूएंडआई नाम की ऑर्गनाइजेशन के को-फाउंडर हैं, जो गरीब बच्चों को पढ़ाई में मदद करती है। उन्होंने लिखा कि अपनी बेटियों को पालना उन्हें किसी बिजनेस स्कूल के एमबीए से ज्यादा सीख दे गया।
'बेटियों को पालना एक क्रांति है।'
अजित पोस्ट में लिखते हैं, 'हर सुबह मैं अपनी बेटियों को स्कूल यूनिफॉर्म पहनते हुए देखता हूं। वो हंसते हुए अपने सपनों के साथ एक ऐसी दुनिया में जाती हैं जो असल में उनके लिए नहीं बनी। जहां लोग उनकी हंसी को कंट्रोल करना चाहेंगे, उनके सपनों पर सवाल उठाएंगे और उनकी चुप्पी को उनकी अच्छाई समझेंगे।'
उनका मानना है कि भारत में बेटियों को बड़ा करना एक तरह की शांत क्रांति है। हर दिन उन्हें रूढ़ियों और समाज के बनाए नियमों से लड़ना पड़ता है।
'लीडरशिप ऑफिस में नहीं घर पर सीखी जाती है'अजित कहते हैं कि असली लीडरशिप बोर्डरूम में नहीं, बल्कि खाने की टेबल पर सिखाई जाती है। जब आपकी बेटी आपसे पूछती है, 'उस अंकल ने क्यों कहा कि लड़कियां ऐसा नहीं करतीं?' और तब आपको सदियों पुरानी सोच को तोड़कर उन्हें समझाना पड़ता है। बेटियों की वजह से अजित को ये समझ आने लगा कि ऑफिस में भी कैसे महिलाओं के काम का श्रेय किसी और को मिल जाता है। वो कहते हैं, 'कंपनियों को अब वीमेन एम्पावरमेंट पर पैनल डिस्कशन नहीं बल्कि ऐसे पुरुष चाहिए जो अपनी बेटियों की आंखों से दुनिया को देखना सीखें।’
लोगों के दिलों को छू गई पोस्ट
लिंक्डइन पर अजित शिवराम की ये पोस्ट वायरल होते ही लोगों के दिलों को छू गई। लोगों ने न सिर्फ इस पर अपनी राय दी, बल्कि अजित की सोच और उनके शब्दों की जमकर सराहना भी की।
एक यूजर ने लिखा, 'इसे पढ़ते हुए मेरी आंखों में आंसू आ गए।' दूसरे ने लिखा, 'उन लोगों का क्या जिनकी बेटियां नहीं हैं? वो दुनिया को कब अलग नजरों से देखेंगे।'
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