आज की तेज़ रफ्तार भारतीय जीवनशैली और भागम भाग की दौड़ में सबसे पहले हमारी नींद की बलि चढ़ती है। चिंताजनक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की शहरी आबादी का लगभग 64% हिस्सा सुबह 7 बजे से पहले जाग जाता है — जो कि विश्व में सबसे अधिक है — और 61% लोग दिन में 7 घंटे से भी कम सोते हैं।जैसे-जैसे नींद की कमी एक आम समस्या बनती जा रही है, लोग प्रभावी उपाय की तलाश कर रहे हैं, लेकिन स्लीपिंग पिल्स को लेकर उनके मन में साइड इफेक्ट्स को लेकर झिझक बनी हुई है। इसी वजह से नेचुरल ऑप्शन की ओर एक झुकाव बन रहा है। गैर-नशीले और शरीर पर कोमल प्रभाव वाले ये विकल्प उन लोगों को आकर्षित कर रहे हैं जो नींद की समस्या को सुधारना चाहते हैं और एलोपैथिक दवाइयों पर निर्भरता कम करना चाहते हैं। नींद की गोलियों के साइड इफ़ेक्ट
डॉ. बिंदुश्री भंडारी, बीएनवाईएस, एमएससी (डायटेटिक्स एंड न्यूट्रिशन), एसएसएनएम वरिष्ठ पोषण अधिकारी, हर्बालाइफ ने बताया कि दवा एवं गोलियों की जगह प्राकृतिक उपायों की ओर यह बदलाव उपभोक्ताओं में दीर्घकालिक साइड इफेक्ट्स या ख़राब असर के प्रति बढ़ती जागरूकता के कारण हो रहा है। नींद की गोलियां और प्रिस्क्रिप्शन दवाएं हालांकि तात्कालिक रूप से प्रभावी होती हैं, लेकिन इनमें नशे की आदत लगने, सुबह की थकावट और हार्मोनल असंतुलन जैसे जोखिम होते हैं।इसके उल्टे, हर्बल उपचार तनाव, चिंता और सर्कैडियन रिदम को संतुलित करने पर ध्यान देते हैं और नींद की गड़बड़ी या सोने में परेशानी जैसी समस्याओं की जड़ों को हल करते हैं। ये देसी उपाय हैं काम के
डॉ. बिंदुश्री भंडारी ने कहा जैसा कि हम जानते हैं, अश्वगंधा, ब्राह्मी, जटामांसी और तगर जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां नींद से जुड़ी समस्याओं की जड़ों पर असर करती हैं और अब इन्हें तनाव कम करने, मन को शांत करने और स्लीप साइकिल को रेगुलर करने के लिए अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। ये न केवल अनिंद्रा के लक्षणों को हल करती हैं, बल्कि चिंता और हार्मोनल असंतुलन जैसी समस्याओं को भी जड़ से खत्म करने में मदद करती हैं। इन उपायों से भी मिलेगा लाभइसके अलावा, कैमोमाइल युक्त हर्बल चाय तनाव कम करने और आराम को बढ़ावा देने के लिए जानी जाती है। एक और प्रभावी घटक है Affron — जो केसर का मानकीकृत अर्क है और मूड को बेहतर बनाने व नींद की गुणवत्ता सुधारने के लिए जाना जाता है। यह बिना किसी साइड इफेक्ट के सोने में कठिनाई, चिंता और खराब नींद की समस्याओं को सुधारने में सकारात्मक परिणाम दिखा रहा है। हर्बल की तरफ जा रहे हैं लोगएक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में न्यूट्रास्युटिकल बाजार तेजी से बढ़ रहा है और 2025 के अंत तक यह 18 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है, जिसका मुख्य कारण स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और निवारक देखभाल को प्राथमिकता देना है। यही वह जगह है जहां हर्बल समाधान उद्योग फल-फूल रहा है, क्योंकि अधिक लोग आराम पाने और ताजगी से जागने के लिए प्राकृतिक उपायों की ओर रुख कर रहे हैं।डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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