चंडीगढ़: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पूर्व आईपीएस वाई. पूरन कुमार आत्महत्या मामले की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी की जांच पर संतोष जताया और कहा कि जांच में कोई ढिलाई या देरी नहीं हुई है, इसलिए किसी स्वतंत्र एजेंसी को जांच सौंपने का कोई कारण नहीं है। इस फैसले से पूर्व आईपीएस की सीबीआई जांच को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग गया है। मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया।
14 लोगों को आरोपी बनाया गया
अदालत ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि जांच में कोई कोताही बरती गई है। इसलिए, इस मामले की जांच किसी दूसरी एजेंसी को सौंपने की कोई जरूरत नहीं है। यूटी प्रशासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित झांजी ने अदालत को बताया कि इस मामले में 14 लोगों को आरोपी बनाया गया है। अब तक 22 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि घटना से जुड़ा पूरा सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित कर लिया गया है। एसआईटी ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। हाईकोर्ट ने एसआईटी की जांच को संतोषजनक पाया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ याचिका दायर
वहीं इस बीच हरियाणा सरकार के कुछ बड़े अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और बेहिसाब दौलत जमा करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इन मामलों की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर एक जनहित याचिका पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की गई है। यह याचिका पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के मामले से जुड़ी है। याचिकाकर्ता बलजीत बेनिवाल का दावा है कि दिवंगत आईपीएस अधिकारी से जुड़े बेहिसाब संपत्ति के मामलों की जांच में बड़ी गड़बड़ियां हुई हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य की एजेंसियां प्रभावशाली अधिकारियों के दबाव में ठीक से काम नहीं कर पा रही हैं। याचिकाकर्ता ने आईएएस अधिकारियों के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों को सीबीआई को सौंपने की भी मांग की है।
14 लोगों को आरोपी बनाया गया
अदालत ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि जांच में कोई कोताही बरती गई है। इसलिए, इस मामले की जांच किसी दूसरी एजेंसी को सौंपने की कोई जरूरत नहीं है। यूटी प्रशासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अमित झांजी ने अदालत को बताया कि इस मामले में 14 लोगों को आरोपी बनाया गया है। अब तक 22 गवाहों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि घटना से जुड़ा पूरा सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित कर लिया गया है। एसआईटी ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट अदालत को सौंपी थी, जिसके बाद यह फैसला लिया गया। हाईकोर्ट ने एसआईटी की जांच को संतोषजनक पाया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ याचिका दायर
वहीं इस बीच हरियाणा सरकार के कुछ बड़े अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और बेहिसाब दौलत जमा करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इन मामलों की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर एक जनहित याचिका पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर की गई है। यह याचिका पूर्व आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के मामले से जुड़ी है। याचिकाकर्ता बलजीत बेनिवाल का दावा है कि दिवंगत आईपीएस अधिकारी से जुड़े बेहिसाब संपत्ति के मामलों की जांच में बड़ी गड़बड़ियां हुई हैं। याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य की एजेंसियां प्रभावशाली अधिकारियों के दबाव में ठीक से काम नहीं कर पा रही हैं। याचिकाकर्ता ने आईएएस अधिकारियों के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार के मामलों को सीबीआई को सौंपने की भी मांग की है।
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