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सतना कोर्ट का बड़ा फैसला; फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट से सरकारी नौकरी पाने वाले को सुनाई सजा, 7 साल जेल के साथ जुर्माना

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सतना: जिले में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे सरकारी नौकरी हासिल करना एक व्यक्ति को भारी पड़ गया। सतना की नवम अपर सेशन कोर्ट ने इस गंभीर अपराध में दोषी को सजा सुनाई। कोर्ट ने आरोपी राधेश्याम बरडे को दोषी ठहराते हुए सात साल के सश्रम कारावास और 1000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। यदि जुर्माना अदा नहीं किया गया तो एक साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। यह फैसला न्यायाधीश शशिकांत वर्मा की अदालत ने सुनाया।





दरअसल, मामले की शुरुआत फरियादी विजय कुमार नागर की शिकायत से हुई थी। जिसके अनुसार राधेश्याम बरडे ने वर्ष 2009 से 2017 के बीच न्यायालय में सहायक ग्रेड-3 की सरकारी नौकरी प्राप्त करने के लिए फर्जी अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र का उपयोग किया था।





फर्जी डॉक्यूमेंट से 9 साल तक नौकरी

जांच में यह स्पष्ट हुआ कि राधेश्याम अनुसूचित जाति (एसटी) वर्ग से नहीं थे। लेकिन उन्होंने कूटरचित दस्तावेजों के जरिए नौकरी हासिल की है। इसके साथ ही उसने 9 साल तक साक्ष्य लेखक के रूप में काम किया है।





इन धाराओं के तहत दर्ज हुआ मामला

कोर्ट ने जांच के बाद राधेश्याम पर बीएनएस की धाराओं के तहत धोखाधड़ी, मूल्यवान प्रतिभूति की कूटरचना और फर्जी दस्तावेजों के उपयोग का दोषी पाया है। इसके तहत कोर्ट ने दोषी करार दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अभियुक्त की पहले की न्यायिक अभिरक्षा (31 अक्टूबर 2017 से 18 मई 2018) को सजा की अवधि में समायोजित किया जाएगा। जेल प्रशासन को निर्देश दिया गया है कि वे सजा वारंट जारी करें।

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