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बिना अनुमति के वोटर के फोटो, नाम और पहचान सार्वजनिक करना गलत... राहुल के आरोप पर चुनाव आयोग ने किया पलटवार

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नई दिल्ली: राहुल गांधी की 'वोट अधिकार यात्रा' के बाद चुनाव आयोग ने रविवार को प्रेस वार्ता की। इस प्रेस वार्ता में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने 'वोट चोरी' के आरोप से लेकर कई अन्य सवालों के जवाब दिए। उन्होंने बिहार में जारी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन की प्रक्रिया पर उठाए गए सवालों पर भी जवाब दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त ने राहुल गांधी का नाम लिए बिना सारे सवालों का जवाब दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त ने वोटर के फोटो, नाम और पहचान सार्वजनिक करने पर नाराजगी जताई।



क्या कहा मुख्य चुनाव आयुक्त ने?

चुनाव आयोग ने वोट चोरी के आरोप पर जवाब देते हुए कहा कि हमारे लिए न कोई पक्ष है, न ही विपक्ष है, बल्कि हमारे लिए सभी बराबर हैं। उन्होंने राहुल गांधी का बिना नाम लिए कहा कि ने वोटर के फोटो, नाम और पहचान सार्वजनिक करना गलत बात है। इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहिए। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि किसी भी तरह की शिकायत के लिए आयोग के दरवाजे पूरी तरह से खुले हैं। उन्होंने कहा कि 'वोट चोरी' जैसे शब्दों का इस्तेमाल सरासर गलत है, अगर आपको किसी तरह का संदेह हो तो ऐसे मामलों में कोर्ट में याचिका दायर करनी चाहिए थी।



केवल भारतीय नागरिक ही वोट डाल सकते हैं: ज्ञानेश कुमार

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि मैं यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि भारत के संविधान के अनुसार, केवल भारतीय नागरिक ही सांसद और विधायक के चुनाव में वोट दे सकते हैं। दूसरे देशों के लोगों को यह अधिकार नहीं है। अगर ऐसे लोगों ने गणना फॉर्म भरा है, तो एसआईआर प्रक्रिया के दौरान उन्हें कुछ दस्तावेज जमा करके अपनी राष्ट्रीयता साबित करनी होगी। जांच के बाद उनके नाम हटा दिए जाएंगे।



अन्य राज्यों में एसआईआर कब शुरू होगी, चुनाव आयोग ने दिया जवाब

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि तीनों चुनाव आयुक्त तय करेंगे कि पश्चिम बंगाल या अन्य राज्यों में एसआईआर की प्रक्रिया कब शुरू की जाएगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जहां तक मशीन-पठनीय मतदाता सूची का सवाल है, सुप्रीम कोर्ट 2019 में ही कह चुका है कि यह मतदाता की निजता का उल्लंघन हो सकता है।



चुनाव परिणाम में गड़बड़ी पर चुनाव आयुक्त ने दिया जवाब

रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा नतीजे घोषित करने के बाद भी, कानून में यह प्रावधान है कि 45 दिनों की अवधि के भीतर, राजनीतिक दल सुप्रीम कोर्ट में जाकर चुनाव को चुनौती देने के लिए चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं। इस 45 दिनों की अवधि के बाद, इस तरह के निराधार आरोप लगाना, चाहे वह केरल हो, कर्नाटक हो, या बिहार हो। जब चुनाव के बाद की वह 45 दिन की अवधि समाप्त हो जाती है और उस अवधि के दौरान, किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को कोई अनियमितता नहीं मिलती है, तो आज, इतने दिनों के बाद, देश के मतदाता और लोग इस तरह के निराधार आरोप लगाने के पीछे की मंशा को समझते हैं।

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