लखनऊ: नैशनल हेल्थ अथॉरिटी (NHA) और आधार के पोर्टल में सेंधमारी कर फर्जी आयुष्मान कार्ड बनाने की आशंका के बाद स्टेट एजेंसी फॉर कॉम्प्रेहेंसिव हेल्थ ऐंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीज) ने विभागीय जांच शुरू कर दी है। यूपी के उन अस्पतालों की सूची भी बनाई जा रही है, जिनमें पिछले कुछ महीनों में आयुष्मान कार्ड के जरिए भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है।
सूत्रों के मुताबिक बरेली समेत वेस्ट यूपी और पूर्वांचल के कई अस्पताल रेडार पर है। NHA और आधार के कार्यालय से जुड़े कुछ लोगों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। सूत्रों के मुताबिक इस फर्जीवाड़े में ऐसे लोगों की मिलीभगत की आशंका है, जिन्हें NHA और आधार के कामकाज की बारीकी पता है।
शुरुआती जांच में पता चला है कि लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में सरकारी और निजी अस्पतालों में धड़ल्ले से यह फर्जीवाड़ा चल रहा है। लोगों को एक हजार रुपये से लेकर पांच हजार रुपये में आधार कार्ड बनवाने का झांसा दिया जाता है। फिर NHA और आधार के पोर्टल में सेंधमारी कर आयुष्मान कार्ड बनवाया जाता है।
बाद में फर्जी कार्ड के आधार पर मरीज दिखाकर भुगतान करवा लिया जाता है। इस रैकेट का एक गुट उन मरीजों को चिह्नित करता है, जिनका कार्ड बनाकर वसूली की जानी है। दूसरा गुट NHA के पोर्टल से लॉगिन कर फर्जी आयुष्मान कार्ड जारी करवाता है।
जून में हुआ था 10 करोड़ का फर्जी भुगतान
इसी साल यूपी के 39 अस्पतालो में 6,239 मरीजों के इलाज के नाम पर 9.94 करोड़ रुपये से ज्यादा का फर्जी भुगतान हुआ था। इस फर्जीवाड़े में इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेसी, लेखाधिकारी, प्रबंधक साचीज और सीईओ की यूजर आईडी का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद से अधिकारी भुगतान समेत हर गतिविधि को लेकर सक्रियता बरत रहे थे। इसी बीच कार्ड बना रहे कर्मचारियों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ओटीपी न आने की सूचना पर जांच हुई, जिसमें यह मामला पकड़ा गया।
कई राज्यों में फैले है तार
साचीज के सूत्रों की माने तो फर्जीवाड़े के तार कई राज्यो में फैले है। जून में करोड़ो के भुगतान का मामला हो या फिर अब NHA और आधार के जरिए सामने आया फर्जीवाड़ा। दोनो मामलों में इस्तेमाल आईपी अड्रेस की जांच करवाई गई तो उनमें से ज्यादातर राजस्थान, कर्नाटक और दक्षिण भारत के राज्यों के मिले।
बाहर से लॉगिन की सुविधा बंद
फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद साचीज की तरफ से NHA, साइबर सेल और लखनऊ के गोमतीनगर स्थित आधार (UADAI) के क्षेत्रीय कार्यालय को इसकी जानकारी भेजी गई है। साथ ही आयुष्मान कार्ड बनाने व भुगतान के लिए कही से भी लॉगिन करने की सुविधा खत्म कर दी गई है। अब केवल साचीज के दफ्तर से ही लॉगिन किया जा सकेगा।
सूत्रों के मुताबिक बरेली समेत वेस्ट यूपी और पूर्वांचल के कई अस्पताल रेडार पर है। NHA और आधार के कार्यालय से जुड़े कुछ लोगों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। सूत्रों के मुताबिक इस फर्जीवाड़े में ऐसे लोगों की मिलीभगत की आशंका है, जिन्हें NHA और आधार के कामकाज की बारीकी पता है।
शुरुआती जांच में पता चला है कि लखनऊ समेत प्रदेश के कई जिलों में सरकारी और निजी अस्पतालों में धड़ल्ले से यह फर्जीवाड़ा चल रहा है। लोगों को एक हजार रुपये से लेकर पांच हजार रुपये में आधार कार्ड बनवाने का झांसा दिया जाता है। फिर NHA और आधार के पोर्टल में सेंधमारी कर आयुष्मान कार्ड बनवाया जाता है।
बाद में फर्जी कार्ड के आधार पर मरीज दिखाकर भुगतान करवा लिया जाता है। इस रैकेट का एक गुट उन मरीजों को चिह्नित करता है, जिनका कार्ड बनाकर वसूली की जानी है। दूसरा गुट NHA के पोर्टल से लॉगिन कर फर्जी आयुष्मान कार्ड जारी करवाता है।
जून में हुआ था 10 करोड़ का फर्जी भुगतान
इसी साल यूपी के 39 अस्पतालो में 6,239 मरीजों के इलाज के नाम पर 9.94 करोड़ रुपये से ज्यादा का फर्जी भुगतान हुआ था। इस फर्जीवाड़े में इंप्लीमेंटेशन सपोर्ट एजेसी, लेखाधिकारी, प्रबंधक साचीज और सीईओ की यूजर आईडी का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद से अधिकारी भुगतान समेत हर गतिविधि को लेकर सक्रियता बरत रहे थे। इसी बीच कार्ड बना रहे कर्मचारियों के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर ओटीपी न आने की सूचना पर जांच हुई, जिसमें यह मामला पकड़ा गया।
कई राज्यों में फैले है तार
साचीज के सूत्रों की माने तो फर्जीवाड़े के तार कई राज्यो में फैले है। जून में करोड़ो के भुगतान का मामला हो या फिर अब NHA और आधार के जरिए सामने आया फर्जीवाड़ा। दोनो मामलों में इस्तेमाल आईपी अड्रेस की जांच करवाई गई तो उनमें से ज्यादातर राजस्थान, कर्नाटक और दक्षिण भारत के राज्यों के मिले।
बाहर से लॉगिन की सुविधा बंद
फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद साचीज की तरफ से NHA, साइबर सेल और लखनऊ के गोमतीनगर स्थित आधार (UADAI) के क्षेत्रीय कार्यालय को इसकी जानकारी भेजी गई है। साथ ही आयुष्मान कार्ड बनाने व भुगतान के लिए कही से भी लॉगिन करने की सुविधा खत्म कर दी गई है। अब केवल साचीज के दफ्तर से ही लॉगिन किया जा सकेगा।
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