वॉशिंगटन: ईरान के एडवांस बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से इजरायल को बचाने के लिए अमेरिका ने अरबों डॉलर के मिसाइल स्टॉक खत्म कर लिए हैं। खुलासा हुआ है कि अमेरिका के THAAD एयर डिफेंस सिस्टम के 14 प्रतिशत स्टॉक खत्म हो चुके हैं। जिसके बाद अमेरिका को फिर से इस स्टॉक को भरने में कम से कम 3 से 8 सालों का वक्त लग जाएगा। अमेरिका के यहूदी राष्ट्रीय सुरक्षा संस्थान के शोधकर्ताओं (JINSA) की तरफ से किए गए विश्लेषण से पता चला है कि ईरान की 12 दिनों की बैलिस्टिक मिसाइलों की बमबारी को रोकने के लिए इजरायल ने आधे से ज्यादा अमेरिकी एयर डिफेंस सिस्टम के इंटरसेप्टर्स का इस्तेमाल किया है। करीब आधे इंटरसेप्टर अमेरिका के टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम यानि THAAD एयर डिफेंस सिस्टम से दागे गए थे।
इस रिपोर्ट को लिखने वाले एरी सिकुरेल ने कहा है कि अमेरिका के THAAD एयर डिफेंस सिस्टम ने इजरायल के एरो-2 और एरो-3 इंटरसेप्टर के साथ ईरान की 574 मिसाइलों में से 201 को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। बाकी मिसाइलों को दूसरे डिफेंस सिस्टम ने नष्ट किया। लेकिन अब चिंता भविष्य की हो गई है कि अमेरिका के मिसाइल भंडार से जितनी मिसाइलें इस्तेमाल की जा चुकी हैं, उन्हें भरने में 3 से 8 सालों का वक्त लग सकता है। इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि 92 THAAD इंटरसेप्टर्स ईरान के मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए दागे गए, जो कि अमेरिका के कुल अनुमानित 632 THAAD मिसाइलों के भंडार का एक बड़ा हिस्सा है।
इजरायल को बचाने में अमेरिका के 14% मिसाइल स्टॉक खत्म
JINSA की एसोसिएट डायरेक्टर सिकुरेल ने कहा है कि "इसका मतलब यह भी है कि हमें अपने भंडार को तेजी से भरना होगा और पहले वाले स्तर तक तेजी से लौटना होगा।" पेंटागन ने बुधवार को JINSA के अनुमानों या संभावित इंटरसेप्टर की कमी की चिंताओं के बारे में पूछे गए सवालों का तुरंत जवाब नहीं दिया। आपको बता दें कि THAAD इंटरसेप्टर को लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है, जिनमें से प्रत्येक की लागत करीब 12.7 मिलियन डॉलर यानि करीब 106 करोड़ भारतीय रुपये है। ये मिसाइलें पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपरी हिस्से में जाकर बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम होती हैं, यानी ये थिएटर-लेवल डिफेंस प्रदान करती हैं। जहां पैट्रियट मिसाइलें सस्ती और तेजी से बनने वाली होती हैं, वहीं THAAD ज्यादा एडवांस और लंबी दूरी का एयर डिफेंस सिस्टम है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ईरान ने जब कतर के अल-उदायद एयरबेस पर हुए हमला किया था, उस दौरान 30 पैट्रियट मिसाइलें भी दागी गईं थीं।
JINSA की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में अमेरिका ने सिर्फ 11 THAAD इंटरसेप्टर ही खरीदे और 2025 के अंत तक अमेरिका को 12 और THAAD मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा 2026 तक कुल 25–37 मिसाइलें ही और जुड़ पाएंगी, यानी स्टॉक की भरपाई काफी ज्यादा धीमी रफ्तार से होगी। लेकिन अमेरिका के सामने फिलहाल दिक्कत ये है कि वो पहले अपनी जरूरत को पूरी करे यानि पहले अपने स्टॉक को पूरा करे या फिर सऊदी अरब को THAAD सिस्टम की आपूर्ति करे, जिसके लिए उसनें 15 अरब डॉलर की डील कर रखी है, जिसके तहत सऊदी 360 मिसाइलों की खरीद करने वाला है। इसके अलावा कतर ने भी 42 अरब डॉलर का THAAD एयर डिफेंस समझौता अमेरिका से कर रखा है और उसकी डिलीवरी देने का भी प्रेशर अमेरिका पर है।
इस रिपोर्ट को लिखने वाले एरी सिकुरेल ने कहा है कि अमेरिका के THAAD एयर डिफेंस सिस्टम ने इजरायल के एरो-2 और एरो-3 इंटरसेप्टर के साथ ईरान की 574 मिसाइलों में से 201 को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। बाकी मिसाइलों को दूसरे डिफेंस सिस्टम ने नष्ट किया। लेकिन अब चिंता भविष्य की हो गई है कि अमेरिका के मिसाइल भंडार से जितनी मिसाइलें इस्तेमाल की जा चुकी हैं, उन्हें भरने में 3 से 8 सालों का वक्त लग सकता है। इस रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि 92 THAAD इंटरसेप्टर्स ईरान के मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए दागे गए, जो कि अमेरिका के कुल अनुमानित 632 THAAD मिसाइलों के भंडार का एक बड़ा हिस्सा है।
इजरायल को बचाने में अमेरिका के 14% मिसाइल स्टॉक खत्म
JINSA की एसोसिएट डायरेक्टर सिकुरेल ने कहा है कि "इसका मतलब यह भी है कि हमें अपने भंडार को तेजी से भरना होगा और पहले वाले स्तर तक तेजी से लौटना होगा।" पेंटागन ने बुधवार को JINSA के अनुमानों या संभावित इंटरसेप्टर की कमी की चिंताओं के बारे में पूछे गए सवालों का तुरंत जवाब नहीं दिया। आपको बता दें कि THAAD इंटरसेप्टर को लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है, जिनमें से प्रत्येक की लागत करीब 12.7 मिलियन डॉलर यानि करीब 106 करोड़ भारतीय रुपये है। ये मिसाइलें पृथ्वी के वायुमंडल के ऊपरी हिस्से में जाकर बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने में सक्षम होती हैं, यानी ये थिएटर-लेवल डिफेंस प्रदान करती हैं। जहां पैट्रियट मिसाइलें सस्ती और तेजी से बनने वाली होती हैं, वहीं THAAD ज्यादा एडवांस और लंबी दूरी का एयर डिफेंस सिस्टम है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ईरान ने जब कतर के अल-उदायद एयरबेस पर हुए हमला किया था, उस दौरान 30 पैट्रियट मिसाइलें भी दागी गईं थीं।
JINSA की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में अमेरिका ने सिर्फ 11 THAAD इंटरसेप्टर ही खरीदे और 2025 के अंत तक अमेरिका को 12 और THAAD मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा 2026 तक कुल 25–37 मिसाइलें ही और जुड़ पाएंगी, यानी स्टॉक की भरपाई काफी ज्यादा धीमी रफ्तार से होगी। लेकिन अमेरिका के सामने फिलहाल दिक्कत ये है कि वो पहले अपनी जरूरत को पूरी करे यानि पहले अपने स्टॉक को पूरा करे या फिर सऊदी अरब को THAAD सिस्टम की आपूर्ति करे, जिसके लिए उसनें 15 अरब डॉलर की डील कर रखी है, जिसके तहत सऊदी 360 मिसाइलों की खरीद करने वाला है। इसके अलावा कतर ने भी 42 अरब डॉलर का THAAD एयर डिफेंस समझौता अमेरिका से कर रखा है और उसकी डिलीवरी देने का भी प्रेशर अमेरिका पर है।
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