नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। ट्रंप ने कई देशों पर भारी टैरिफ लगाया है जिससे शुक्रवार को दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट आई। अमेरिका भी इससे अछूता नहीं रहा। अमेरिकी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आई। मई के बाद यह सबसे खराब दिन था। डाउ में 542 अंक यानी 1.23% गिरावट आई। इसी तरह S&P 500 में 1.6% आई जो मई के बाद एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है। इसी तरह नैसडैक कंपोजिट में 2.24% आई जो अप्रैल के बाद सबसे बड़ी एक दिनी गिरावट है।
वॉल स्ट्रीट में चिंता थी कि अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है। जुलाई में सिर्फ 73,000 नौकरियां ही मिलीं। अर्थशास्त्रियों ने इससे ज्यादा की उम्मीद की थी। लेबर डिपार्टमेंट ने बताया कि मई और जून में 258,000 नौकरियां कम हो गईं। इन आंकड़ों के बाद ट्रंप ने लेबर स्टैटिस्टिक्स चीफ को बर्खास्त कर दिया। नौकरियां कम मिलने की वजह से निवेशकों को लग रहा है कि फेडरल रिजर्व सितंबर में ब्याज दर कम कर सकता है।
बाजार में अनिश्चितता
इससे पहले ट्रंप ने गुरुवार को कई देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की जो 7 अगस्त से लागू होगा। अमेरिकी बाजार ने नए टैरिफ पर भी प्रतिक्रिया दी। इससे दुनिया भर के व्यापार में और भी अनिश्चितता आ गई है। जानकारों का कहना है कि बाजार को एक साथ दो झटके लगे हैं। पहला टैरिफ बढ़ा दिए गए हैं और दूसरा नौकरियां मिलने की खबर कमजोर है। पिछले महीनों में भी नौकरियां कम हुई थीं। नौकरियों के आंकड़े जारी करने वाली एजेंसी के हेड को निकालने से भी बाजार में अनिश्चितता बढ़ेगी।
अमेरिका में साथ ही 10 साल के ट्रेजरी पर यील्ड 4.39% से गिरकर 4.21% रह गया है। यह बॉन्ड मार्केट में बड़ी गिरावट है। दो साल के ट्रेजरी पर यील्ड 3.94% से गिरकर 3.68% रह गया। फेड ने दिसंबर से ब्याज दर को स्थिर रखा है। इससे जॉब मार्केट और अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। लेकिन इससे महंगाई भी बढ़ सकती है। महंगाई अभी भी 2% के लक्ष्य से ऊपर है।
जॉब मार्केट में दिक्कत
जानकारों का कहना है कि जॉब मार्केट में कुछ दिक्कतें दिख रही हैं। ऐसा लग रहा है कि टैरिफ की वजह से अर्थव्यवस्था में परेशानी आ रही है। फेड ब्याज दर कम करने में हिचकिचा रहा था लेकिन अब लग रहा है कि सितंबर में ब्याज दर कम की जा सकती है। अगर अगले महीने के आंकड़े भी ऐसे ही रहे तो फेड जरूर ब्याज दर कम करेगा। ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी की वजह से कारोबारियों, निवेशकों और फेड को अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है।
कंपनियों ने निवेशकों को बताया है कि टैरिफ की वजह से उन्हें अनुमान लगाने में मुश्किल हो रही है। कुछ टैक्स पहले से ही लागू हैं जबकि कुछ बदल रहे हैं या बढ़ा दिए गए हैं। वॉलमार्ट, प्रॉक्टर एंड गैंबल और कई अन्य कंपनियों ने कहा है कि टैरिफ बढ़ने से उनकी लागत बढ़ेगी, मुनाफा कम होगा और ग्राहकों के लिए कीमतें बढ़ जाएंगी।
वॉल स्ट्रीट में चिंता थी कि अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है। जुलाई में सिर्फ 73,000 नौकरियां ही मिलीं। अर्थशास्त्रियों ने इससे ज्यादा की उम्मीद की थी। लेबर डिपार्टमेंट ने बताया कि मई और जून में 258,000 नौकरियां कम हो गईं। इन आंकड़ों के बाद ट्रंप ने लेबर स्टैटिस्टिक्स चीफ को बर्खास्त कर दिया। नौकरियां कम मिलने की वजह से निवेशकों को लग रहा है कि फेडरल रिजर्व सितंबर में ब्याज दर कम कर सकता है।
बाजार में अनिश्चितता
इससे पहले ट्रंप ने गुरुवार को कई देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की जो 7 अगस्त से लागू होगा। अमेरिकी बाजार ने नए टैरिफ पर भी प्रतिक्रिया दी। इससे दुनिया भर के व्यापार में और भी अनिश्चितता आ गई है। जानकारों का कहना है कि बाजार को एक साथ दो झटके लगे हैं। पहला टैरिफ बढ़ा दिए गए हैं और दूसरा नौकरियां मिलने की खबर कमजोर है। पिछले महीनों में भी नौकरियां कम हुई थीं। नौकरियों के आंकड़े जारी करने वाली एजेंसी के हेड को निकालने से भी बाजार में अनिश्चितता बढ़ेगी।
अमेरिका में साथ ही 10 साल के ट्रेजरी पर यील्ड 4.39% से गिरकर 4.21% रह गया है। यह बॉन्ड मार्केट में बड़ी गिरावट है। दो साल के ट्रेजरी पर यील्ड 3.94% से गिरकर 3.68% रह गया। फेड ने दिसंबर से ब्याज दर को स्थिर रखा है। इससे जॉब मार्केट और अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। लेकिन इससे महंगाई भी बढ़ सकती है। महंगाई अभी भी 2% के लक्ष्य से ऊपर है।
जॉब मार्केट में दिक्कत
जानकारों का कहना है कि जॉब मार्केट में कुछ दिक्कतें दिख रही हैं। ऐसा लग रहा है कि टैरिफ की वजह से अर्थव्यवस्था में परेशानी आ रही है। फेड ब्याज दर कम करने में हिचकिचा रहा था लेकिन अब लग रहा है कि सितंबर में ब्याज दर कम की जा सकती है। अगर अगले महीने के आंकड़े भी ऐसे ही रहे तो फेड जरूर ब्याज दर कम करेगा। ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी की वजह से कारोबारियों, निवेशकों और फेड को अनिश्चितता का सामना करना पड़ रहा है।
कंपनियों ने निवेशकों को बताया है कि टैरिफ की वजह से उन्हें अनुमान लगाने में मुश्किल हो रही है। कुछ टैक्स पहले से ही लागू हैं जबकि कुछ बदल रहे हैं या बढ़ा दिए गए हैं। वॉलमार्ट, प्रॉक्टर एंड गैंबल और कई अन्य कंपनियों ने कहा है कि टैरिफ बढ़ने से उनकी लागत बढ़ेगी, मुनाफा कम होगा और ग्राहकों के लिए कीमतें बढ़ जाएंगी।
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